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कभी हार ना मानने वाले धवन के सामने हैं इस बार पुराने दोस्त कोहली

आने वाले टी-20 वर्ल्डकप में शिखर धवन का मुकाबला ओपनिंग के लिए विराट कोहली के साथ है

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निश्चित तौर पर ओपनर शिखर धवन ने इस सीजन खुद को इतना बुलंद करने का फैसला कर लिया है कि शायद भारतीय चयनकर्ता उनसे कुछ महीनों बाद पूछें कि बता वर्ल्ड कप में खेलने के के लिए तू राजी है क्या?

आईपीएल 2021 धवन का उनकी टीम दिल्ली कैपिटल्स के लिए काफी अहम तो है ही, लेकिन उनके निजी करियर के लिए भी यह बेहद अहम है. टेस्ट क्रिकेट से तो धवन अब गायब ही हो चुके हैं. वन-डे में फिलहाल उनको कोई खतरा नहीं है. लेकिन अगर वो टी20 वर्ल्ड कप में नहीं खेल पाते, तो धवन के लिए सिर्फ ‘वन-डे क्रिकेट’ में खुद को बनाये रखना बेहद मुश्किल होगा.

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क्योंकि या तो आप चेतेश्वर पुजारा और हनुमा विहारी की तरह लाल गेंद मतलब टेस्ट क्रिकेट के विशेषज्ञ होते हैं या फिर सफेद गेंद के फनकार. किसी सीनियर खिलाड़ी टेस्ट और टी-20 से बाहर रहकर सिर्फ वनडे के लिए खेलना, भारत ही नहीं दूसरे मुल्कों में भी देखने को नहीं मिलता.

शायद यही वजह है कि धवन ने इस सीजन में अपने टी-20 खेल में नाटकीय बदलाव किए हैं. करीब 150(148.07) का स्ट्राइक रेट और 58(57.75) के औसत से अब तक 4 मैचों में 231 रन धवन की इस भूख को बयां करते हैं. धवन चाहते हैं कि अक्टबूर में होने वाले वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा का जोड़ीदार कोई और नहीं बल्कि वो खुद हों.

साल 2016 से हर आईपीएल में धवन 475 से ऊपर रन बना रहे हैं और उनका स्ट्राइक रेट भी बेहतर होता दिख रहा है. 136 (2018 और 2019) से आगे बढ़कर वे पिछले सीजन में 145 तक पहुंच गए थे. इस बार उनकी कोशिश 150 से बेहतर स्ट्राइक रेट करने की है.

लेकिन, क्या इंतजार धवन को थका तो नहीं देगा?

धवन को पता है रोहित का पार्टनर बनने के लिए एक लंबी कतार लगी है, जहां सबसे बड़ा नाम उनके दोस्त और कप्तान विराट कोहली का है. इसके बाद के एल राहुल से लेकर ईशान किशन भी हैं. ऐसे में धवन को इंतजार करने की आदत डालनी होगी.

लेकिन, धवन का करियर इस बात का गवाह है कि उन्हें इंतजार से परेशानी नहीं होती है. 2002 अंडर 19 वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनने( 505 रन, 84.16 का औसतौर 3 शतक) के बावजूद उस बैच से सुरेश रैना, रॉबिन उथप्पा और दिनेश कार्तिक धवन से काफी पहले टीम इंडिया के लिए खेल गए. लेकिन, गब्बर के चेहरे पर शिकन नहीं आयी.

नाकामी-कामयाबी को एक ही सिक्के का दो पहलू माना

धवन छक्के लगाने में रोहित शर्मा की तरह नहीं हैं, लेकिन आईपीएल के इतिहास में उनसे ज्यादा चौके किसी ने नही लगाए. यह दिखाता है कि छक्के लगाने की कमी को वो दूसरे ढंग से पूरा कर सकते हैं. ओपनर के तौर पर किसी ने IPL में उनकी तरह 5000 से ज्यादा रन नहीं बनाए हैं. आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप 3 बल्लेबाजों में उनका नाम कोहली की तरह लिस्ट में है. लेकिन, कोहली के 130 के स्ट्राइक रेट पर किसी का ध्यान नहीं जाता है जबकि धवन के 127 को तमाम जानकार धीमा करार देते हैं.

दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है...

धवन और कोहली की दोस्ती आज की नहीं बल्कि दशकों पुरानी है. सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की तरह तो नहीं, लेकिन एक मजबूत बंधन जरूर रहा है. लेकिन, वक्त की क्रूरता देखिए, जब धवन एक बार फिर टी-20 में वापसी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उनका मुकाबला किसी और खिलाड़ी से ना होकर, अपने पुराने दोस्त और कप्तान कोहली से है. जो खुद अब ओपनिंग करना चाहते हैं.

कोहली को पता है कि मौजूदा समय में सबसे अच्छी जगह बल्लेबाजी के लिए ओपनिंग ही है जहां उनके स्ट्राइक रेट पर शायद कोई सवाल नहीं उठायेगा. लेकिन ऐसे में धवन के लिए चुनौती और बढ़ गई है. आम-तौर पर अपने विचार को बेबाक तरीक से रखने वाले रोहित शर्मा ने भी इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं कहा है.
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जबकि साझेदार के तौर पर धवन के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी है. अगर कोहली को कोई ये संदेश दे सकता है कि लेफ्ट-राइट वाली उनकी और धवन की जोड़ी, अनुभव, तालमेल और कामयाबी के लिहाज से सबसे अच्छी है, तो वो रोहित ही कर सकते हैं. लेकिन अब तक रोहित भी खामोश हैं, यह बात शायद उनके दोस्त धवन को अच्छी नहीं लगी हो. लेकिन, धवन ने पूरी जिंदगी अपनी क्रिकेट दोस्ती के बूते नहीं, बल्कि खुद के भरोसे खेली है और शायद आईपीएल में वो फिर से उसी बात को साबित करने की मुहिम में जुटे हुए हैं.

पलटवार करना धवन के स्वभाव में है. जब आलोचक उन्हें खत्म मानने की भूल कर लेतें हैं, तभी ये खब्बू ओपनर हर किसी को चौंकाता है. साल 2013 तक धवन ने 27 साल पूरे कर लिए थे और करीब 6000 फर्स्ट क्लास रन बनाने के बावजूद उन्हें कोई भाव नहीं देता था क्योंकि उनके राज्य के साथी खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने ओपनिंग पोजिशन को अपना बना लिया था.

लेकिन, मोहाली में जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धवन को अचानक मौका मिला तो उन्होंने सबसे तेजतर्रार शतक ही नहीं बनाया बल्कि 34 टेस्ट खेले . इस दौरान उन्होंने 7 शतक भी बनाये हैं. टेस्ट क्रिकेट में इतने शतक युवराज सिंह और संजय मांजरेकर ने मिलकर बनाए हैं.

गब्बर नाकामी से नहीं डरते. हाल के दिनों में वे सिस्टर वी के शिवानी(ब्रहाकुमारीज) से काफी प्रभावित रहे हैं. धवन को लगता है कि जो होना है, वो तो होकर ही रहेगा. ऐसे में अपना मन क्यों अशांत रखा जाए. निश्चित तौर पर वर्ल्ड कप में वापसी के लिए वो चिंतित नहीं है. लेकिन दृढ़ हैं, क्योंकि आईसीसी का यही एक ऐसा टूर्नामेंट है, जहां उन्होंने अपनी धाक नहीं जमाई.

वन-डे वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी में उनके रिकॉर्ड को आप देखेंगे तो महसूस करेंगे कि जितना बड़ा टूर्नामेंट, धवन का खेल उतना ही बेहतर. लेकिन, यह सब तब मुमकिन होगा जब ऑरेंज कैप इस सीजन में उनसे कोई छीन ना पाए. पिछली बार 600 से ज्यादा रन बनाने वाले धवन अगर इस बार भी 600 का आंकड़ा पार करते हैं तो कोहली तो क्या, कोई भी उनकी दावेदारी को चुनौती नहीं दे सकता.

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