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ओपनिंग की रेस में पृथ्वी आगे या शुभमन? या होगा कोई ‘डार्क हॉर्स’?

शुभमन गिल और पृथ्वी शॉ को भारतीय टीम में ओपनर के तौर पर शामिल किया गया है

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न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज के आखिरी मैच में रोहित शर्मा को चोट लगने का टीम इंडिया को कितना नुकसान हुआ है, वो सिर्फ वनडे सीरीज में क्लीन स्वीप से नहीं समझा जा सकता. इसका अंदाजा लगाने के लिए भारतीय टीम की मौजूदा समस्या को समझना जरूरी है. 21 फरवरी से टेस्ट सीरीज शुरू होनी है और टीम की ओपनिंग जोड़ी का समाधान अभी तक निकलता नहीं दिख रहा है.

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रोहित शर्मा को पिछले साल ही साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम का ओपनर बनाया गया था. साउथ अफ्रीका के खिलाफ 3 और फिर बांग्लादेश के खिलाफ 2 टेस्ट में रोहित ने बेहतर प्रदर्शन किया.

इससे टीम इंडिया की परेशानी सुलझ तो गई, लेकिन जब टीम के लिए और खुद रोहित के लिए सबसे मुश्किल चुनौती आई, तो रोहित की चोट ने स्थिति को और खराब कर दिया.

टीम में मयंक अग्रवाल एक ओपनर हैं ही. उनके जोड़ीदार के तौर पर पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल (रिजर्व ओपनर) में से किसे मौका मिलेगा, सारी नजरें इस पर ही हैं. पृथ्वी हर फॉर्मेट में अपनी सभी टीमों (भारत, रणजी, IPL, मुंबई लीग) के लिए ओपनर की जिम्मेदारी निभाते हैं, जबकि शुभमन गिल ने ओपनिंग सहित अलग-अलग स्थानों पर बैटिंग की है और हर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है.

बतौर ओपनर दोनों के प्रदर्शन और उनकी मजबूतियों पर नजर डालते हुए समझते हैं कि टीम इंडिया के लिए कौन बेहतर विकल्प हो सकता है या कोई और खिलाड़ी ये जिम्मेदारी निभा सकता है-

पृथ्वी शॉ

अंडर-17 और अंडर-19 स्तर से ही पृथ्वी सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाते रहे हैं. इस रोल में भारतीय घरेलू क्रिकेट में मौजूदा वक्त में बेहद कम खिलाड़ी हैं जो पृथ्वी शॉ को टक्कर दे सकते हैं. चाहे कोई भी फॉर्मेट हो, पृथ्वी का खेलने का तरीका एक ही है. वो गेंदबाज को हावी होने का मौका नहीं देते और खुद ही हमलावर होते हैं.

वनडे और टी20 में सलामी बल्लेबाजी की तेज बल्लेबाजी सामान्य और जाहिर सी बात है, लेकिन जब शॉ टेस्ट में भी उसी अंदाज में पारी की शुरुआत करते हैं, तो याद आती है, एक और पूर्व भारतीय ओपनिंग बैट्समैन की- वीरेंद्र सहवाग.

सहवाग ने क्रिकेट को हमेशा एक ही अंदाज में खेला और कुछ वही अंदाज पृथ्वी का भी है. पृथ्वी का ये अंदाज उनकी ताकत है और इसके दम पर ही 20 साल के शॉ ने अपने छोटे से फर्स्ट क्लास करियर में ही जबरदस्त प्रदर्शन किया है.

शॉ के नाम 20 फर्स्ट क्लास मैचों में 2 हजार से ज्यादा रन और 60 से ज्यादा का औसत है. इसमें शॉ ने 9 शतक भी जड़े हैं. ये सारे रन शॉ ने ओपनिंग करते हुए ही बनाए हैं.

ऐसे में शॉ मौजूदा हालात में टीम इंडिया के लिए शॉ से बेहतर विकल्प कोई दिखता नहीं है. शॉ ने भारत के लिए 2 टेस्ट मैच भी खेले हैं. अपने पहले ही टेस्ट में शॉ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ शतकीय पारी खेली थी.

शॉ ने इस साल रणजी में अभी अच्छा प्रदर्शन किया. मुंबई के इस बल्लेबाज ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना पहला दोहरा शतक जड़ा.

