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FIFA2018: गरीबी को मात देकर करोड़पति बनने वाले सुपरस्टार फुटबॉलर

  परिस्थितियों को हराकर इन फुटबॉलर्स की होसलों की कहानियां  

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बचपन सड़क डिवाइडर और दीवारों में पेंट करके, घुड़साल में प्रैक्टिस करके या फुटपाथ पर गुजारा और जवान होते होते 1000 करोड़ की संपत्ति के मालिक बन गए. ये फीफा वर्ल्ड कप के उन तीन करिश्माई फुटबॉलरों की सच्चाई है.

ये तीन फुटबॉलर हैं ब्राजील के ग्रेब्रियल जीसस, बेल्जियम के रेमेलु लुकाकू और आइसलैंड के हानेस हालडोर्सन.

मुश्किलों से शिखर तक पहुंचने की ये हौसलों की उड़ान की सच्ची कहानी है जो एक बार फिर साबित करती है कि नामुमकिन कुछ भी नहीं.

टैलेंट और क्षमता का पैसे से नहीं बल्कि हौसले से सीधा रिश्ता है और फीफा वर्ल्ड कप के सुपरस्टार खिलाड़ियों की जिंदगी में झांकने से फिर साबित हो गया है. ब्राजील के टॉप फॉरवर्ड जीसस हों या बेल्जियम के रेमेलु लुकाकू और आइसलैंड के हानेस हॉलडोर्सन. सबकी लाइफ के बचपन में कॉमन बात थी गरीबी और जवानी की कॉमन बात है सुपरस्टारडम.

तो आइए इन तीनों सुपरस्टार ने कैसे मुश्किलों को छकाते हुए अपना गोल हासिल किया.

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ग्रेब्रियल जीसस (ब्राजील)

ब्राजील के ग्रेब्रियल जीसस अपनी टीम के लिए टॉप फॉरवर्ड बनकर उभरे हैं. लेकिन बात सिर्फ चार साल पुरानी है जब ग्रेब्रियल किसी तरह जीवन चलाने के लिए गलियों की दीवारों में, सड़कों के डिवाइडर में पेंट किया करते थे. चौंकने की जरूरत नहीं है क्योंकि खुद ग्रेब्रियल ने उन दिनों को याद करते हुए एक तस्वीर शेयर की है जिसमें वो पेटिंग का काम करते नजर आ रहे हैं.

अब ग्रेब्रियल जीसस की वैल्यू है 350 करोड़ रुपए

ग्रेब्रियल अपने परिवार के साथ इंग्लैंड में रहते थे, लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें भाई और मां के साथ ब्राजील लौटना पड़ा. पैसों की तंगी दूर करने के लिए उन्होंने मजदूरी शुरू कर दी. लेकिन इस मुश्किल में भी उन्होंने फुटबॉल का शौक नहीं छोड़ा. जब वक्त मिलता वो फुटबॉल के साथ मैदान पर होते. एक ही सपना था अपने देश के लिए फुटबॉल खेलना जो हकीकत बन गया.

ग्रेब्रियल की खूबियों पर 2013 में एक कोच की नजर पड़ गई. बस इसके बाद उनकी किस्मत ही संवर गई. 2015 में उन्हें ब्राजील के अंडर-23 और 2016 में नेशनल टीम के लिए चुन लिया गया. 2017 में मैनचेस्टर यूनाइटेड ने उनके साथ करार किया.

वर्ल्ड कप के बाद यकीन मानिए ग्रेब्रियल जीसस की वैल्यू और तेजी से बढ़ेगी.

रेमेलु लुकाकू बेल्जियम

बेल्जियम की उम्मीदों को इस अकेले खिलाड़ी रेमेलु लुकाकू ने संभाल रखा है. उन्हें पुर्तगाल के सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो के साथ वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट का दावेदार माना जा रहा है. जिस तरह से वो दनादन गोल कर रहे हैं उससे उम्मीद सही होते दिखती हैं. लुकाकू की इस समय 900 करोड़ वैल्यू है.

