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IND Vs ENG: DRS पर फिर उठे सवाल, अंपायर्स कॉल भी घेरे में

तीसरे टेस्ट मैच में टीवी अंपायर के जल्दबाजी में लिए गए फैसले पर खड़ा हुआ विवाद

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भारत और इंग्लैंड के बीच मोदी स्टेडियम में खेला गया तीसरा टेस्ट रोमांचक होने के साथ-साथ विवादास्पद भी रहा. विवाद हुआ टीवी अंपायर द्वारा जल्दबाजी में दिए गए निर्णय पर. इस तरह एक बार फिर DRS कंट्रोवर्सी तूल पकड़ने लगी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...

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तीसरे टेस्ट के पहले दिन इंग्लैंड ने रखी अपनी बात:

इंग्लैंड के कप्तान जो रूट और हेड कोच क्रिस सिल्वरवुड ने तीसरे टेस्ट के पहले दिन ही मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ से मिलकर थर्ड अंपायर के निर्णय को लेकर बात की थी. उन्होंने कहा था कि तीसरे अंपायर को ज्यादा “कॅन्सिसटेंसी” दिखाने की जरूरत है. इंग्लैंड की तरफ से कहा गया कि टीवी अंपायर द्वारा बिना ठीक से देखे हुए जल्दबाजी में डिसीजन लिए गए.

  • क्रिकेट कंमेंटेटर और पूर्व भारतीय खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने भी टीवी अंपायर के जल्द फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि टीवी अंपायर ने निर्णय देने में तेजी दिखाई. उन्हें समय लेकर डिसीजन लेना चाहिए.

  • इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘तीसरे अंपायर ने एक बार फिर कैमरे के अलग-अलग एंगल से नहीं देखा. बहुत...बहुत खराब’

पहला मामला : शुभमन गिल का एक कैच बेन स्टोक्स ने स्लिप में पकड़ा था. ऑन फील्ड अंपायर ने सॉफ्ट डिसमिसल के तौर पर गिल को आउट दिया, लेकिन थर्ड अंपायर से कैच को पकड़े जाने के लिए रिव्यू की मांग कर ली. थर्ड अंपायर ने पहली ही क्लिप के बाद गिल को नॉट आउट दे दिया और बताया कि स्टोक्स ने घास से कैच को उठाया है
दूसरा मामला : इंग्लैंड के विकेटकीपर बेन फोक्स ने स्टंपिंग की और उसी समय रोहित शर्मा का बैट क्रीज में आया, लेकिन थर्ड अंपायर ने रोहित को आउट नहीं दिया. इंग्लैंड ने इस बात का दावा किया कि थर्ड अंपायर ने बिना कोई दूसरा कैमरा एंगल देखे, जल्दबाजी में फैसले लिए हैं.
  • अहमदाबाद टेस्ट में सी. शमशुद्दीन निभा रहे थे टीवी अंपायर की भूमिका.

  • शमशुद्दीन ने दोनों मामलों में एक ही एंगल देखकर नॉट आउट का फैसला दे दिया.

  • नियम के अनुसार टीवी अंपायर को अलग-अलग एंगल से स्थिति को देखना चाहिए.

  • इंग्लैंड की ओर कहा गया कि कम से कम 4 या पांच एंगल देखकर फैसला सुनाना चाहिए.

चेन्नई में भी अंपायर के फैसले पर सवाल और बवाल

तीसरे टेस्ट के पहले चेन्नई में दूसरे टेस्ट के दौरान भी डीआरस पर सवाल और बवाल देखने को मिला था. बाद में इंग्लैंड का रीव्यू बहाल भी किया गया. दूसरे टेस्ट के पहले दिन 75वें ओवर में जब जैक लीच की गेंद रहाणे के ग्लव्ज को छूती हुई फील्डर ओली पोप के हाथ में गयी. इंग्लैंड ने अपील की लेकिन मैदानी अंपायर ने इसे ठुकरा दिया और टीवी अंपायर अनिल चौधरी ने रिव्यू खारिज कर दिया. उन्हें लगा कि गेंद लेग स्टंप के बाहर गयी थी इसके बाद इंग्लैंड ने LBW की अपील की थी.

  • इंग्लैंड ने कहा था कि वे ग्लव्ज से छूकर गयी गेंद के कैच होने की अपील कर रहे हैं, बल्ले से छूने की नहीं.

  • बाद में आईसीसी के नियम 3.6.8 के तहत इंग्लैंड का यह रिव्यू बहाल कर दिया गया.

