नई भारतीय टीम 2009, 2010 और 2018 की सेमीफाइनल की असफलता को पीछे छोड़ते हुए इस बार महिला टी20 वर्ल्ड कप में नया इतिहास रचना चाहेगी और इसके लिए उसे टूर्नामेंट की शुरुआत में ही मुश्किल चुनौती से पार पाना होगा. शुक्रवार 21 फरवरी से ऑस्ट्रेलिया में शुरू हो रहे वर्ल्ड कप में भारत का मुकाबला मौजूदा चैंपियन मेजबान ऑस्ट्रेलिया से होगा.
चार बार की वर्ल्ड कप चैंपियन के खिलाफ भारतीय टीम सिडनी के शोग्राउंड स्टेडियम पर अपने अभियान का आगाज करेगी और इसी मैच के साथ वर्ल्ड कप की शुरुआत भी होगी.
ऐतिहासिक टी-20 फाइनल की रेस में भारत को कई सकारात्मक चीजों का समर्थन प्राप्त है क्योंकि टीम अच्छी स्थिति में है और सब कुछ सही रहा तो फाइनल में आस्ट्रेलिया से भिड़ सकती है.
नए चेहरे, खेलने के नए तरीके और मैदान पर आक्रामक रुख से भारत को एक बड़ा लक्ष्य बोर्ड पर टांगने में मददगार साबित हो सकता है. टीम में इस बार कई ऐसे बल्लेबाज हैं, जो इस फॉर्मेट की जरूरत के मुताबिक तेजी से बल्लेबाजी करने की काबिलियत रखते हैं.
टॉप ऑर्डर पर निर्भर बैटिंग
कप्तान हरमनप्रीत का यह सातवां टी20 वर्ल्ड कप है. उन्होंने 2009 में डेब्यू किया था और उस टीम की अभी तक खेलने वाली इकलौती सदस्य हैं.
भारत को अगर अच्छा स्कोर करना है तो शीर्ष बल्लेबाजों को ज्यादा से ज्यादा बल्लेबाजी करनी होगी. पूर्व कप्तान मिताली राज के टी-20 से संन्यास लेने के बाद से टीम की बल्लेबाजी पर असर पड़ा और इस वर्ल्ड कप में उनकी कमी खल सकती है.
राज को हालांकि धीमी बल्लेबाजी के लिए कोसा जाता था, लेकिन इस बल्लेबाज ने 2006 से 2019 तक के अपने टी-20 करियर में 89 मैचों में 17 अर्धशतकों की मदद से 2,364 रन बनाए हैं वो भी 103 के स्ट्राइक रेट से.
हालांकि अब टीम के पास ओपनिंग में स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा जैसे खिलाड़ी हैं, तो विस्फोटक बैटिंग के लिए जाने जाते हैं. स्मृति मंधाना 2 वर्ल्ड कप खेल चुकी हैं और उन्हें बड़े टूर्नामेंटों के दबाव का अनुभव भी हो चुका है.
वहीं तीसरे नंबर पर जेमिमा रॉड्रिग्ज से भी टीम को बड़ी उम्मीदें हैं. अपने अब तक के करियर में जेमिमा ने लगातार अच्छे और तेज रन बनाए हैं.
मिडिल ऑर्डर और बॉलिंग में है टेंशन
मध्य क्रम में भारतीय कप्तान हरमनप्रीत और दीप्ति शर्मा अपने खेल से टीम को फायदा पहुंचा सकती हैं. विकेटकीपर तानिया भाटिया और हरलीन देओल बड़े शॉट्स लगा सकती हैं लेकिन दोनों को विकेट पर जमने के लिए समय चाहिए होता है और यहीं से बुरी खबर शुरू होती है.
मिताली राज के विकल्प के तौर पर देखी जाने वाली वेदा कृष्णामूर्ति के खेल में निरंतरता नहीं दिखती और इसलिए उन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता.
उन्होंने 2011 से लेकर अभी तक अपने टी-20 करियर में 821 रन बनाए हैं जिसमें सिर्फ दो अर्धशतक शामिल हैं. उनकी फील्डिंग के कारण हालांकि वह टीम के लिए काफी उपयोगी साबित होती आई हैं.
वहीं गेंदबाजी में झूलन गोस्वामी की कमी भी भारत को खलेगी. तेज गेंदबाजी भारत की कमजोरी है, लेकिन टीम का स्पिन अटैक बेहतरीन है. पूनम यादव किफायती गेंदबाजी के साथ टीम के गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व कर रही हैं, जबकि दीप्ति शर्मा, राधा यादव और राजेश्वरी गायकवाड़ भी कमाल कर सकती हैं.
अगर भारत को अपना पहला टी20 वर्ल्ड कप फाइनल खेलना है तो तीन चीजों का ख्याल रखना होगा. बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच परिपक्वता, स्पिनरों पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना होगा और फील्डिंग में रन बचाना होगा और हाफ चांसेस को अपने पक्ष में लाना होगा.
टीमें
भारत : हरमनप्रीत कौर (कप्तान), तानिया भाटिया, हर्लिन देयोल, राजेश्वरी गायाकवाड़, ऋचा घोष, वेदा कृष्णामूर्ति, स्मृति मंधाना, शिखा पांडे, पूनम यादव, अरुंधती रेड्डी, जेम्मिहा रोड्रिगेज, शेफाली वर्मा, दीप्ती शर्मा, पूजा वास्त्राकर, राधा यादव.
ऑस्ट्रेलिया : मेग लेनिंग (कप्तान), रेचल हायंस, एरिन बर्न्स, निकोला कैरी, एश्ले गार्डनर, एलिसा हीली, जेस जोनासन, डेलिसा किममिंसे, सोफी मोलिनेयुक्स, बेथ मूनी, एलिस पैरी, मेगन शट, मॉली स्ट्रानो, एनाबेल सदरलैंड, जॉर्जिया वारेहैम, मॉली स्ट्रानो,
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