दिल्ली कैपिटल्स की टीम अपने 5 में से 4 मुकाबले जीतकर अंक तालिका में नंबर 2 पर है तो वहीं राजस्थान रॉयल्स की टीम भी नंबर 2 पर है, लेकिन नीचे से! दोनों टीमों के लिए शुक्रवार को होने वाले मैच में जीत के साझा लक्ष्य को छोड़ दें, तो इरादे बिलकुल अलग-अलग हैं. जहां दिल्ली की टीम जीत हासिल करके मुंबई इंडियंस को भी अंक-तालिका में पछाड़ कर नंबर 1 बनना चाहती है तो रायल्स को लगातार चौथी हार को किसी तरह से टालने की मजबूरी है.
मैच-विनर्स की फौज बनाम चुनिंदा हीरो
अगर ऑलराउंडर हर्शल पटेल को छोड़ दिया जाए तो दिल्ली की प्लेइंग इलेवन के 10 खिलाड़ी सिर्फ अपने बूते मैच का रुख बदल सकते हैं. लेकिन, रायल्स पर गौर फरमाएं तो जोस बटलर,स्टीव स्मिथ और संजू सैमसन और जोफ्रा आर्चर के बाद कोई नाम ऐसा नहीं है, जिसकी जगह प्लेइंग इलेवन में पक्की है. अब किसी दिन राहुल तेवतिया जैसा तुक्का लग जाए तो वो अलग बात है!
शुक्रवार और शारजाह!
एक जमाना था जब शुक्रवार को शारजाह में भारत-पाकिस्तान का मैच होता था तो पाकिस्तान को इस मैदान पर खेलने का एक खास फायदा होता था. आईपीएल में पाकिस्तान तो नहीं है, लेकिन यहां के छोटे मैदानों पर आसानी से छक्के लगाकर 2 में से 2 मैच जीतने वाली रायल्स इसे आईपीएल सीजन 13 में अपना किला बनाने में जुटी हुई है.
वैसे, आईपीएल में ये कोई नई बात नहीं है जब एक टीम मैदान विशेष पर हर मैच जीतकर प्ले-ऑफ में पहुंचने की उम्मीदों को मजबूत करती है. चेन्नई पिछले एक दशक से चेपॉक से यही फायदा उठा रही है और राजस्थान ने भी 2008 में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में इसी फॉर्मूले का ईजाद किया था.
लेकिन चाहकर भी रायल्स 2008 का जयपुर वाला फार्मूला 2019 में दोहरा नहीं सकती है क्योंकि ये उनका इस पसंदीदा मैदान पर तीसरा और आखिरी मैच है. हां, इस मैदान पर तीनों मैच जीतकर वो पाकिस्तान की तरह अपनी बादशाहत की शेखी जरूर बघार सकते हैं.
औसतन शारजाह में आईपीएल में हर मैच में 28 छक्के लगे हैं तो आबू-धानी और दुबई के मैचों में यह औसत घटकर 11 पर आ जाता है.
छ्क्के वाले मैदान पर चौका लगाना भी नहीं संभव !
दिल्ली के स्पिनर अक्सर पटेल और आर अश्विन को राजस्थान के बल्लेबाज टारगेट कर सकते हैं क्या? ऐसा करने से पहले उन्हें दो-बार सोचना जरूर पड़ेगा, क्योंकि पटेल के खिलाफ तो अब तक टूर्नामेंट में किसी ने छक्का नहीं लगाया है और उनका इकनॉमी रेट (4.6 रन प्रति ओवर) का इस आईपीएल में बेस्ट है जिन्होंने कम से कम 10 ओवर की बॉलिंग की है. पटेल के अलावा दिल्ली के सारे स्पिनर ने मिलकर सिर्फ 14 चौके ही खाए हैं तो ये दिखाता है कि सिर्फ तेज गेंदबाज नहीं स्पिनर के मोर्चे पर भी रायल्स उन्नीस नहीं 18 पड़ते हैं.
(20 साल से अधिक समय से क्रिकेट कवर करने वाले लेखक की सचिन तेंदुलकर पर पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है. Twitter @Vimalwa पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं)
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