इंग्लैंड ने रविवार को लॉडर्स मैदान पर खेले गए फाइनल में न्यूजीलैंड को सुपर ओवर में मात दे आईसीसी विश्व कप-2019 का खिताब अपने नाम कर लिया है. 23 साल बाद क्रिकेट को इसका नया चैंपियन मिला. आखिरी बार 1996 में ऑस्ट्रेलिया को हराकर श्रीलंका ने वर्ल्ड कप जीता था. उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने 4 बार और भारत ने एक बार ये खिताब जीता.
वनडे क्रिकेट के इतिहास में ये पहला सुपर ओवर था और उसमें में भी ये पहला ही मौका था जब कोई सुपर ओवर भी टाई हुआ हो. इससे पहले किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में सुपर ओवर से फैसला नहीं हुआ था.
हालांकि सुपर ओवर में भी दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहा, तो मैच का फैसला कैसे हुआ? उसके लिए शुरू से मैच को समझते हैं.
न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में 241 रन बनाए. न्यूजीलैंड के लिए हेनरी निकोल्स ने सबसे ज्यादा 55 रन, जबकि टॉम लाथम ने 47 रन बनाए.
लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड की पूरी टीम आखिरी गेंद पर 241 रन पर ऑल आउट हो गई. इंग्लैंड के लिए बेन स्टोक्स ने 98 गेंद में 84 रन बनाए और आखिर तक टिके रहेय
मैच टाई रहा और फिर फैसला सुपर ओवर से हुआ. ये 50 ओवर के क्रिकेट का पहला सुपर ओवर था. सुपर ओवर के नियम के तहत जिस टीम ने दूसरी पारी में बल्लेबाजी की, उसे ही पहले बल्लेबाजी करने का मौका मिलता है.
- इसलिए इंग्लैंड ने पहले सुपर ओवर खेला. बेन स्टोक्स और जॉस बटलर ने सुपर ओवर में 2 चौके की मदद से 15 रन बनाए.
- दूसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आई न्यूजीलैंड के लिए मार्टिन गुप्टिल और जिमी नीशम ने एक छक्के की मदद से 15 रन बनाए.
तो इंग्लैंड कैसे बना चैंपियन? इसके लिए सुपर ओवर के नियम समझने होंगे-
सुपर ओवर के नियम
- जो टीम दूसरे नंबर पर बल्लेबाजी करती है, सुपर ओवर में उसे ही पहले बल्लेबाजी करने का मौका मिलता है.
- दोनों टीमों को 6 गेंद और 3 बल्लेबाज मिलेंगे. अगर दो विकेट गिरते हैं तो ओवर वहीं खत्म हो जाता है.
- अगर सुपर ओवर में भी दोनों टीमों का का स्कोर टाई होता है, तो उसके लिए वर्ल्ड कप की ‘प्लेइंग कंडीशंस’ के मुताबिक दोनों टीमों की बाउंड्री की संख्या गिनी जाती है. यानी मुख्य इनिंग और सुपर ओवर में लगाई गई बाउंड्री की संख्या को गिना जाता है.
इंग्लैंड ने अपनी पारी में 22 चौके और 2 छक्के समेत 24 बाउंड्री जड़ी. वहीं सुपर ओवर में भी 2 चौके लगाए. इस तरह इंग्लैंड ने कुल 26 बाउंड्री लगाई. वहीं पहले बल्लेबाजी करने वाली न्यूजीलैंड की टीम ने 14 चौके और 2 छक्कों के साथ कुल 16 बाउंड्री स्कोर की, जबकि सुपर ओवर में सिर्फ एक छक्का लगाया.
इस तरह इंग्लैंड ने मुख्य पारी और सुपर ओवर में लगाई गई ज्यादा बाउंड्री के आधार पर मैच जीतकर वर्ल्ड चैंपियन का खिताब अपने नाम किया.
अगर बाउंड्री भी बराबर होती तो?
अगर सुपर ओवर में स्कोर टाई होने पर दोनों पारियों की बाउंड्री से भी फैसला नहीं होता तो, विजेता का फैसला कुछ इस तरह होता-
- जिस टीम ने अपनी मुख्य पारी (सुपर ओवर को छोड़कर) में सबसे ज्यादा बाउंड्री स्कोर की हों, वो विजेता होता.
- अगर ये भी बराबर है, तो फिर फैसला होता सुपर ओवर की आखिरी गेंद से पहली गेंद पर किए स्कोर के आधार पर. यानी दोनों टीमों के सुपर ओवर की छठी गेंद पर बनाए रन से.
मसलन, इंग्लैंड ने अपने सुपर ओवर की आखिरी गेंद पर चौका मारा, जबकि न्यूजीलैंड को आखिरी गेंद पर सिर्फ 1 रन मिला.
अगर आखिरी गेंद पर भी दोनों का स्कोर बराबर होता, तो पांचवी गेंद पर बने रन की तुलना होती.
इसी तरह पहली गेंद तक बने स्कोर की तुलना होती. जिस भी गेंद पर किसी एक टीम ने ज्यादा रन लिए हों, उसके आधार पर फैसला होता.
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