DRS के गले की फांस बन रहा “अंपायर्स कॉल

डिसीजन रिव्यू सिस्टम को शॉर्ट फॉर्म में डीआरएस DRS कहते हैं. फील्ड में जब कोई भी टीम अंपायर के फैसले से सहमत नहीं होती है तो उस रिव्यू लेने का अधिकार ICC नियमों में दिया गया है.

  • अधिकांशत: LBW के मामले में लिया जाता है DRS.

  • कैच और विकेट कीपिंग के मामले में भी डीआरएस निभाता है अहम भूमिका.

  • कोविड के दौरान से वनडे तथा T20 में 2 और टेस्ट में 3 रिव्यू दिए जाने लगे हैं.

ये होता है DRS में :

  • स्लो मोशन रीप्ले देखना, यहां लीगल डिलेवरी की भी जांच होती है.

  • इंफ्रा रेड कैमरा की सहायता

  • एज डिटेक्शन यानी किनारा लगा या नहीं.

  • बॉल ट्रैकिंग

क्या कहता है अंपायर्स कॉल का नियम?

आमतौर पर LBW (पगबाधा) के फैसलों पर अंपायर कॉल ही अंतिम निर्णय होता है. सरल शब्दों में कहा जाए तो अंपायर्स कॉल का मतलब यह हुआ कि जो भी फैसला मैदान पर मौजूद अंपायर ने लिया है वो ही मान्य होगा और उसे बदला नहीं जायेगा.

अगर DRS लेने के बाद ये पाया गया की बॉल का 1% से लेकर 50% तक का हिस्सा विकेट पर लग रहा है पर अंपायर ने उसे नॉट आउट करार दिया है तो आखिरी फैसला नॉट आउट ही होगा पर अगर बॉल का 50% से ज्यादा हिस्सा विकेट पर लग रहा है तो फिर थर्ड अंपायर, ऑन फील्ड अंपायर से अपना फैसला बदलकर बल्लेबाज को आउट देने के लिए कहेंगे.

दिग्गजों का क्या कहना है

सचिन ने अपने एकट्वीट में कहा था कि ‘खिलाड़ी रिव्यूइसलिए लेते हैं, क्योंकि वह मैदानी अंपायर के फैसले से खुश नहीं होते हैं. आईसीसी को डीआरएस को दोबारा देखनेकी जरूरत है, खासकर अंपायर्स कॉल के लिए
शेन वॉर्न ने भी‘अंपायर कॉल’ के नियम को लेकर सवाल उठाया था. उन्होंनेट्विटर पर लिखा था कि एक बार कप्तान के रिव्यू लेने के बाद ऑन फील्ड अंपायर केफैसले को हटा दिया जाना चाहिए. क्योंकि आपके पास एक ही बॉल नहीं हो सकती है, जो आउट या नॉट आउट हो. एक बार ऐसा होने के बादयह आसान और स्पष्ट होगा, फिर चाहे वो आउटहो या नॉट आउट हो.

आईसीसी के एलीट पैनल के पूर्व अंपायर डैरिल हार्पर पिछले महीने ही 'अंपायर्स कॉल' पर बैन लगाने की मांग कर चुके हैं.

सुनील गवास्कर डीआरएस को लेकर कह चुके हैं कि जब डीआरएस में खिलाड़ी आउट दिखाई दे रहा है तो अंपायर कॉल को कैसे बरकरार रखा जा सकता है. यदि अंपायर को ही एलबीडब्ल्यू का फैसला करना है तो डीआरएस की जरूरत क्या है.

खत्म हो सकता है अंपायर्स कॉल का नियम

मेरिलबॉन क्रिकेट क्लब (MCC) ही क्रिकेट के नियम बनाता है और इनका संरक्षक है. यहां क्रिकेट के नियमों पर चर्चाएं भी देखने को मिलती हैं. इस समय अंपायर्स कॉल का मुद्दा एमसीसी में भी सुनाई दे रहा है. हाल ही में एमसीसी ने एक प्रेस रिलीज में कहा है कि अंपायर कॉल को खत्म करके सीधे आउट या नॉट आउट जैसा नियम किया जा सकता है. MCC कमेटी के कई सदस्यों ने कहा कि अंपायर्स कॉल काफी कंफ्यूजिंग हैं और यह जनता को समझ ही नहीं आता. कमेटी ने यह पाया कि डीआरएस बिना अंपायर्स कॉल के सादा तरीके से आउट या नॉट आउट को लेकर ही होना चाहिए. हालांकि स्टंप्स से गेंद के लगने में अंपायर्स कॉल बनी रहेगी. इसके तहत गेंद का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा स्टंप्स पर लगना चाहिए.

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