ADVERTISEMENTREMOVE AD

पार्थिव पटेल, जिनके शानदार टेम्परामेंट के तेंदुलकर भी मुरीद थे!

पटेल ने हाल ही में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

पिछले हफ्ते ही पार्थिव पटेल का फोन आया और उन्होंने बताया कि वह क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना चुके हैं. मैं चौंका बिल्कुल नहीं क्योंकि वह पिछले कुछ सालों से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रहे थे. मुझे एक बात जो पटेल में हमेशा अच्छी लगी कि वह हर बातचीत में मौजूदा टेस्ट विकेटकीपर रिद्धिमान साहा को खुद से बेहतर ही नहीं, बल्कि भारत का सबसे बेहतरीन कीपर कहते रहे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उनके बारे में एक और अच्छी बात यह लगी कि उन्हें महेंद्र सिंह धोनी के रुतबे से कभी कोई शिकायत नहीं रही. हमेशा उन्होंने कहा कि धोनी तो ऑल टाइम ग्रेट हैं और हमारी तुलना हो ही नहीं सकती. ऐसा कहने के लिए उस खिलाड़ी का दिल बहुत बड़ा होना चाहिए क्योंकि ये बात किसी से छिपी तो नहीं है कि अगर धोनी भारतीय क्रिकेट में आकर नहीं छा जाते तो शायद पटेल को 65 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेलने का मौका मिलता.

पटेल ने बातचीत के दौरान एक और दिलचस्प बात बताई. मैंने उनसे पूछा कि अगर कोई एक बात या एक लम्हा हमेशा आपके जेहन में ताजा रहेगा तो वो क्या होगा-

2002 नॉटिंघम टेस्ट के दौरान सचिन तेंदुलकर की तारीफ, तपाक से जवाब आया. पटेल के मुताबिक, अपना पहला टेस्ट खेलने के बाद जब वह ड्रेसिंग रुम में लौटे तो तेंदुलकर उनके बगल में बैठे और बड़े इत्मिनान से उनके साथ कुछ देर वक्त बिताया. उस दौर में तेंदुलकर का किसी युवा खिलाड़ी को इतना समय देना बड़ी बात मानी जाती थी.

तेंदुलकर ने पार्थिव से कहा कि वह उनके टेम्परामेंट से काफी प्रभावित हुए. आखिर होते भी क्यों ना? बिना कोई फर्स्ट क्लास मैच खेलने के अनुभव के पटेल जब इंग्लैंड में एक शानदार आक्रमण के खिलाफ पहला टेस्ट खेले तो पहली पारी में शून्य पर पवेलियन लौटे लेकिन पहली पारी की निराशा और दबाव का असर दूसरी पारी में बल्लेबाजी पर बिल्कुल नहीं दिखा क्योंकि तब उन्होंने मैच बचाने वाली 19 रनों की नॉट आउट पारी खेली जिसके चलते टीम इंडिया 2002 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में बराबरी करके देश लौटी.

पटेल ने मुझे बताया कि तेंदुलकर के वो शब्द उनके लिए हीरे से भी ज्यादा कीमती धरोहर हैं. वो शानदार टेम्परामेंट ही था जिसने पटेल को 13 साल के आईपीएल में 6 टीमों के साथ खेलने का मौका दिया जिसमें से 3 के साथ वह चैंपियन भी बने. मुंबई इंडियंस के पराक्रमी इतिहास की गाथा जब भी लिखी जाएगी तो कुछ सीजन पहले ओपनर के तौर पर सबसे ज्यादा रन बन वाले पटेल का जिक्र जरूर होगा.

0
लेकिन, पार्थिव का क्रिकेट में सबसे बड़ा योगदान अपने राज्य गुजरात की क्रिकेट के लिए याद किया जाएगा. आज जिस जसप्रीत बुमराह की तारीफ करते लोग थकते नहीं हैं उनकी प्रतिभा को पहचानने और तराशने में पटेल का योगदान कौन भूल सकता है? आखिर पटेल ही थे जिनसे जॉन राइट ने पूछा था कि अजीब एक्शन वाले इस गुजराती लड़के के बारे में उनकी राय क्या है. पार्थिव के जवाब को सुनने के बाद ही राइट ने आनन-फानन में उसी रात बुमराह का करार मुंबई इंडियंस के साथ पक्का कर दिया.

अगर अपना पहला रणजी मैच खेलने से पहले कोई खिलाड़ी 19 टेस्ट मैच खेल ले तो निश्चित तौर पर वह खास ही रहा होगा. ठीक है कि वह धोनी की तरह नहीं था लेकिन भारतीय क्रिकेट जो नयन मोंगिया, एमएसके प्रसाद, सबा करीम, विजय दाहिया, समीर डिघे , दीपदास गुप्ता और अजय रात्रा के दौर से बाहर निकलकर एक लंबा सफर तय करने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश कर रहा था तो पटेल ही वो उम्मीद की नई किरण बनकर उभरे थे. पटेल धोनी की तरह भारतीय क्रिकेट में सूरज तो नहीं बन पाए लेकिन वह दीपक भी नहीं थे.

सबसे बड़ी बात यह है कि पार्थिव ने दिखाया कि अगर शुरुआती कामयाबी के बाद जिंदगी में नाकामी भी मिलती है तो उसे कैसे शालीन तरीके से स्वीकार किया जाता है और एक नई राह भी तैयार की जा सकती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×