टी20 वर्ल्ड कप 2021 (T20 World Cup 2021) की जब शुरुआत हुई थी तो न्यूजीलैंड (New Zealand) के फाइनल (T20 World Cup Final) खेलने पर किसी क्रिकेट पंडित को कोई खास भरोसा नहीं था. क्योंकि यूएई (UAE) की जिन कंडीशंस में ये टूर्नामेंट खेला जा रहा था वहां भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) जैसी टीमों को ज्यादा समझा जा रहा था.
इसकी वजह थी कि क्रिकेट पंडित मानते थे कि एशिया की टीमें स्पिन अच्छा खेलती हैं. लेकिन बिना किसी स्टार के विश्व कप में उतरी न्यूजीलैंड अब ऑस्ट्रेलिया (Australia) के साथ वर्ल्ड कप फाइनल खेलेगी. लेकिन ये हुआ कैसे, इसके पीछे है न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों का संपूर्ण समर्पण और बेजोड़ तैयारी.
सेलेक्शन
न्यूजीलैंड की टीम ने अपने सेलेक्शन में आक्रामकता दिखाई. उन्होंने अपने टी20 के सबसे पुराने धुरंधर रॉस टेलर को टीम में नहीं चुना और डेवन कॉनवे, ग्लेन फिलिप जैसे नए खिलाड़ियों को मौका दिया. जिन्होंने टीम को एक बैलेंस दिया. फिलिप ने मिडिल ऑर्डर को मजबूती दी और कॉनवे ने विलियमसन को एक एक्सट्रा ऑप्शन दे दिया. कॉलिन मुनरो की जगह भी नए खिलाड़ी को मौका देना आसान फैसला नहीं रहा.
विलियमसन की कप्तानी
जब से केन विलियमसन (Kane Williamson) न्यूजीलैंड के कप्तान बने हैं, तब से आईसीसी टूर्नामेंट में चोक करने वाली ये टीम आईसीसी स्पेशलिस्ट बन गई है. विलियमसन की कप्तानी में ये टीम 2019 वर्ल्ड कप जीतते-जीतते रह गई और फिर आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप जीती. अब वो टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेलने जा रहे हैं, क्योंकि विलियमसन ने ये सुनिश्चित किया है कि कौन-से खिलाड़ी उन्हें मैच जिता सकते हैं. वो शांत रहकर टीम को एकजुट करते हैं और जज्बे के साथ मैदान में लड़ाते हैं.
सबका रोल क्लियर है
केन विलियमसन की कप्तानी वाली इस टीम के हर खिलाड़ी को अपना रोल क्लियर है. जब टिम साइफर्ट ने आईपीएल के बाद टीम को थोड़ा लेट ज्वाइन किया तो उन्होंने फिनिशर का रोल डेरेल मिचेल को दिया. मिचेल ने ये रोल शानदार निभाया. इसके अलावा स्पिनर्स ने शानदार गेंदबाजी की और मिडिल ओवर्स के साथ-साथ पावर-प्ले में भी विकेट निकाले.
टी20 लीग और तैयारी का रोल
न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों को आईपीएल खेलने का फायदा मिला, क्योंकि उन्होंने आईपीएल का दूसरा हाफ यूएई में ही खेला था. इसके अलावा जब पाकिस्तान का दौरा रद्द हो गया तो न्यूजीलैंड के वो खिलाड़ी भी यूएई में ही तैयारी के लिए रुक गए जो आईपीएल का हिस्सा नहीं थे. उन्होंने सीएसके के जीतने के बाद उनके कोच स्टीफन फ्लेमिंग की भी मदद ली.
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