चैंपियन खिलाड़ी वही होता है जो समय और मौके के लिहाज से खुद को अपग्रेड करता रहता है. आईपीएल 2021 में शिखर धवन और रविचंद्रन अश्विन की जोड़ी इसी बात को साबित करने के लिहाज से हर मैच में खेल रही है. और इस वजह से ये दोनों दिग्गज एक तीर से साथ-साथ कई शिकार भी कर रहें हैं.
कोहली ने धवन को स्थिरता के लिए ‘उकसाया’
धवन भले ही पंजाब के खिलाफ 8 रन के चलते शतक से चूक गयें हो लेकिन अब उनके पास ओरेंज कैप है यानि कि टूर्नामेंट में फिलहाल उनसे ज्यादा रन किसी ने नहीं बनाए हैं. जिस फॉर्म में धवन चल रहे हैं और जो दृढ़ता उनके खेल में दिख रही है, उससे नहीं लगता कि कोई इनसे इस रेस में आगे निकल पाएगा. लेकिन, धवन के खेल में खासकर टी20 फॉर्मेट में ऐसी निरंतरता और आक्रामकता की वजह क्या है?
उनके टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली. जब से कोहली ने इस बात को खुलकर कहा है कि वो आने वाले टी20 वर्ल्ड कप में खुद ओपन करेंगे ये बात बहुत लोगों को खटक रही है. हो सकता है ये बात धवन को भी अजीब लग रही हो जिन्होंने ताउम्र ओपनिंग ही की है. वो बायें हाथ के तौर पर विविधता भी देते हैं और रोहित शर्मा के साथ उनकी जोड़ी भी शानदार जमती है. और तो और आईसीसी टूर्नामेंट में उनका बल्ला और तेजी से हल्ला बोलता है. इसके बावजूद कप्तान कोहली धवन की हौसला-अफजाई के बजाए खुद के लिए बेहतर स्थान पाने की कोशिश में जुटे हैं.
2016 से ही हर सीजन धवन हर आईपीएल में करीब 500 रन या उससे ज्यादा रन बना रहे हैं. पिछले साल तो गब्बर ने लगातार 2 शतक लगाकर इतिहास रचा और ये मुकाम हासिल करन वाले पहले खिलाड़ी बने और साथ ही सीजन में 618 रन बनाए जो ऑरेंज कैप वाले राहुल से 52 रन ही कम थे. धवन ने पिछले कुछ सालों में अपने खेल में नए स्ट्रोक्स जोड़े हैं और ये दिखाया है कि वो आज भी किसी युवा से कम नहीं है और कामयाबी को लेकर वो उतने ही भूखे हैं.
कुलचा’ नहीं अश्विन पर दिखाना होगा भरोसा ?
धवन की ही तरह गेंदबाजी के मोर्चे पर अश्विन भी कुछ ऐसा ही कमाल कैपिटल्स के लिए कर रहे हैं. पंजाब के खिलाफ अश्विन ने विकेट तो नहीं लिया लेकिन सिर्फ 28 रन (4 ओवर में) खर्च करके उन्होंने दिखाया कि वो टीम की जरुरत के लिए हर तरह की भूमिका निभा सकते हैं. अगर टीम को पावर-प्ले में नई गेंद से विकेट की जरुरत है तो वो भी वो करेंगे. अगर पावर-प्ले में रन रोकना है तो उसके लिए भी सहज हैं और डेथ ओवर्स में भी वो अपने अनुभव का इस्तेमाल करेंगे. जिस अश्विन को पिछले 4 साल से ‘कुलचा’ यानि कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल के चलते सफेद गेंद के क्रिकेट में पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया था आज वो दोनों संघर्ष करते दिख रहे हैं.
दोनों खिलाड़ियों का बीसीसीआई के सालाना करार में डिमोशन तो हुआ ही है, वहीं आईपीएल में भी अपनी अपनी टीमों के लिए वो उतने प्रभावशाली भूमिका में नहीं दिख रहे हैं. चहल को तीन मैच खेलने के बाद 1 विकेट मिला तो कुलदीप को कोलकाता लगातार प्लेइंग इलेवन में शामिल करने से हिचकिचा रही है.
ये ठीक है कि आज भी अश्विन को बड़ी चुनौती उन्हीं के राज्य के वाशिंगटन सुंदर से मिल रही है लेकिन जिस तरह से कोहली ने आईपीएल से ठीक पहले अश्विन की दावेदारी को एकदम से खारिज कर दिया था वो बात इस सीनियर खिलाड़ी को भी अच्छी नहीं लगी होगी. और धवन की ही तरह अपने शानदार खेल से अश्विन अपने इंडिया कप्तान के अलावा चयनकर्ताओं को भी ये संदेश देने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि अगर आईपीएल में शानदार खेल से युवाओं को टीम इंडिया में जगह मिल जाती है तो अनुभवी खिलाड़ियों का दावा भी फिर से ज़िंदा हो सकता है?
सेल्फ प्रोमोशन-मार्केटिंग नहीं करना जाता है खिलाफ?
आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप 10 गेंदबाजों की सूची और सबसे किफायती 10 गेंदबाजों की सूची में शामिल होने वाले अश्विन इकलौते भारतीय हैं. ये दिखाता है कि अश्विन हर फन के माहिर हैं.
अगर धवन से ज्यादा अर्धशतक आईपीएल के इतिहास में किसी भी बल्लेबाज ने नहीं लगाए हैं तो जीत के लक्ष्य का पीछा करते हुए भी 18 अर्धशतक का कमाल किसी बल्लेबाज ने नहीं दिखाया है. धवन के नाम आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा चौके लगाने का रिकॉर्ड भी है. अगर ऐसे रिकॉर्ड कोहली या रोहित शर्मा के नाम होते तो सोशल मीडिया में इन दिग्गजों के फैन और इनकी आर्मी ने आग लगा दी होती लेकिन धवन के लिए इन उपलब्धियों को गिनाने वाले जानकार भी कम दिखेंगे.
क्योंकि दिलेर धवन सेल्फ प्रोमोशन और मार्केटिंग के लिए नहीं जाने जाते हैं और यही बात अश्विन के बारें में भी कही जा सकती है. लेकिन, अगर धवन के बल्ले और अश्विन की गेंद के चलते डेलही पहली बार चैंपियन बनने में कामयाब होती है तो क्या कोहली या भारतीय चयनकर्ता इस जोड़ी को अक्टूबर में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए नजरअंदाज कर पाएंगे?
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