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IND vs ENG: युवा कंधे मजबूत, 'विराट' खालीपन नहीं हुआ महसूस.. कैसे टूटा 'बैजबॉल' का तिलिस्म?

India vs England: भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों सीरीज में 4-1 से कब्जा जमा लिया है.

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India Vs England Test Series: भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों सीरीज में 4-1 से कब्जा जमा लिया है. भारत ने इस सीरीज के पहले मुकाबले में मिली हार के बाद शानदार वापसी करते हुए लगातर चार मुकाबले जीते हैं.

हालांकि इस सीरीज को जीतना आसान नहीं था. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत के सामने टेस्ट क्रिकेट की एक मजबूत टीम मानी जाने वाली इंग्लैंड थी. भारत के पास एक ऐसी टीम थी जिनके लगभग आधे खिलाड़ियों के पास टेस्ट क्रिकेट में या तो बहुत कम अनुभव था या फिर वह डेब्यू कर रहे थे. इसके बावजूद टीम ने 'बैजबॉल' टीम को हराकर यह दिखाया कि भारत का गढ़ भेदना इतना मुश्किल क्यों है.

IND vs ENG: युवा कंधे मजबूत, 'विराट' खालीपन नहीं हुआ महसूस.. कैसे टूटा 'बैजबॉल' का तिलिस्म?

  1. 1. अनुभवी खिलाड़ियों के बिना चमकी भारतीय टीम

    इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में भारतीय टेस्ट टीम के कई अनुभवी खिलाड़ी शामिल नहीं थे. इसमें सबसे प्रमुख नाम विराट कोहली का है. विराट कोहली निजी कारणों से इस सीरीज में नहीं खेल पाए थे. विराट कोहली भारतीय टेस्ट टीम के मध्यक्रम के रीढ़ माने जाते हैं. कोहली को 113 टेस्ट मैचों का अनुभव है. वह टेस्ट क्रिकेट में 49.16 को औसत से 8848 रन बना चुके हैं, जिनमें सात दोहरा शतक, 29 शतक और 30 अर्धशतक शामिल हैं. कोहली के बिना भारतीय टेस्ट टीम का मध्यक्रम कमजोर माना जाता है. हालांकि इस सीरीज में युवा खिलाड़ियों ने कोहली की कमी महसूस नहीं होने दी.

    भारतीय टीम के मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज के एल राहुल भी इस सीरीज फिट नहीं होने के कारण पहले मुकाबले के बाद टीम से बाहर हो गए थे. इसके बाद ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम कमजोर हो जाएगी. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. बल्कि टीम ने इसके बाद और अच्छा खेल दिखाया और लगातार 4 मुकाबले एकतरफा जीते.

    भारतीय टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी इस सीरीज से चोटिल होने के कारण बाहर थे. शमी भारतीय गेंदबाजी लाइन-अप के शीर्ष गेंदबाज हैं. इंग्लैंड के खिलाफ पहले मैच में शमी की कमी दिखाई दे रही थी. हालांकि भारतीय टीम के लिए एक अच्छी बात यह रही कि इस सीरीज में टीम के स्पिनरों का प्रदर्शन काफी प्रभावी रहा. इस सीरीज में भारतीय स्पिनरों ने कुल 69 विकेट चटकाए.

    यदि भारतीय टेस्ट टीम के और अनुभवी खिलाड़ी की बात करें तो अजिंक्य रहाणे का जिक्र करना भी जरुरी होता है. रहाणे ने अपने बेहतरीन और धैर्य की बल्लेबाजी से भारतीय मध्यक्रम को कई बार संभाला है. हालांकि उन्हें पिछले सात महीनों से खराब परफॉर्मेंस की वजह से टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल पाई है. लेकिन ये कहना पूरी तरफ सही नहीं होगा कि यदि उनका फॉर्म यदि कुछ समय से खराब है तो खेलने को क्षमता खत्म हो गई है या करियर खत्म हो गया है. क्योंकि क्रिकेट में एक कहावत है " फॉर्म इज टेम्पररी- बट क्लास इज परमानेंट."

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  2. 2. यंग खिलाड़ी बनें भारतीय टेस्ट टीम की नई उम्मीद

    भारतीय टीम के यंग खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शनों से सभी का दिल जीता है. और इस सूची में टीम के ओपनर बैटर यशस्वी जायसवाल का नाम सबसे आगे है. जायसवाल टेस्ट टीम की एक नई उम्मीद बनकर उभरे हैं. जायसवाल ने बेहतरीन बैटिंग से इस सीराज के हर मुकाबले में टीम को एक अच्छी शुरूआत दिलायी. जायसवाल को इस सीरीज में बेस्ट प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया. जायसवाल ने पांच मैचों की इस सीरीज में रिकॉर्ड 712 रन बनाएं. जिनमें दो दोहरा शतक और तीन अर्द्धशतक लगाए.