लेकिन यहां तक पहुंचने की लुकाकू की कहानी कम मुसीबतों से भरी नहीं रही. रेमेलु ने खुद ही कई इंटरव्यू में बताया था

जब स्कूल में था तो 3-4 साल तक उन्हें घर में खाने में सिर्फ दूध और ब्रेड मिला करता था. हिम्मत करके उन्होंने एक दिन अपनी मां से सवाल कर ही दिया क्या हम लोग गरीब हैं?
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तो मां ने रेमेलु को समझाते हुए उन्होंने कहा कि यही खाना सेहत के लिए अच्छा है. उन्होंने मां की बात को सच मान लिया. पर एक दिन जब मां को दूध में पानी मिलाते देखा तो हालात जान गया. लुकाकू के मुताबिक उन्होंने 6 साल की उम्र से ही ठान लिया था कि फुटबॉलर बनूंगा.

वो बताते हैं कि घर में चूहे थे, केबल कनेक्शन नहीं था इसलिए फुटबॉल मैच नहीं देख पाता था. मां-बाप के बीच खूब झगड़ा होने से घर में हर वक्त टेंशन रहता था और फुटबॉल उनके सारे गम भुला देता था. बचपन की मुश्किलों ने उन्हें सफलता के लिए जिद्दी बना दिया. 12 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते लुकाकु बड़े खिलाड़ी बन गए.

लुकाकु को याद है कि 2002 में उनके पास फटे जूते सिलवाने के पैसे नहीं थे. आज वो जूतों की कंपनी के लिए विज्ञापन कर रहे हैं. 25 साल के लुकाकु कहते हैं कि अब बेल्जियम को फुटबॉल के शिखर पर पहुंचाने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा. 

इतने बड़े खिलाड़ी बनने के बाद भी लुकाकू को नस्लभेदी ताने झेलने पड़े. वो कहते हैं जब वो चेल्सी के लिए खेलते हुए नाकाम हो रहे थे तब बेल्जियम के ही कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया. इसी मजाक ने उनकी इच्छाशक्ति को और मजबूत बना दिया उन्होंने खुद को गोल करने वाली मशीन में बदलने के लिए जोर लगा दिया.

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हानेस हालडोरसन आइसलैंड

आइसलैंड के गोलकीपर हानेस हालडोरसन का सफर भी ग्रेब्रियल और रेमेलु जितना मुश्किल था. उनकी वैल्यू 150 करोड़ रुपए है. आइसलैंड पहली बार वर्ल्ड कप में खेल रहा था. लेकिन पहली बार में ही पूरी दुनिया ने हालडोर्सन का जलवा देख लिया है. उन्होंने खिताब की दावेदार अर्जेंटीना के सुपरस्टार लियोनल मेसी का गोल रोककर ड्रॉ खेलने पर मजबूर दिया.

वो कहते हैं कि पहले कोई उन्हें गंभीरता से नहीं लेता था. उनके पास खैलने के लिए मैदान नहीं था इसलिए दिन में जब घुड़साल खाली होता तो वहां वो प्रैक्टिस करते थे. रात को उसी मैदान में रात में घोड़े बांधे जाते थे.

गोलकीपर होने के कारण वो वहीं डाइव लगाकर प्रैक्टिस करते. लेकिन इस मैदान में उन्हें कई बार गंभीर चोटें भी लगीं क्योंकि मैदान में बिखरी घोड़े की नाल वगैरह हाथ-पैर में लग जाते थे. लेकिन कड़ी मेहनत रंग लाई वो वर्ल्ड कप टीम के सदस्य हैं. उनका मानना हैं कि 2018 में तो वो वर्ल्ड कप में आए हैं, दम तो वो 2022 में दिखाएंगे.

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