2004 से शुरू हुआ क्रिकेट का एक बेहद खास युग आज खत्म हो गया. भारतीय क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने संन्यास का ऐलान कर दिया. भारत को 2 वर्ल्ड कप जिताने वाले क्रिकेट के सबसे शानदार कप्तानों में से एक धोनी ने अपने 15 साल के क्रिकेट करियर पर पर्दा गिरा दिया. हालांकि धोनी इस साल आईपीएल खेलेंगे.
महेंद्र सिंह धोनी ने अपने संन्यास का ऐलान इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर किया. जिसमें उन्होंने लिखा-
“आपके प्यार और समर्थन का धन्यवाद, आज 7:29 के बाद मुझे रिटायर समझा जाए.”
धोनी ने अपने इंस्टाग्राम पर जो वीडियो शेयर किया उसमें उन्होंने अपनी पुरानी यादों को दिखाया. साथ ही बैकग्राउंड में “मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है” गाना प्ले हो रहा है.
धोनी ने 30 दिसंबर 2014 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था, लेकिन वनडे और टी-20 में टीम की कप्तानी करते रहे. 2016 टी-20 वर्ल्ड कप में टीम को सेमीफाइनल में मिली हार के बाद उन्होंने लिमिटेड ओवर में भी कप्तानी से इस्तीफा दे दिया.
अपने करियर में धोनी अभी तक हर फॉर्मेट में मिलाकर 17,266 रन बना चुके हैं, जिनमें 16 शतक और 108 अर्धशतक शामिल हैं. 38 वर्ष के धोनी ने भारत के लिये 350 वनडे, 90 टेस्ट और 98 टी20 खेले हैं. वह विकेट के पीछे 829 बल्लेबाजों को शिकार बना चुके हैं. धोनी ने वनडे में एक विकेट भी लिया है.
‘0’ से शुरू हुआ था करियर
23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मैच में उतरे लंबे बालों वाले धोनी उस वक्त बिना किसी पहचान वाले खिलाड़ी थे. जो घरेलू क्रिकेट पर नजर रखते रहे हों, सिर्फ वो ही उनके बारे में कुछ जानते थे.
टीम इंडिया में आने से पहले धोनी ‘इंडिया ए’ टीम के साथ केन्या दौरे पर गए थे, जहां ट्राइएंगुलर सीरीज में उन्होंने अपने बल्ले से जोरदार प्रदर्शन किया था और फिर सेलेक्टर्स की निगाहें उनकी ओर मुड़ी थीं.
हालांकि, धोनी की शुरुआत किसी बुरे सपने से कम नहीं रही. अपने पहले ही मैच में सिर्फ एक गेंद खेलकर वो रन आउट हो गए. वो भी बिना खाता खोले. अगले 2 मैच में भी धोनी सिर्फ 12 और 7 रन ही बना सके.
अब इसे उस दौर की टीम इंडिया में एक अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज की कमी कहें, या धोनी की क्षमता पर टीम मैनेजमेंट का भरोसा, धोनी को पाकिस्तान के खिलाफ 2005 की घरेलू वनडे सीरीज में भी मौका मिल गया.
उस पारी के बाद रांची से निकले इस सुपरस्टार ने दुनिया की क्रिकेट पर राज किया और अपने ‘कैप्टन कूल’ अंदाज से टीम को इंडिया को दो बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया.
सीरीज के दूसरे मैच में कप्तान सौरव गांगुली ने धोनी को तीसरे नंबर पर भेजने का फैसला लिया. उस एक फैसले के बाद इतिहास पूरी तरह से बदल गया. विशाखापत्तनम में हुए इस मैच में धोनी ने सिर्फ 123 गेंद में 148 रन ठोक डाले थे.
इसके बाद तो बस धोनी युग की शुरुआत भारतीय क्रिकेट में हो गई. धीरे-धीरे टेस्ट टीम में धोनी ने अपनी जगह बनाई और 2007 आते-आते 26 साल के धोनी को भारतीय टीम की कमान मिल गई.
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