    इंग्लैंड के खिलाफ इस सीरीज में सरफराज खान ने भी अपने प्रदर्शन से टेस्ट टीम में जगह पक्की करने की दावेदारी पेश कर दी है. इस सीरीज से टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाले सरफराज ने अपने पहले ही मैच के प्रदर्शन से अपनी छाप छोड़ दी. उन्होंने अपने पहले मुकाबले के दोनों पारियों में तेज अर्द्धशतकीय पारियां खेली. सरफराज ने इस सीरीज में 50 की औसत से 200 रन बनाएं.

    विकेट कीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने भी इस सीरीज मे अपने परफॉर्मेंस से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. जुरेल ने अपने डेब्यू मैच में जिस हिसाब से संभल कर बल्लेबाजी की उसके बाद से उनकी चर्चा सभी क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर होने लगी है. जुरेल अपने टेस्ट करियर के दूसरे ही मैच में अपने प्रदर्शन से प्लेयर ऑफ द मैच भी चुने गए. हाल के समय में भारतीय टेस्ट टीम में कोई परमानेंट विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं होने के कारण क्रिकेट फैंस उनकी टीम में जगह पक्की होने की उम्मीद लगा रहे हैं.

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  3. 3. भारतीय टीम का एकजुट प्रदर्शन

    इस पूरे सीरीज की अगर बात की जाए तो पहले मुकाबले को छोड़कर भारतीय टीम ने एक बेहतरीन प्रदर्शन किया. इस सीरीज में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं रहा जिनका प्रदर्शन पूरी तरह से निराशजनक रहा हो. सब ने किसी ना किसी मैच में टीम की जरूरत के अनुसार प्रदर्शन किया है. भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने इस सीरीज में रन बनाने के मामले में चौथे नंबर पर रहे. उन्होंने इस सीरीज में 44 की औसत से 400 रन बनाएं. वहीं शुभमन गिल ने 452 रन बनाएं.

    भारतीय फिरकी के आगे पस्त 'बैजबॉल'

    भारतीय स्पिनरों के आगे बैजबॉल टीम पूरे सीरीज में घुटने टेकते नजर आई. भारतीय अनुभवी स्पिनर आर अश्विन ने इस सीरीज में सबसे ज्यादा 26 विकेट झटके. वहीं 'सर' जडेजा ने चार मैचों में 19 विकेट अपने नाम किए. इसके अलावा कुलदीप यादव के खाते में 19 विकेट गए.

    वहीं अगर तेज गेंदबाजों की बात करें तो जसप्रीत बुमराह ने भी इस सीरीज में कमाल की गेंदबाजी करते हुए 19 विकेट चटकाए. हालांकि बुमराह के अलावा तेज गेंदबाजों का प्रभाव कोई खास नजर नहीं आया. मोहम्मद सिराज के खाते में चार मैचों में मात्र 6 विकेट आए.

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अनुभवी खिलाड़ियों के बिना चमकी भारतीय टीम

इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में भारतीय टेस्ट टीम के कई अनुभवी खिलाड़ी शामिल नहीं थे. इसमें सबसे प्रमुख नाम विराट कोहली का है. विराट कोहली निजी कारणों से इस सीरीज में नहीं खेल पाए थे. विराट कोहली भारतीय टेस्ट टीम के मध्यक्रम के रीढ़ माने जाते हैं. कोहली को 113 टेस्ट मैचों का अनुभव है. वह टेस्ट क्रिकेट में 49.16 को औसत से 8848 रन बना चुके हैं, जिनमें सात दोहरा शतक, 29 शतक और 30 अर्धशतक शामिल हैं. कोहली के बिना भारतीय टेस्ट टीम का मध्यक्रम कमजोर माना जाता है. हालांकि इस सीरीज में युवा खिलाड़ियों ने कोहली की कमी महसूस नहीं होने दी.

भारतीय टीम के मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज के एल राहुल भी इस सीरीज फिट नहीं होने के कारण पहले मुकाबले के बाद टीम से बाहर हो गए थे. इसके बाद ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम कमजोर हो जाएगी. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. बल्कि टीम ने इसके बाद और अच्छा खेल दिखाया और लगातार 4 मुकाबले एकतरफा जीते.

भारतीय टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी इस सीरीज से चोटिल होने के कारण बाहर थे. शमी भारतीय गेंदबाजी लाइन-अप के शीर्ष गेंदबाज हैं. इंग्लैंड के खिलाफ पहले मैच में शमी की कमी दिखाई दे रही थी. हालांकि भारतीय टीम के लिए एक अच्छी बात यह रही कि इस सीरीज में टीम के स्पिनरों का प्रदर्शन काफी प्रभावी रहा. इस सीरीज में भारतीय स्पिनरों ने कुल 69 विकेट चटकाए.