ऐसे में शॉ का ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी का अनुभव और उनका आक्रामक रुख मुश्किल हालातों में भी गेंदबाजों को बैकफुट पर डालने में मददगार हो सकता है. कुछ वैसा ही जैसे सहवाग ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में किया.

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शुभमन गिल

2018 की अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता टीम में पृथ्वी शॉ के साथी. वर्ल्ड कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे शुभमन गिल ने 2017 में ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना डेब्यू कर लिया था. अपने दूसरे ही रणजी मैच में शतक जड़ने वाले शुभमन ने वर्ल्ड कप के बाद भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन को जारी रखा.

वर्ल्ड कप और उसके बाद ज्यादातर मौकों पर, खासतौर पर लिमिटेड ओवर क्रिकेट में शुभमन को अलग-अलग तीसरे या चौथे नंबर पर बैटिंग करते ही देखा गया है. हालांकि रणजी ट्रॉफी में शुभमन ज्यादातर मौकों पर अपनी टीम पंजाब के लिए ओपनिंग ही करते रहे हैं.

शुभमन मौजूदा युवा क्रिकेटरों में से तकनीकी रूप से काफी मजबूत और बेहतर नजर आते हैं. टेस्ट फॉर्मेट के हिसाब से देखा जाए, तो वो एक काफी हद तक ‘टेक्स्ट बुक’ अंदाज में बल्लेबाजी करते हैं. इस मामले में वो पृथ्वी शॉ से भी आगे दिखते हैं.

शुभमन के पास रुककर लंबे समय तक बल्लेबाजी करने की काबिलियत है. शुभमन ने अपने दूसरे ही रणजी सीजन की शुरुआत में दोहरा शतक जड़कर दिखाया भी था कि वो टीम इंडिया में एंट्री के लिए तैयार हैं.

शुभमन ने अभी तक 21 फर्स्ट क्लास मैचों में 2100 से ज्यादा रन बनाए हैं, जिसमें 7 शतक भी शामिल हैं. खास बात ये है कि शुभमन इस वक्त भी अच्छी फॉर्म में हैं. न्यूजीलैंड ए के खिलाफ अनाधिकारिक टेस्ट में उन्होंने दोहरा शतक जड़ा था. हालांकि इसमें वो ओपनिंग के लिए नहीं उतरे थे.

दूसरे मैच में शुभमन ने ओपनिंग में भी शतक जड़ कर साबित कर दिया कि वो इस जिम्मेदारी के लिए फिट भी हैं और तैयार भी.

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डार्क हॉर्स

टीम इंडिया में एक-एक जगह के लिए कम्पटीशन जरूर है. ऐसे में जाने-पहचाने दावेदारों के अलावा भी कुछ डार्क हॉर्स दावेदार भी हैं, जो किसी भी स्थिति में टीम को जरूरी विकल्प दिला सकते हैं.

इस पर बात इसलिए जरूरी है क्योंकि टेस्ट सीरीज से पहले इकलौते अभ्यास मैच में भारतीय टीम में ओपनिंग के तीनों दावेदार, शुभमन गिल (0), पृथ्वी शॉ (0) और मयंक अग्रवाल (1) बुरी तरह फ्लॉप रहे.

इसके बावजूद मयंक का उतरना तय है क्योंकि टीम एक साथ 2 पूरी तरह नए ओपनरों को उतारने का खतरा नहीं ले सकती.

ऐसे में सामने आता है, हनुमा विहारी का नाम. इंडिया ए के कप्तान विहारी घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बना रहे हैं. विहारी ने न्यूजीलैंड ए के खिलाफ पहले मैच में मिडिल ऑर्डर में ही उतरते हुए शतक जड़ा और फिर दूसरे मैच में शुभमन के साथ ओपनिंग में उतरते हुए अर्धशतक भी जड़ा.

खास बात ये है कि हनुमा विहारी पहले भी टीम को ओपनिंग की मुसीबत से बाहर निकाल चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2018-19 की टेस्ट सीरीज के दौरान विहारी को एक मैच के लिए ओपनिंग के लिए भेजा गया था और विहारी ने खुद को साबित भी किया.

उस मैच में विहारी के पार्टनर थे मयंक अग्रवाल. ऐसे में विहारी और मयंक की जोड़ी एक बार फिर दिख जाए, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. वैसे भी विहारी ने लगातार रन बनाकर टीम मैनेजमेंट पर टीम में शामिल किए जाने के लिए अपना दबाव बढ़ाया है.

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