शेन वॉर्न, साल 1993 और ऑस्ट्रेलिया के मैनचेस्टर का ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम ये तीन चीजें क्रिकेट की उस जादूई गेंद की गवाह बनी थीं जिसे करने वाले जादूगर यानी शेन वॉर्न (Shane Warne Dies) शुक्रवार, 4 मार्च को दुनिया से विदा हो गए.
इस बुरी खबर का कारण बना एक दिल का दौरा. जैसे ही ये खबर आई फैंस से लेकर दिग्गज तक सब स्तबध रह गए. वॉर्न को आप कई चीजों के लिए याद कर सकते हैं लेकिन क्रिकेट में उनकी एक सबसे खास उपलब्धि उनकी "बॉल ऑफ द सेंचुरी" है.
"बॉल ऑफ द सेंचुरी" को नहीं मानते थे बेस्ट बॉल
1992 में डेब्यू के बाद 1993 में उनकी ये गेंद उनके एशेज में आने की घोषणा थी. इसपर उन्होंने इंग्लैंड के बल्लेबाज माइक गैटिंग को ऐसा चकमा दिया कि वो कुछ समझ ही नहीं पाए. ये गेंद इतनी घूमी कि इतिहास में "बॉल ऑफ द सेंचुरी" बन गई.
इस मुकाबले में उन्होंने विपक्षी टीम के दिग्गज बल्लेबाज माइक गैटिंग को लगभग 90 डिग्री टर्न पर गेंद को घुमाते हुए बोल्ड कर दिया था. वॉर्न ने अपनी पहली एशेज सीरीज के पांच मैचों में कुल 29 विकेट हासिल किए थे.
बाद में एक इंटरव्यू में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि वो 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' को अपनी जिंदगी का एक अहम पल मानते थे.
लेकिन इन सब के बावजूद आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि "बॉल ऑफ द सेंचुरी" उनकी फेवरेट गेंद नहीं थी, बल्कि वो खुद मानते थे कि चेन्नई में उन्होंने जो सबसे अच्छी गेंद फेंकी, वह सचिन के लिए थी, जहां उन्होंने उन्हें सेट किया और उन्हें एलबीडब्ल्यू कराया. गैटिंग का विकेट उनके अनुसार अस्थायी था.
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