वो कहते हैं ना कि पड़ोसी के घर में चोरी हो तो अपने घर में मजबूत ताला लगाने की हिंदुस्तानियों की आदत पुरानी है. कुछ ऐसा ही हाल क्रिकेट में भी हुआ है. भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर जाने से पहले क्या खास रणनीति बना रही है इसके खुलासे से पहले एक मैच का हाल समझना होगा. इसी महीने की 3 जून को लीड्स के मैदान में पाकिस्तान टीम की जो दुर्गति हुई उससे सीधा सबक भारतीय बल्लेबाजों ने लिया.
पांच दिन का टेस्ट मैच तीन दिन से भी कम में खत्म हो गया. इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों के सामने पाकिस्तान के बल्लेबाज कॉलेज के खिलाड़ियों की तरह लगे. पहली पारी में पूरी की पूरी पाकिस्तान की टीम 174 रन पर सिमट गई. जेम्स एंडरसन, क्रिस वोक्स और स्टुअर्ट ब्रॉड ने 3-3 विकेट लिए. इसके बाद इंग्लैंड में पहली पारी में 363 रन बनाए. पाकिस्तान को 189 रन से कुछ ज्यादा रन चाहिए थे कि वो इंग्लैंड को दोबारा बल्लेबाजी के लिए मैदान में उतरने पर मजबूर कर सके. अफसोस दूसरी पारी में इंग्लिश गेंदबाजों ने पाकिस्तान के बल्लेबाजों का और बुरा हाल किया. पाकिस्तान की टीम दूसरी पारी में 134 रन ही जोड़ पाई.
दूसरी पारी में पाकिस्तान के सात बल्लेबाज दहाई के आंकड़े तक को नहीं छू पाए. जेम्स एंडरसन, क्रिस वोक्स और स्टुअर्ट ब्रॉड ने मिलकर दूसरी पारी में 6 विकेट लिए. चूंकि पाकिस्तान ने पहला टेस्ट मैच जीता था इसलिए सीरीज 1-1 से बराबर हो गई लेकिन पाकिस्तान की इस हार ने भारतीय टीम को सचेत कर दिया, सतर्क कर दिया. भारतीय बल्लेबाजों ने तुरंत अपने-अपने बल्लों को निहारना शुरू कर दिया. भारतीय टीम की नजर इस सीरीज पर पहले से ही लगी हुई थी.
बल्ले के भार में छुपी है असली कहानी
क्रिकेट के खेल में बड़ी आम समझ है कि तेज पिचों पर भारी बल्ले से खेलना नुकसान का सौदा रहता है. पाकिस्तान के बल्लेबाजों ने यही गलती की. तेज गेंदों के खिलाफ ‘रिएक्शन टाइम’ में सेकंड के छोटे से हिस्से की भूल बल्लेबाजों को भारी पड़ी. अब ये गलती भारतीय बल्लेबाज नहीं दोहराएंगे.
कई भारतीय बल्लेबाजों ने इंग्लैंड के दौरे पर हल्के बल्ले के इस्तेमाल की रणनीति बनाई है. भारतीय टीम जब वहां मैदान में उतरेगी तो मौसम ठंडा होगा. सर्द मौसम में इंग्लैंड की पिचें ‘सीमिंग कंडीशन’ में होंगी. ऐसी पिचों पर बल्ले का स्विंग तभी अच्छा और कारगर होगा जब थोड़ा हल्का बल्ला इस्तेमाल किया जाए. इस रणनीति पर अमल भी शुरू हो गया है. सबसे पहले बल्ले का वजन कम कराने वाले बल्लेबाजों में शिखर धवन एक हैं.
शिखर धवन ने अपने बल्ले के वजन को 20 ग्राम कम किया है. शिखर धवन के बल्ले का वजन 1163 ग्राम हुआ करता था जो अब घटकर 1143 ग्राम रह गया है. इसके लिए शिखर धवन बकायदा मेरठ में बल्ला बनाने वाली एक मशहूर कंपनी के कारखाने में भी गए. शिखर धवन ने बल्ले का वजन कम कराने के साथ बल्ले के हैंडिल को लेकर भी कुछ बदलाव कराए हैं. खबर है कि इंग्लैंड जाने से पहले और भी कई भारतीय बल्लेबाज मेरठ जाकर अपने बल्ले का वजन कम कराने वाले हैं. इसमें अंबाति रायडू, दिनेश कार्तिक और लोकेश राहुल जैसे नाम शामिल हैं.
सचिन तेंदुलकर ने भी किया था बल्ले को हल्का
साल 2004 की बात है. भारतीय टीम नेटवेस्ट ट्रॉफी और चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के लिए इंग्लैंड के दौरे पर थी. उसी दौरे पर पहली बार सचिन तेंडुलकर को टेनिस एल्बो की खबर आई थी. उस वक्त तक आम आदमी इस बीमारी के नाम से वाकिफ तक नहीं था. खैर, सचिन तेंदुलकर लंबे समय के लिए क्रिकेट के मैदान से बाहर हो गए थे.
वापसी के बाद जब वो मैदान में उतरे तो अपने बल्ले में बदलाव कर चुके थे. उन्होंने अपने बल्ले का वजन घटा लिया था. उस चोट के बाद करीब एक दशक तक सचिन तेंडुलकर ना सिर्फ क्रिकेट के मैदान में रहे बल्कि उन्होंने तमाम शानदार बेमिसाल पारियां भी खेलीं. आपको बता दें कि भारतीय टीम 27 जून से पहले आयरलैंड और फिर इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज खेलेगी. इंग्लैंड के खिलाफ 3 वनडे मैचों के बाद टेस्ट सीरीज शुरू होगी. टेस्ट सीरीज का पहला मैच 1 अगस्त को बर्मिंघम में खेला जाना है. इसके बाद लंदन, नॉटिंघम, साउथैंप्टन में बाकी के टेस्ट मैच खेले जाएंगे. भारतीय टीम को वहां कुल 5 टेस्ट मैच खेलने हैं. भारतीय बल्लेबाजों की ये सारी तैयारी दरअसल इसी टेस्ट सीरीज में खुद को साबित करने के लिए चल रही है.
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