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रियो ओलंपिक: दीपा कांस्य से चूकीं, फिर भी देश के लिए रचा इतिहास

भारतीय जिमनास्ट दीपा करमाकर ने वॉल्ट स्पर्धा में चौथा स्थान हासिल किया.

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भारत की युवा जिमनास्ट दीपा करमाकर 31वें ओलम्पिक खेलों में रविवार को वॉल्ट स्पर्धा के फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं.

दीपा ने पहले प्रयास में 8.666 और दूसरे प्रयास में 8.266 अंक हासिल किए. उन्‍होंने पहले प्रयास में 6 डिफिकल्टी और दूसरे प्रयास में सात डिफिकल्टी चुना था.

इस तरह उन्होंने पहले प्रयास में 14.866 और दूसरे प्रयास के लिए 15.266 अंक पाए, जिसका औसत 15.066 बना. दीपा ने अपने दोनों ही प्रयासों में बेहतर प्रदर्शन किया.

दूसरे प्रयास में सात डिफिकल्टी के साथ दीपा ने अगर थोड़ा और बेहतर प्रदर्शन किया होता और प्रोडोनोवा के दौरान अपनी लैंडिंग को सही तरीके से अंजाम दिया होता उनका स्कोर 8.5 से ऊपर होता और तब उस स्थिति में वह कांस्य की दौड़ में आ जातीं.

दूसरे से चौथे स्थान पर आ गईं

एक समय दीपा दूसरे स्थान पर चल रही थीं, लेकिन रूस की मारिया पेसेका और फिर ओलम्पिक तथा विश्व चैम्पियन अमेरिका की सिमोन बाइल्स ने उनसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए उन्हें चौथे स्थान पर खिसका दिया.

बाइल्स ने सबसे अंत में प्रदर्शन किया. उनका प्रदर्शन अगर खराब होता, तो फिर दीपा के लिए उम्मीदें बन सकती थीं. लेकिन बाइल्स का जन्म ही शायद जिमनास्टिक की दुनिया में राज करने के लिए हुआ है. इसको सही साबित करते हुए उन्होंने पहला स्थान हासिल किया. इसके बाद तो दीपा के लिए कोई उम्मीद नहीं रह गई, क्योंकि वह चौथे स्थान पर खिसक चुकी थीं.

स्वतंत्रता दिवस पर पदक से चूकीं

बहरहाल, पदक जीतने वाली खिलाड़ियों के अलावा दीपा ही 15 अंकों से आगे बढ़ सकीं. किस्मत उनके साथ नहीं थी, नहीं तो वह स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के लिए ऐतिहासिक पदक जीत सकती थीं.

दीपा ने अपने पहले ओलम्पिक में ही वॉल्ट के फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा है. अब फाइनल में हिस्सा लेने वाली आठ दिग्गजों के बीच वह चौथे स्थान पर रहीं. यह उनके तथा भारतीय जिमनास्टों के लिए महान सफलता है.

अब मेरा पूरा ध्यान 2020 के टोक्यो ओलम्पिक पर है, जहां पदक पाने के लिए मैं अगले चार साल तक अपना पूरा दमखम लगा दूंगी.
दीपा करमाकर, भारत की युवा जिमनास्ट
मैं अपनी शिष्या के प्रदर्शन से खुश हैं. वह शानदार हैं. मैं उसके प्रदर्शन से खुश हूं. मेरी समझ से प्रोडुनोवा में डीप लैंडिंग में थोड़ी सी खराबी उसे भारी पड़ी, नहीं तो वह पदक जीत सकती थी.
बिसेसर नंदी, दीपा के कोच

बहरहाल, दीपा करमाकर के ऐतिहासिक प्रदर्शन ने देशवासियों को बहुत नहीं, तो थोड़ा खुश होने का तो एक मौका जरूर दे दिया है.

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