हो सकता है कि आप इस हेडिंग को दोबारा पढ़े. ये भी संभव है कि आप अपने आप से ये सवाल पूछें कि क्या वाकई मौजूदा भारतीय गेंदबाजों को दुनिया के सबसे घातक गेंदबाजी यूनिट के तौर पर देखा जा सकता है.
पिछले कुछ महीनों में टीम इंडिया के प्रदर्शन के आधार पर इस सवाल का जवाब आपको ‘हां’ में मिलेगा. अगर कुछ फीसदी क्रिकेट फैंस ऐसे हैं, जो इस सवाल के जवाब को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं, तो उस भ्रम को हम साफ कर देते हैं.
शुरुआत तो यहीं से करते हैं कि भारत ने न्यूजीलैंड को तीसरे वनडे में 7 विकेट से हराकर 5 वनडे मैचों की सीरीज पर कब्जा कर लिया है. ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में हराने के बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ भी सीरीज जीतना एक बहुत बड़ी कामयाबी है. न्यूजीलैंड की मौजूदा टीम ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले बेहतर टीम है.
माना जा रहा था कि मुकाबले टीम इंडिया के लिए आसान नहीं रहेंगे. लेकिन तीनों मैच में भारतीय टीम ने एकतरफा जीत हासिल की है, जिसका श्रेय भारतीय गेंदबाजी यूनिट को जाता है. इन तीनों मैचों के रिजल्ट को देख लें, फिर बात को आगे बढ़ाएंगे. ध्यान देने वाली बात जीत और हार का अंतर है.
इस तरह कीवियों को भी घर में चटाई धूल
- तीसरे वनडे में भारत 7 विकेट से जीता
- दूसरे वनडे में भारत को 90 रनों से मिली जीत
- पहले वनडे में भी 8 विकेट से जीता भारत
क्यों बेस्ट है मौजूदा बॉलिंग लाइन-अप?
इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं हैं. बस मैच के नतीजों में छिपे तथ्यों को तलाशने की जरूरत है. भारतीय गेंदबाजों ने इस सीरीज के तीनों मैचों में न्यूजीलैंड की टीम को एक बार भी 250 रनों तक के आंकड़े को छूने नहीं दिया.
पहले मैच में कीवियों का स्कोर था-156 रन. दूसरे मैच में बड़ी मुश्किल से 234 रनों के आंकड़े तक मेजबान टीम पहुंची. तीसरे मैच में भी स्कोर 243 तक ही पहुंच पाया. दिलचस्प बात ये भी है कि इन तीनों ही मैचों में भारतीय गेंदबाजों ने मेजबान टीम को पूरे पचास ओवर बल्लेबाजी भी नहीं करने दी. अब जरा इन तीन मैचों में भारतीय गेंदबाजों के प्रदर्शन का आंकड़ा देख लीजिए.
गेंदबाजों में अच्छे प्रदर्शन की होड़
लगे हाथ ये भी बता देते हैं कि यही चारों गेंदबाज सीरीज में अब तक सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में पहले चार पायदान पर कब्जा किए हुए हैं. न्यूजीलैंड के गेंदबाजों का नंबर इसके बाद आता है.
इन आंकड़ों में छिपे एक और तथ्य को देखिए. इन भारतीय गेंदबाजों का संदेश साफ है. आप चाहे तेज पिच दीजिए या स्पिन फ्रैंडली विकेट दीजिए. इन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता. ये गेंदबाज उस विकेट पर मेजबान टीम के गेंदबाजों के मुकाबले ज्यादा जल्दी खुद को ढाल ले रहे हैं.
यही वजह है कि अब तक खेले गए तीन वनडे में से दो में गेंदबाज को मैन ऑफ द मैच चुना गया है. वो गेंदबाज हैं- मोहम्मद शमी.
भारतीय गेंदबाजी यूनिट को ‘बेस्ट’ घोषित करने में हम कोई जल्दीबाजी नहीं दिखा रहे. इसके पीछे ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में खत्म हुई सीरीज का प्रदर्शन भी है, जहां भारत ने टेस्ट और वनडे सीरीज में जीत दर्ज करके इतिहास रचा था.
थोड़ा और पहले चलें, तो इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में 2018 में भारतीय गेंदबाजों ने लाजवाब प्रदर्शन किया था. इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम ने 1-1 टेस्ट मैच में जीत भी हासिल की थी.
गेंदबाजी के मामले में लकी हैं कोहली
कीवियों के खिलाफ इस सीरीज में जसप्रीत बुमराह को आराम दिया गया है. इसके अलावा पहले दो मैचों में हार्दिक पांड्या भी मैदान में नहीं उतरे थे. इसके बाद भी भारतीय गेंदबाजों ने मेजबानों को खुलकर बल्लेबाजी करने का मौका नहीं दिया है.
जाहिर है विराट कोहली यूं ही एक बात बार-बार नहीं दोहराते कि वो गेंदबाजों के मामले में बहुत भाग्यशाली कप्तान हैं. उनके गेंदबाजों ने लगातार ये बात साबित की है.
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