भारतीय महिला क्रिकेट टीम आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में उतरने को तैयार है. भारतीय टीम के सामने हैं इंग्लैंड की टीम. वो इंग्लैंड, जिसने 2009 में हुआ पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता था. वो टीम, जिसने 2018 के सेमीफाइनल में भारत को हराया था.
2018 के सेमीफाइनल में हार से पहले भी भारतीय महिला टीम 2 बार टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंची थी- 2009 और 2010. तब भी भारतीय टीम सेमीफाइनल में ही हारी थी. यानी भारत को तीनों बार सेमीफाइनल में हार झेलनी पड़ी.
मौजूदा वर्ल्ड कप में भारत ने ग्रुप स्टेज के अपने चारों मैच जीते, जबकि इंग्लैंड ने सिर्फ 3. इस लिहाज से भारतीय टीम का पलड़ा भारी दिखता है. इसके बावजूद 2 ऐसी वजह हैं, जो भारत पर एक बार फिर भारी पड़ सकती हैं.
पहला, भारतीय टीम की बैटिंग. दूसरा, इंग्लैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप में रिकॉर्ड.
पहला- टूर्नामेंट में बैटिंग खराब
भारतीय टीम इस वर्ल्ड कप में भले ही अपने चारों मैच जीत चुकी है, लेकिन उसका श्रेय खासतौर पर गेंदबाजों को जाता है. स्पिनर पूनम यादव, राजेश्वरी गायकवाड़, राधा यादव और तेज गेंदबाज शिखा पांडे ने पूरे वर्ल्ड कप में अभी तक कमाल किया हुआ है.
लेकिन टीम की असली चिंता बैटिंग है. भारत के लिए सिर्फ ओपनर शेफाली वर्मा ही शानदार बल्लेबाजी कर पाई है.
16 साल की इस ओपनर ने हर मैच में भारत को धुआंधार शुरुआत दिलाई. इस टूर्नामेंट में 4 पारियों में शेफाली ने 161 रन बनाए हैं, जो भारत के लिए सबसे ज्यादा हैं, जबकि टूर्नामेंट में तीसरे सबसे ज्यादा.
लेकिन शेफाली के अलावा और को भी बल्लेबाज प्रभावित नहीं कर पाया. जेमिमा रॉड्रिग्ज और दीप्ति शर्मा ने कुछ अहम पारियां खेलीं, लेकिन दोनों की बैटिंग बेहद धीमी रही है.
टीम को सबसे ज्यादा परेशान स्मृति मंधाना और कप्तान हरमनप्रीत कौर की खराब फॉर्म ने किया है. दोनों इस टूर्नामेंट में अभी तक पूरी तरह फ्लॉप रहे हैं. तानिया भाटिया और वेदा कृष्णमूर्ति भी औसत ही रही हैं.
सेमीफाइनल में हमेशा खराब बैटिंग का इतिहास
अब ये तो स्वाभाविक है कि सेमीफाइनल जैसे मैच में टीम के बल्लेबाजों का चलना बेहद अहम है. ये इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि पिछले तीनों सेमीफाइनल में भारत की हार का बड़ा कारण टीम की खराब बैटिंग रही.
- 2009 में पहली बार सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से हुआ था. न्यूजीलैंड की टीम ने पहले बैटिंग करते हुए 146 रन का मजबूत लक्ष्य रखा था. भारतीय टीम इसके जवाब में लक्ष्य के करीब पहुंचना तो दूर 100 रन भी पूरे नहीं कर पाई. टीम ने 20 ओवर में 9 विकेट गंवाए और सिर्फ 93 रन बनाए. हरमनप्रीत कौर उस मैच का हिस्सा थीं 0 पर ही आउट हो गई थीं.
- इसके बाद 2010 में भारत के सामने थी ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम. एक बार फिर टीम की बैटिंग ने निराश किया. पहले बैटिंग करते हुए भारतीय टीम 20 ओवर में सिर्फ 119 रन ही बना पाई. ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से ये लक्ष्य हासिल कर लिया.
- तीसरी और आखिरी बार 2018 में भारत की टक्कर सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हुई. इस बार भी स्क्रिप्ट वही. बैटिंग में फेलियर. पहले बैटिंग करते हुए भारतीय टीम सिर्फ 112 रन बना सकी. स्मृति मंधाना और जेमिमा रॉड्रिग्ज की अच्छी पारी खेली, लेकिन वो नाकाफी थीं. इंग्लैंड ने बिना किसी परेशानी के जीत दर्ज की.
दूसरा- इंग्लैंड के खिलाफ रिकॉर्ड
2018 के सेमीफाइनल में हार के बाद एक बार फिर भारत को इंग्लैंड से ही जूझना पड़ेगा. वो सेमीफाइनल अकेला ऐसा मैच नहीं है, जहां भारत को इंग्लैंड के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा हो.
असल में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप में भारत का रिकॉर्ड बेहद खराब है. दोनों टीमें वर्ल्ड कप में अब तक 4 बार भिड़ी हैं और चारों बार भारत को निराश ही होना पड़ा है.
- भारतीय टीम को 2009 के पहले टी20 वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज में ही इंग्लैंड से 10 विकेटों से करारी हार का सामना करना पड़ा था. इंग्लैंड ने उसी साल चैंपियन बना था.
- इसके बाद फिर से 2012 में इंग्लैंड से मुकाबला हुआ और इस बार भारतीय टीम को नौ विकेट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी.
- 2014 के ग्रुप स्टेज मैच में भी हालात नहीं बदले और भारत को इंग्लैंड के हाथों ही पांच विकेट से हार का सामना करना पड़ा था.
- 2018 के अपने सबसे अहम मैच में भारत को फिर इंग्लैंड से भिड़ना पड़ा. टूर्नामेंट के सेमीफाइल में इंग्लैंड ने भारत को आठ विकेटों से हरा दिया.
अब ऐसे में भारतीय टीम के सामने इंग्लैंड को मात देना आसान नहीं होने वाला. हालांकि वर्ल्ड कप से पहले हुई त्रिकोणीय सीरीज में भारत ने इंग्लैंड को एक मैच में हराया था. इस बार टीम इंडिया अपने पुराने सभी हिसाब पूरे कर सकती है, बस टीम की बैटिंग कुछ कमाल कर दे.
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