यदि भारतीय टेस्ट टीम के और अनुभवी खिलाड़ी की बात करें तो अजिंक्य रहाणे का जिक्र करना भी जरुरी होता है. रहाणे ने अपने बेहतरीन और धैर्य की बल्लेबाजी से भारतीय मध्यक्रम को कई बार संभाला है. हालांकि उन्हें पिछले सात महीनों से खराब परफॉर्मेंस की वजह से टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल पाई है. लेकिन ये कहना पूरी तरफ सही नहीं होगा कि यदि उनका फॉर्म यदि कुछ समय से खराब है तो खेलने को क्षमता खत्म हो गई है या करियर खत्म हो गया है. क्योंकि क्रिकेट में एक कहावत है " फॉर्म इज टेम्पररी- बट क्लास इज परमानेंट."

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यंग खिलाड़ी बनें भारतीय टेस्ट टीम की नई उम्मीद

भारतीय टीम के यंग खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शनों से सभी का दिल जीता है. और इस सूची में टीम के ओपनर बैटर यशस्वी जायसवाल का नाम सबसे आगे है. जायसवाल टेस्ट टीम की एक नई उम्मीद बनकर उभरे हैं. जायसवाल ने बेहतरीन बैटिंग से इस सीराज के हर मुकाबले में टीम को एक अच्छी शुरूआत दिलायी. जायसवाल को इस सीरीज में बेस्ट प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया. जायसवाल ने पांच मैचों की इस सीरीज में रिकॉर्ड 712 रन बनाएं. जिनमें दो दोहरा शतक और तीन अर्द्धशतक लगाए.

इंग्लैंड के खिलाफ इस सीरीज में सरफराज खान ने भी अपने प्रदर्शन से टेस्ट टीम में जगह पक्की करने की दावेदारी पेश कर दी है. इस सीरीज से टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाले सरफराज ने अपने पहले ही मैच के प्रदर्शन से अपनी छाप छोड़ दी. उन्होंने अपने पहले मुकाबले के दोनों पारियों में तेज अर्द्धशतकीय पारियां खेली. सरफराज ने इस सीरीज में 50 की औसत से 200 रन बनाएं.

विकेट कीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने भी इस सीरीज मे अपने परफॉर्मेंस से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. जुरेल ने अपने डेब्यू मैच में जिस हिसाब से संभल कर बल्लेबाजी की उसके बाद से उनकी चर्चा सभी क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर होने लगी है. जुरेल अपने टेस्ट करियर के दूसरे ही मैच में अपने प्रदर्शन से प्लेयर ऑफ द मैच भी चुने गए. हाल के समय में भारतीय टेस्ट टीम में कोई परमानेंट विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं होने के कारण क्रिकेट फैंस उनकी टीम में जगह पक्की होने की उम्मीद लगा रहे हैं.

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भारतीय टीम का एकजुट प्रदर्शन

इस पूरे सीरीज की अगर बात की जाए तो पहले मुकाबले को छोड़कर भारतीय टीम ने एक बेहतरीन प्रदर्शन किया. इस सीरीज में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं रहा जिनका प्रदर्शन पूरी तरह से निराशजनक रहा हो. सब ने किसी ना किसी मैच में टीम की जरूरत के अनुसार प्रदर्शन किया है. भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने इस सीरीज में रन बनाने के मामले में चौथे नंबर पर रहे. उन्होंने इस सीरीज में 44 की औसत से 400 रन बनाएं. वहीं शुभमन गिल ने 452 रन बनाएं.

भारतीय फिरकी के आगे पस्त 'बैजबॉल'

भारतीय स्पिनरों के आगे बैजबॉल टीम पूरे सीरीज में घुटने टेकते नजर आई. भारतीय अनुभवी स्पिनर आर अश्विन ने इस सीरीज में सबसे ज्यादा 26 विकेट झटके. वहीं 'सर' जडेजा ने चार मैचों में 19 विकेट अपने नाम किए. इसके अलावा कुलदीप यादव के खाते में 19 विकेट गए.

वहीं अगर तेज गेंदबाजों की बात करें तो जसप्रीत बुमराह ने भी इस सीरीज में कमाल की गेंदबाजी करते हुए 19 विकेट चटकाए. हालांकि बुमराह के अलावा तेज गेंदबाजों का प्रभाव कोई खास नजर नहीं आया. मोहम्मद सिराज के खाते में चार मैचों में मात्र 6 विकेट आए.

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