ADVERTISEMENTREMOVE AD

MS Dhoni Birthday: कैप्टन कूल के 5 मास्टरस्ट्रोक जिन्होंने मैच का रुख पलट दिया

Mahendra Singh Dhoni गुरुवार, 7 जुलाई को अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) गुरुवार, 7 जुलाई को अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं. वह खेल के इतिहास में एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिन्होंने सभी तीन आईसीसी व्हाइट-बॉल टूर्नामेंट - टी20 विश्व कप (ICC White Ball Tournament- T-20 World Cup), एकदिवसीय विश्व कप (ODI World Cup) और चैंपियंस ट्रॉफी (Champions Trophy) जीते हैं. हर मैच में जीत हासिल करने के लिए उन्होंने अपनी शानदार स्ट्रेटजी का उपयोग किया है. सीमित ओवरों के क्रिकेट में अपनी सफलता के अलावा, वह भारत को पहली बार विश्व की नंबर एक रैंकिंग वाली टेस्ट टीम बनाने में भी सफल रहे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जन्मदिन पर जानिए कि उन्होंने अपनी टीम को बड़ी जीत दिलाने के लिए कौन से 5 शानदार फैसले लिए जिसने उनके कट्टर फैंस तक को भी अचरज में डाल दिया था.

टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा को दिया 

भारत पहले टी20 विश्व कप फाइनल में पूरे समय ड्राइविंग सीट पर था, लेकिन अंत में मिस्बाह-उल-हक के कारण मैच हारने का खतरा मंडरा रहा था. आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन चाहिए थे और मिस्बाह अभी भी क्रीज पर थे. धोनी ने आखिरी ओवर में जोगिंदर शर्मा की अनुभवहीन मध्यम गति के साथ उतरने का साहसी निर्णय लिया. मैच के बाद, धोनी ने स्पष्ट किया कि जोगिंदर शर्मा पर उनके भरोसे के कारण यह निर्णय लेना आसान था.

"मैंने सोचा कि मुझे किसी ऐसे व्यक्ति को गेंद फेंकने देनी चाहिए जो वास्तव में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता है. जोगी ने वाकई बहुत अच्छा काम किया"

शर्मा ने पहली गेंद बेहतरीन यॉर्कर फेंकी और फिर दो गेंद बाद मिस्बाह का विकेट ले लिया. भारत पहला ही टी20 विश्व कप जीत चुका था.

0

2013 चैंपियंस ट्रॉफी में इशांत शर्मा को गेंद देना

साल 2013. चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में एजबेस्टन की धीमी सतह पर इंग्लैंड 130 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहा था. ऐसे में धोनी को अपने संसाधनों का सही उपयोग करने की आवश्यकता थी. धोनी ने अंग्रेजी बल्लेबाजों को रोकने के लिए रवींद्र जड़ेजा और आर अश्विन की अपनी भरोसेमंद स्पिन जोड़ी का इस्तेमाल किया. इंग्लैंड को 18 में से 28 रन की जरूरत थी. हैरानी की बात यह थी कि धोनी ने गेंद ईशांत शर्मा को दी, जो 16वें ओवर में 11 रन दे चुके थे. निर्णय संदिग्ध लग रहा था. इशांत ने इस ओवर में दो वाइड फेंके, लेकिन जल्द ही इशांत ने धीमी गेंद से मोर्गन को चकमा दे दिया. इसके बाद उन्होंने अगली गेंद पर रवि बोपारा का विकेट लिया, सेट बल्लेबाजों को आउट किया और भारत को जीत दिलाई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2011 विश्व कप फाइनल में खुद को नंबर 5 पर प्रमोट करना

शायद कप्तान के रूप में धोनी का ये सबसे प्रसिद्ध और चतुर निर्णय होगा. उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 2011 विश्व कप फाइनल में खुद को उस समय भारत के टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी युवराज सिंह से पहले प्रोमोट किया. तीसरे विकेट के गिरने के बाद भारत को अभी भी 160 रन बनाने थे. तब गौतम गंभीर का साथ देने से उनके फैसले का मतलब था कि श्रीलंका की ऑफ-स्पिनिंग तिकड़ी को दो बाएं हाथ के बल्लेबाजों को गेंदबाजी करने और भारत पर दबाव बनाने का मौका नहीं मिला. धोनी ने खुद को समय दिया और अनुकूल मुकाबलों का फायदा उठाकर भारत को जीत दिलाई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लॉर्ड्स में ईशांत शर्मा की बाउंसर की बौछार

भारत को इंग्लैंड में परिणाम पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. लेकिन 2014 दौरे के दूसरे टेस्ट में स्थिति बदल गई, जहां धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने लॉर्ड्स में जीत हासिल करने के लिए वापसी की. इंग्लैंड के हाथ में 6 विकेट थे और केवल 140 रनों की आवश्यकता थी. ऐसे में वे खुद को प्रबल दावेदार मान रहे थे - लेकिन धोनी की कुछ और ही प्लानिंग थी. उन्होंने ईशांत को शॉर्ट-पिच गेंदों से हमला करने के लिए कहा. यह योजना सफल हुई क्योंकि ईशांत ने अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ आंकड़े (7/74) के साथ मैच को समाप्त किया और भारत को 95 रन की यादगार जीत दिलाई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पोलार्ड को जब चकमा दिया

ऐसा लगता है कि एमएस धोनी को यह बात पता रहती है कि उनके फील्डर्स को किस बल्लेबाज के खिलाफ कहां रहना है और यह 2010 के आईपीएल फाइनल में स्पष्ट हो गया था. सीएसके आगे थी, लेकिन शक्तिशाली कीरोन पोलार्ड लगातार गेम पलट देने की चुनौती देते दिख रहे थे . वे 9 गेंदों पर 27 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे और उनकी टीम को आगे 7 गेंदों पर 27 रन बनाने थे. पोलार्ड हमेशा सामने की बाउंड्री को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे थे. इसे भांपते हुए, धोनी ने मैथ्यू हेडन को सर्कल के अंदर मिड-ऑफ पर रखा, लेकिन सामान्य से अधिक सीधा. प्लान था कि पोलार्ड एक बड़े हिट के लिए जाएंगे और यहां कैच थमा बैठेंगे. धोनी ने राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स के साथ 2017 के फाइनल में पोलार्ड के खिलाफ यही चाल चली थी. इस बार पोलार्ड ने गेंद को सीधा ड्राइव किया और बॉउंड्री पर कैच थमा बैठे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×