ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 के लिए 15 सदस्यीय भारतीय क्रिकेट टीम का 15 अप्रैल को ऐलान हो गया. एमएसके प्रसाद और उनकी टीम ने बेहतरीन खिलाड़ियों का चयन किया है. टीम में न तो किसी चेहरे को देखकर आश्चर्य हो रहा है और न ही किसी की लॉटरी लगी है.
कई महीनों तक कई दौर की बैठकें होती रहीं, कई कयास लगाए गए, अलग-अलग टीम कॉम्बिनेशन तैयार किए गए और कई न्यूज चैनलों और अखबारों में विचार-विमर्श हुए. वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम की रूपरेखा क्या हो, इसे लेकर देशभर के क्रिकेट प्रेमी चिंतित थे.
पिछले साल से चयनकर्ता और भारतीय टीम मैनेजमेंट भारत के कप्तान विराट कोहली के साथ टीम को अंतिम रूप देने में जुटे थे. अलग-अलग हालातों और भूमिकाओं में कई नए खिलाड़ियों पर प्रयोग किए गए. समय के साथ भारत की बैटिंग और बॉलिंग ऑर्डर में लचीलापन देखा गया. लेकिन कुछेक स्थानों के लिए कंफ्यूजन बना रहा, जिन स्थानों के कई उम्मीदवार थे.
रहाणे, पुजारा, अश्विन को भी मौका मिलना चाहिए था
मेरी सोच भी अलग नहीं थी. मैंने जो अनुमान लगाया था, वर्ल्ड कप की फाइनल टीम में उसके मुकाबले में दो बदलाव थे. मेरे जैसे कई लोगों का अनुमान गलत साबित हुआ. लिहाजा जब वर्ल्ड कप के लिए फाइनल टीम का ऐलान हुआ, तो उन्हें आश्चर्य हुआ.
मुझे अजिंक्य रहाणे, चेतेश्वर पुजारा और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ियों के लिए दिल से अफसोस है, जो भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के मजबूत स्तंभ रहे हैं. दुर्भाग्यवश चयन के कई महीनों पहले भारतीय टीम के तीनों महान खिलाड़ियों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया.
जिस प्रकार दूसरे लोगों पर प्रयोग किए गए, मुझे लगता है कि उसी प्रकार उन्हें भी निश्चित रूप से मौका मिलना चाहिए था. इन खिलाड़ियों पर ‘टेस्ट खिलाड़ी’ का ठप्पा लग गया. टीम मैनेजमेंट ही बता सकता है कि ये ठप्पा उन पर क्यों लगा.
वर्ल्ड कप हर साल नहीं होता. इसके लिए चार सालों तक इंतजार करना पड़ता है. दुनिया का कोई क्रिकेटर ऐसा नहीं है जो क्रिकेट की सबसे बड़े टूर्नामेंट में अपने देश का प्रतिनिधित्व न करना चाहे.
मेरे हिसाब से जिन खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका देना चाहिए था, वो हैं:
- शुरुआत के लिए मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ.
- मिडिल ऑर्डर के लिए अंबाति रायडु, श्रेयस अय्यर, मनीष पांडेय, शुभमन गिल, अजिंक्य रहाणे.
- स्पिन गेंदबाज अक्षर पटेल.
- विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में ऋषभ पंत.
- मध्यम गति के गेंदबाजों में उमेश यादव, खलील अहमद और नवदीप सैनी.
हालांकि, अंत में उन्हीं खिलाड़ियों को मौका मिला, जो आजमाए और जांचे-परखे हुए थे.
मैं विजय शंकर के उत्साह की तारीफ करता हूं
जो कंपटीशन चार साल पहले शुरू हुआ, उसमें दिनेश कार्तिक और विजय शंकर अव्वल रहे हैं. विजय शंकर का नाम देखकर मुझे खुशी हुई, क्योंकि पांच साल पहले मोती बाग मैदान में बड़ौदा के खिलाफ एक मैच में उसकी प्रतिभा ने मेरा ध्यान खींचा था. मैं इतना प्रभावित हुआ कि फौरन उसके नाम की सिफारिश इंडिया A के लिए की. ये उसका दुर्भाग्य था कि चोट के कारण उसे पूरे सीजन मैदान से बाहर रहना पड़ा.
मैं उसी समय से उसके उत्साह और वापसी के अंदाज की वाकई प्रशंसा करता हूं, क्योंकि जब ढेर सारे विकल्प मौजूद हों, तो वर्ल्ड कप टीम में अपनी जगह बनाना आसान नहीं.
दूसरी ओर ऋषभ पंत निश्चित रूप से मजबूत दावेदार था. खासकर जब से बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में उसकी तरक्की हुई है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में एमएस धोनी की गैरमौजूदगी में उसे दिनेश कार्तिक की जगह खेलने का मौका मिला. उस सीरीज में उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. लेकिन जब विकेटकीपर के चयन का सवाल आता है, तो बल्लेबाजी की प्रतिभा पीछे रह जाती है. इसी मामले में दिनेश कार्तिक, पंत से आगे निकल गया.
मैं दिनेश को साल 2004 में इंडिया A के दिनों से देख रहा हूं, जब मैंने टीम कोच के रूप में उसके नाम को एमएस धोनी के मुकाबले अहमियत दी थी. याद रहे कि उस समय चयनकर्ताओं ने कार्तिक और धोनी दोनों का चुनाव किया था.
घरेलू क्रिकेट में रन बनाने में कार्तिक माहिर रहे हैं. अपने पक्के इरादों के कारण कई बार उनकी वापसी हुई है, जिसका मैं कायल हूं. उनकी अंतिम वापसी सबसे जोरदार रही है.
हालांकि एक लेफ्ट हैंड बल्लेबाज के रूप में पंत की कमी खलेगी, क्योंकि शुरुआती बल्लेबाजों में सिर्फ शिखर धवन ही खब्बू बल्लेबाज हैं, लेकिन सलामी जोड़ी मजबूत है. नौ खिलाड़ियों से मैं संतुष्ट हूं, जो नियमित गेंदबाज रहे हैं और वनडे खेलों में उनका बेहतरीन प्रदर्शन रहा है. अब, जब 15 खिलाड़ियों का चयन हो चुका है और जो ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 की तैयारियों में जुटे हैं, मैं उनसे 1983 और 2011 की खुशगवार यादें दोहराने की उम्मीद रखता हूं.
सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.
(संदीप पाटिल पूर्व भारतीय क्रिकेटर, इंडियन नेशनल एज ग्रुप क्रिकेट मैनेजर और केन्या की राष्ट्रीय टीम के पूर्व कोच हैं.)
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