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T20 WC में टीम इंडिया की बहुत बुरी हार, क्या IPL है जिम्मेदार?

IPL भारतीय क्रिकेट के लिए वही समस्या पैदा कर रहा है जो इंग्लिश प्रीमियर लीग फुटबॉल में इंग्लैंड के लिए करता आ रहा है

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आप टीम इंडिया की जितनी मर्जी आलोचना कर लें, कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) और कोच रवि शास्त्री की धज्जियां उड़ा दें, लेकिन एक बात जिस पर शायद ही किसी का ध्यान जाएगा, वर्ल्ड कप में एक और निराशाजनक हार के कोई और भी कारण हैं क्या? अमूमन हर टी20 वर्ल्ड कप में हार की वजह आईपीएल है. 2007 में भारत ने जब पहली और आखिरी बार टी20 वर्ल्ड कप जीता था, तो आईपीएल नहीं था. तो क्या वजह है कि असली विलेन हार का आईपीएल है.

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सिर्फ भारतीयों पर ही इस दबाव और थकान का असर क्यों?

सबसे पहली बात की टी20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले टीम इंडिया का हर खिलाड़ी अपनी अपनी फ्रेंचाइजी के लिए महा-दबाव वाले आईपीएल में खेल रहा था. इस टूर्नामेंट में पहुंचने से ठीक पहले लगभग सारे खिलाड़ी इंग्लैंड में करीब 4 महीने से एक बेहद दबाव वाली टेस्ट सीरीज में शिरकत कर रहे थे. आप ये तर्क दे सकते हैं कि आईपीएल में तो विदेशी खिलाड़ी भी खेलतें हैं, तो सिर्फ भारतीयों पर ही इस दबाव और थकान का असर क्यों?

ऐसा इसलिए क्योंकि विदेशी टीमों का हर खिलाड़ी आईपीएल में नहीं खेलता है, प्लेइंग इलेवन का नियमित हिस्सा तो कतई नहीं होता है, लेकिन टीम इंडिया का हर खिलाड़ी अपनी अपनी फ्रेंचाइजी के लिए सबसे अहम खिलाड़ी होता है और हर मैच में लगभग खेलता ही है.

इतना ही नहीं, कोहली, रोहित, राहुल,और पंत पर कप्तानी का अतिरिक्त दबाव भी होता है. इत्तेफाक से ये चार खिलाड़ी इस बार टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के सबसे बड़े मैच विनर थे. ऐसे में इन खिलाड़ियों की आईपीएल वाली थकान ने निश्चित तौर पर टीम इंडिया के प्लान को प्रभावित किया है.

अंहकार की भावना

आईपीएल में घरेलू खिलाड़ियों के अच्छे खेल के चलते भारतीय क्रिकेट में कई बार अंहकार की भावना भी देखने को मिल जाती है. और शायद यही वजह थी कि कुछ महीने पहले हार्दिक पंड्या ने ये ब्यान दे डाला था कि भारत के पास इतनी प्रतिभाएं हैं कि टीम इंडिया के एक साथ 2 टी-20 टीमें बना सकती हैं!

शायद पंड्या और भारतीय क्रिकेट के कई जानकारों ने ये समझने में भूल की कि श्रीलंका के खिलाफ एक इंडिया ए जैसी टीम भेजकर जीता तो जा सकता है, लेकिन वर्ल्ड कप में ऐसी टीम अफगानिस्तान को भी हराने में जूझे.

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फुटबॉल में इंग्लैंड और इंग्लिश प्रीमियर लीग जैसी बात यहां भी

दरअसल, आईपीएल भारतीय क्रिकेट के लिए वही समस्या पैदा कर रहा है जो इंग्लिश प्रीमियर लीग फुटबॉल में इंग्लैंड के लिए करता आ रहा है. कहने को तो इंग्लैंड के पास पिछले तीन दशक में दुनिया की सबसे शानदार फुटबॉल लीग है, लेकिन जब वर्ल्ड कप फुटबॉल की बात आती है तो ढाक के वही तीन पात. 1966 के बाद से अब तक इंग्लैंड वर्ल्ड कप में जीत के लिए तरस गया है.

मतलब प्राइवेट लीग से पैसा भले ही खेल की संस्थाएं कमा लें, लेकिन इससे राष्ट्रीय टीम के हित पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता है.
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टी20 वर्ल्ड कप में हार का सिलसिला और IPL का इतिहास

आईपीएल को जब आप टी20 वर्ल्ड कप में हार के लिए दोषी ठहराने की कोशिश करतें है, तो आपको तथ्यों के लिए इतिहास का सहारा भी मिल जाता है. अब आप खुद गौर करें. 2009 टी20 वर्ल्ड कप में 24 मई को आईपीएल खत्म हुआ और 5 जून को वर्ल्ड कप शुरू, टीम इंडिया सुपर 8 से ही बाहर.

इसके अगले साल यानी कि 2010 में आईपीएल 25 अप्रैल को खत्म हुआ और 30 अप्रैल को वर्ल्ड कप शुरू, टीम इंडिया फिर से सुपर 8 से ही बाहर. 2012 में आईपीएल और टी20 वर्ल्ड कप के बीच लंबा गैप था, लेकिन नतीजा फिर भी वही रहा.

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लेकिन, 2014 और 2016 में जब वर्ल्ड कप का आयोजन आईपीएल से पहले हुआ तो टीम इंडिया फाइनल और सेमी-फाइनल तक तो पहुंची.

यानी इतिहास के आंकड़ों ने इस बात को चीख-चीख कर कहा और चेताया है कि आईपीएल की थकान का असर टीम इंडिया पर निश्चित तौर पर पड़ता है. 2012 के अनुभव को सिर्फ अपवाद के तौर पर हटाया जा सकता है, जहां आईपीएल की थकान का तर्क नहीं दिया जा सकता है.

(20 साल से अधिक समय से क्रिकेट कवर करने वाले लेखक की सचिन तेंदुलकर पर किताब ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है. ट्विटर पर @Vimalwa पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं.)

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