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धोनी है सदा के लिए, टीम से कभी रिटायर नहीं होगा माही का ‘मिडास टच’

धोनी का मैनेजमेंट फंडा सिर्फ क्रिकेटरों के ही नहीं, बाकी पेशेवर भी अपना सकते हैं.

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माही, कैप्टन कूल. महेंद्र सिंह धोनी को देश कई नामों से पुकारता है लेकिन सब उन्हें एक काम के लिए याद करते हैं और करते रहेंगे-भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना. और ये ऊंचाइयां सिर्फ उनकी जीती ट्रॉफियों के कारण नहीं मिली हैं. माही ने इंटरनेशनल क्रिकेट से भले ही संन्यास ले लिया लेकिन उन्होंने इंडियन क्रिकेट को जो दिया है, वो परमानेंट है. वो कभी रिटायर नहीं हो सकता.

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हाल के दिनों में माही के साथ जो बर्ताव हुआ या जैसा कि कहा जा रहा था कि हुआ, उसको लेकर उनके मन में कोई टीस थी, कह नहीं सकते. जाने का ऐलान भी अपने कूल अंदाज में ही कर गए. क्या कह गए, आप खुद तौलिए. इस लिंक को क्लिक करके सुनिए अंदाज-ए-बयां.

धोनी ने टीम इंडिया को याद दिलाया कि हम फिर विश्व चैंपियन बन सकते हैं. हम पूरी दुनिया से बेहतर हो सकते हैं. और धोनी जब क्रिकेट में भारत को ये यकीन दिला रहे थे तो क्रिकेट से अलग भी देश की हिम्मत बढ़ा रहे थे. छोटे शहर से, मामूली बैकग्राउंड से आने वाले हर यूथ को प्रेरित कर रहे थे कि छोटे शहर से हो तो क्या हुआ, कमियों के बीच हो तो क्या हुआ, आगे बढ़ो, तुम दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर सकते हो.

धोनी का मैनेजमेंट फंडा सिर्फ क्रिकेटरों के ही नहीं, बाकी पेशेवर भी अपना सकते हैं.

खेल में एग्रेसिव लेकिन कूल हेड. कोई ताज्जुब नहीं कि धोनी को परेशान करने की कोशिश करने वाले क्रिकेटर परेशान हो जाते हैं. उन्होंने न सिर्फ आने वाले भारतीय कप्तानों को कप्तानी की नई परिभाषा दी है बल्कि विश्व क्रिकेट में भी एक नई थ्योरी चला दी. अपने फैसलों पर अडिग, बाकियों को जो फैसले अटपटे लगें, उन्हीं की बदौलत करिश्माई जीत हासिल करना जैसे धोनी की आदत है.

2007 वर्ल्ड कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा को देकर पूरे देश की धड़कनें रोक देना और फिर चैंपियन बन जाना कौन भूल सकता है. आज भारतीय क्रिकेट के कई कलंदर, माही की खोज हैं. जर्सी नीली हो या पीली, माही वे हर जगह कारगर. जिस चीज को हाथ लगाया उसी के लिए पारस हो गए. माही का मिडास टच.
धोनी का मैनेजमेंट फंडा सिर्फ क्रिकेटरों के ही नहीं, बाकी पेशेवर भी अपना सकते हैं.

'मैनेजमेंट गुरू' माही

धोनी का मैनेजमेंट फंडा सिर्फ क्रिकेटरों के ही नहीं, बाकी पेशेवर भी अपना सकते हैं. कोई शख्स कैसे मल्टीटास्किंग हो सकता है, ये धोनी सिखाते हैं. कैसे आगे से लीड किया जा सकता है, धोनी सिखाते हैं. अपनी टीम पर कैसे भरोसा करते हैं, ये धोनी से सीख सकते हैं. कैसे अपनी टीम के सबसे फिसड्डी से बेस्ट निकाल सकते हैं, ये धोनी की प्लेबुक से कॉपी कर कोई कामयाबी पा सकता है. और इतनी कामयाबियों के बाद भी कैसे विनम्र रहा जा सकता है, ये धोनी से सीख सकते हैं. मैनेजमेंट और पर्सनालिटी की किताबें उठा लीजिए, जो तमाम चीजें वहां कठिन शब्दों में मिलेंगी, वो धोनी के व्यक्तित्व में सहज सुलभ हैं.

  • धोनी की कमी खलती है, टीम की बस में उनकी सीट पर कोई नहीं बैठता - जनवरी 2020 में युजवेंद्र चहल
  • धोनी की तरह कभी कोई नहीं मिला. धोनी सर्वकालिक महान फिनिशर- आस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज माइक हसी
  • धोनी हों तो कोच की कमी नहीं खलती - भारतीय स्पिनर कुलदीप यादव
  • धोनी मेरे मेंटॉर - ऋषभ पंत
  • रोहित शर्मा आज जहां हैं, उसका कारण महेंद्र सिंह धोनी हैं- गौतम गंभीर
  • धोनी आदर्श हैं, उनसे काफी कुछ सीखा : इंग्लैंड के विकेटकीपर-बल्लेबाज जोस बटलर
  • मैंने जितने बल्लेबाज देखे उनमें धोनी सबसे ताकतवर -भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रैग चैपल
  • मैच की स्थिति भांपना धोनी की सबसे बड़ी ताकत -दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर
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धोनी के प्रति फैन्स की वफादारी का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 2019 वर्ल्ड कप सेमिफाइनल में आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने के बाद आराम कर रहे धोनी का नाम जब जनवरी 2020 में बीसीसीआई ने सालाना कॉन्ट्रैक्ट की लिस्ट से निकाल दिया तो उसे खूब खरी खोटी सुननी पड़ी. कोई ताज्जुब नहीं कि धोनी के क्रिकेटर रहते ही उनपर फिल्म बनती है, सुपरहिट होती है और उनका किरदार निभाने वाला एक्टर इस एक रोल के लिए सबसे ज्यादा जाना जाने लगता है.

बल्लेबाजी करते हुए 'हेलीकॉप्टर' चलाना. विकेट के पीछे जिमनास्ट बन जाना. हारी हुई बाजी जीत लाना. ये सब क्रिकेट प्रेमी और माही के मुरीद बहुत मिस करेंगे. गनीमत है कि माही घरेलू क्रिकेट की पिच पर डटे  हैं. उम्मीद है उनके कारनामे आंखों को अभी और सुकून देंगे. हम खुशकिस्मत हैं कि क्रिकेट के उस स्वर्णिम युग में हैं, जो धोनी का युग है.

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