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कुंबले के रवि बिश्नोई ने किया कमाल, 2 करोड़ की बोली पर उठे थे सवाल

रवि बिश्नोई पापा से छिपकर खेलते थे क्रिकेट, मां ने कहा- जा बेटा, जी ले अपनी जिंदगी

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मुंबई इंडियंस को 9 विकेट से हराने में हर हेडलाइडन पंजाब के कप्तान के एल राहुल और क्रिस गेल की तारीफ करती नजर आ रही हैं. लेकिन शायद हर कोई ये भूल जाएगा कि इस जीत का आधार एक ऐसे युवा खिलाड़ी ने तैयार किया, जिसे पंजाब की टीम बेवजह बेंच पर बिठाए हुई थी.

राजस्थान के छोटे से शहर जोधपुर में जन्मे रवि बिश्नोई को खेल से इतना प्यार था कि उन्होंने अपने कोच के साथ मिलकर खुद क्रिकेट एकेडमी बनाई. 20 साल के इस युवा खिलाड़ी ने 4 ओवर में 22 रन देकर 2 विकेट झटके और अपनी टीम को याद दिलाया कि आखिर वो क्यों पिछले सीजन में अपनी टीम के लिए सबसे किफायती गेंदबाजी कर रहे थे. और तो और उनसे ज्यादा विकेट 2020 सीजन में सिर्फ मोहम्मद शमी जैसे अनुभवी खिलाड़ी ने लिए थे.

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कुंबले तक पहुंची बात और तय हो गए 2 करोड़!

लेकिन, बिश्नोई को अपने छोटे से करियर में नाकामी को भूलते हुए हमेशा कामयाब होने की राह दिखाई पड़ती है. कुछ साल पहले उनका चयन राजस्थान रॉयल्स के लिए एक नैट बॉलर के तौर पर हुआ था. लेकिन, जल्दी ही उनकी प्रतिभा की खबर अनिल कुंबले तक पहुंच गई.

किसी ने कुंबले को बताया कि एक राजस्थानी लड़का ठीक आप ही के अंदाज में बॉलिंग करता है और आपसे सीखना भी चाहता है. कुंबले ने ऑक्शन में इस खिलाड़ी पर 2 करोड़ खर्च कर डाले. हर कोई हैरान था कि इतने छोटे से खिलाड़ी जिसने अभी तक कोई रणजी मैच नहीं खेला है, उस पर कुंबले को इतना भरोसा क्यों है. लेकिन, कुंबले ने यूं ही बिशनोई पर दांव नहीं खेला था. बिश्नोई उम्मीदों पर खरे उतरे.

जब आईपीएल 2021 के पहले 4 मैचों में बिश्नोई को पंजाब की टीम मौका नहीं दे रही थी और उसके बदले एम अश्विन खेल रहे थे, तो कुंबले के पुराने साथी वेंकटेश प्रसाद को गुस्सा आ गया. उन्होंने सोशल मीडिया पर सवाल कर डाला कि आखिर क्यों इस होनहार लेग स्पिनर को नहीं खिलाया जा रहा है..फिर जब बिश्नोई शुक्रवार को खेले और शानदार खेले, तो हर कोई अब बिश्नोई की चर्चा कर रहा है.

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मां ने कहा पढ़ाई नहीं क्रिकेट है तेरी मंजिल

बिश्नोई को पिता राजस्थान के एक स्कूल में हेडमास्टर हुआ करते थे. घर में पढ़ाई का माहौल और खौफ दोनों इस कदर था कि जैसे बिश्नोई को पता चलता कि पिताजी घर पर नहीं है, तो वो क्रिकेट खेलने निकल जाते और जैसे ये पता लगता कि वो घर आने वाले हैं, तो बस ये लेग स्पिनर किताब लेकर पढ़ने की एक्टिंग करने लगता.

लेकिन, पिता की आंखों से भले ये सब कुछ छुपा था. लेकिन मां की ममता वो सब कुछ देख रही थी. माता जी को पता था कि बेटे का दिल क्रिकेट में है और जो करना है वो इसी खेल में करेगा. यही वजह है कि 12वीं क्लास की परीक्षा के दौरान क्रिकेट और पढ़ाई के बीच चयन की बात आई तो हेडमास्टर के बेटे ने पिता के पेशे को तरजीह ना देकर अपने जूनुन का हाथ पकड़ना सही समझा.

ईशान किशन जैसे धुरंधर को परास्त करना मुश्किल नहीं था. लेकिन असली बात थी सूर्यकुमार यादव को पवेलियन भेजना. वो यादव जो लगातार अच्छा खेल रहें हैं, अब भारतीय टीम का हिस्सा हैं और धुरंधर गेंदबाजों को मैदान के बाहर छक्के लगाते हैं, वो इस युवा के आगे बेबस दिख रहा था. ऐसा नहीं है कि यादव को आउट करना बिश्नोई के लिए तुक्का था. इससे पहले भी वो यादव को 2 मैचों में आउट कर चुके थे और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें टीम में चुना गया था.

बिश्नोई ने छोटे से करियर में दिखाया है कि भले ही आपका जन्म छोटे शहर में हुआ हो, लेकिन आप सपने बड़े देख सकते हैं. ये खिलाड़ी अंडर 19 वर्ल्ड कप में भारत के लिए खेल चुका है और उसकी हसरत कुंबले की ही तरह भारत के लिए कामयाब होना है. अगर लगातार दूसरे सीजन भी बिश्नोई उम्मीदों पर खरे उतरते हैं, तो कौन जानता है कि उनकी मां और उनका ये सपना भी सच हो जाए!

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