देश के करोड़ों क्रिकेट फैंस को विश्व कप में भारत के पहले मैच का नतीजा जानने के लिए भले ही इंतजार थोड़ा ज्यादा करना पड़ा. ये देरी इसलिए हुई क्योंकि भारतीय टीम किसी तरह का ‘रिस्क’ नहीं लेना चाहती थी. वरना सच्चाई ये है कि इस मैच में आधे रास्ते पर ही भारत की जीत पक्की हो गई थी.
भारतीय टीम के मजबूत बल्लेबाजी क्रम के आगे 228 रनों का लक्ष्य किसी अप्रत्याशित मैच में ही हार के नतीजे में बदल सकता है. इस छोटे लक्ष्य के लिए भारतीय बल्लेबाजों को ना तो किसी जोखिम को लेने की जरूरत थी ना ही उन्होंने जोखिम लिया.
शिखर धवन और विराट कोहली जरूर जल्दी आउट हो गए लेकिन उसके बाद उपकप्तान रोहित शर्मा, केएल राहुल और धोनी ने संभलकर भारतीय टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया. रही सही कसर हार्दिक पांड्या ने पूरी कर दी. रोहित शर्मा ने शानदार शतक भी लगाया.
इस जीत के बाद भारतीय गेंदबाजों ने बाकी टीमों को संदेश दे दिया कि इस बार उन्हें मजबूत बैटिंग ऑर्डर वाली टीम के तौर पर नहीं बल्कि मजबूत बॉलिंग लाइन-अप वाली टीम के तौर पर देखा जाए. जसप्रीत बुमराह और युजवेंद्र चहल को वर्ल्ड कप से पहले ही विराट कोहली का ‘ट्रंप कार्ड’ माना जा रहा है. इन दोनों ने पहले ही मैच से अपना जलवा दिखाया. चहल ने तो 4 विकेट चटकाए.
चहल की कामयाबी के 3 कारण
- हवा से युजवेंद्र चहल को अच्छा ‘ड्रिफ्ट’ मिला
- उन्होंने ‘फ्लिपर’ का काफी इस्तेमाल किया
- रफ्तार में ‘वेरिएशन’ और ‘स्टंप टू स्टंप’ गेंदबाजी
इसी रणनीति के साथ गेंदबाजी की बदौलत युजवेंद्र चहल को 10 ओवर में 51 रन पर 4 विकेट मिले. वर्ल्ड कप के पहले मैच में बेहतरीन गेंदबाजी के मामले में वो दूसरे नंबर पर आ गए. मोहम्मद शमी पहले पायदान पर हैं. ये रिकॉर्ड देखिए-
- मोहम्मद शमी ने 2015 में पाकिस्तान के खिलाफ 35 रन देकर 4 विकेट लिए थे
- युजवेंद्र चहल ने 2019 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 51 रन देकर 4 विकेट लिए
- देबाशीष मोहंती ने 1999 में केन्या के खिलाफ 56 रन देकर 4 विकेट लिए थे
- अनिल कुंबले ने 1996 में केन्या के खिलाफ 28 रन देकर 3 विकेट लिए थे
युजवेंद्र चहल के जोड़ीदार कुलदीप यादव को विकेट तो 1 ही मिला, लेकिन उन्होंने 10 ओवर में 46 रन देकर अफ्रीकी बल्लेबाजों को रोके रखने का काम बखूबी किया. कुलदीप यादव ने जेपी डुमिनी का अहम विकेट लिया.
बुमराह ने दिखाया क्यों हैं नंबर वन
पिछले दो साल में विराट कोहली के बाद जिन भारतीय खिलाड़ियों की चर्चा सबसे ज्यादा हुई है उसमें जसप्रीत बुमराह शामिल हैं. बुमराह ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले ही मैच में दिखा दिया कि वो दुनिया के नंबर एक गेंदबाज क्यों हैं.
उन्होंने 10 ओवर में 35 रन देकर दो विकेट लिए. उन्होंने साउथ अफ्रीका के ओपनर्स को पैवेलियन का रास्ता दिखाया. हाशिम अमला जैसा अनुभवी बल्लेबाज बुमराह के सामने नहीं टिका. क्विंटन डी कॉक को तो बुमराह ने ‘ट्रैप’ करके आउट किया. डिकॉक ‘थर्ड मैन’ की दिशा में शॉट्स खेलना चाहते थे. बुमराह ने उनके लिए ‘थर्ड स्लिप’ लगाईऔर क्विंटन डि कॉक वहीं लपके गए. उनका कैच कप्तान विराट कोहली ने लपका.
डि कॉक के विकेट के लिए विराट कोहली को भी ‘क्रेडिट’ मिलना चाहिए क्योंकि ‘फील्ड प्लेसमेंट’ उन्होंने ही किया था. भुवनेश्वर कुमार ने भी जसप्रीत बुमराह का साथ अच्छी तरह दिया. उन्होंने 10 ओवरों में 44 रन देकर 2 विकेट लिए. भुवी की गेंदबाजी में ‘स्लोवर’ गेंदों की ‘वेराइटी’ देखने को मिली.
जाधव-पांड्या ने दूर की परेशानी
आखिर में बात पांचवें गेंदबाज की. विराट कोहली के लिए इस विश्व कप में यही सबसे ज्यादा फायदे की बात है. उनके पास हार्दिक पांड्या हैं. जो अगर अपने कोटे के दस ओवर ना भी फेंके तो भी कोई परेशानी की बात नहीं है, क्योंकि उनके कोटे के बचे हुए ओवरों को फेंकने के लिए कोई ना कोई और गेंदबाज प्लेइंग 11 में जरूर होगा.
साउथ अफ्रीका के खिलाफ वो गेंदबाज थे केदार जाधव. जिन्होंने 4 ओवर में सिर्फ 16 रन दिए. यानि हार्दिक पांड्या और केदार जाधव को मिलाकर जो 10 ओवर फेंके गए, उसमें 47 रन ही बने. ये प्लान पूरे वर्ल्ड कप में देखने को मिलेगा.
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