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WFI Vs प्रदर्शनकारी पहलवानों की लंबी लड़ाई में जीते बृजभूषण, साक्षी ने छोड़ी कुश्ती

"आप इस व्यवस्था को बदलने की जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे, यह व्यवस्था उतनी ही मजबूती से कायम रहेगी."

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"आप इस व्यवस्था को बदलने की जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे, यह व्यवस्था उतनी ही मजबूती से कायम रहेगी."

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने देश के सभी प्रदर्शनकारी पहलवानों को गुरुवार, 21 दिसंबर को शायद यही चेतावनी दी है.

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मौजूदा बीजेपी सांसद बृजभूषण के करीबी सहयोगी संजय सिंह को प्रचंड बहुमत के साथ कुश्ती संघ का नया अध्यक्ष चुना गया है. याद रहे कि बृजभूषण पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.

संजय सिंह को कुल 47 में से 40 वोट मिले, और उन्होंने बहुत आसानी से अपनी विरोधी, राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण को हरा दिया. अनीता को उन सभी पहलवानों का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में कथित यौन उत्पीड़न के लिए उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से छह बार के सांसद बृजभूषण के खिलाफ प्रदर्शन किया था.

WFI की नई कार्यकारी परिषद में और 2019 से संयुक्त सचिव के रूप में सेवा करने के अलावा, संजय ने पहले यूपी कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष का पद भी संभाला था.

महासंघ में उपाध्यक्ष पद की चार सीटें हैं. सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन सिंह उनमें से एक सीट से चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन उन्हें सिर्फ पांच ही वोट मिले. उपाध्यक्ष पद के पांच दावेदारों में से वह सबसे अंतिम स्थान पर रहे.

अध्यक्ष के अलावा चार उपाध्यक्षों, एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव, पांच कार्यकारी सदस्यों और एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पदों के लिए भी चुनाव हुए थे.

बृजभूषण के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले पहलवानों बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को यह आश्वासन दिया गया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी भी सदस्य या करीबी सहयोगी को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी. इसके बाद बृजभूषण के बेटे प्रतीक और उनके दामाद विशाल सिंह को अपना नाम वापस लेना पड़ा था.

इसके बावजूद, बृजभूषण के प्रॉक्सी संजय का नामांकन कैसे मंजूर हो गया, इसका पता तो सिर्फ WFI चुनावों की देखरेख करने वाली समिति को ही होगा.

सिर्फ ढकोसला

यहां यह बताना जरूरी है कि WFI की चुनाव प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई थी, लेकिन कानूनी विवादों के कारण इसे लगातार स्थगित किया जाता रहा.

नतीजा यह हुआ कि विश्व कुश्ती महासंघ ने WFI को सस्पेंड कर दिया. चुनाव की तैयार की जा सके, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के स्टे के फैसले को पलट दिया. हालांकि, चुनाव परिणाम अभी भी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सामने रखे जाएंगे और प्रदर्शनकारी पहलवानों को अदालत के सामने अपनी बात रखने का मौका मिल जाएगा.

लेकिन नए अध्यक्ष ने इसे "असत्य पर सत्य की बड़ी जीत" बताया है.

संजय सिंह ने कहा है, "उन्होंने ऐसे व्यक्ति पर आरोप लगाए हैं, जिसके चरित्र में इन प्रवृत्तियों के लिए कोई जगह नहीं है." यानी प्रदर्शनकारी पहलवानों के लिए आने वाला वक्त आसान नहीं होगा.

संजय से पूछा गया कि बृजभूषण के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के साथ आगे क्या व्यवहार किया जाएगा? इस पर संजय ने कहा, “यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि मैं उनका करीबी हूं. लेकिन किसी भी महिला पहलवान के साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी." कुल मिलाकर उन्होंने बृजभूषण के साथ अपनी घनिष्ठता छिपाई नहीं.

सरकार समर्थित उम्मीदवारों प्रेम चंद लोचब (गुजरात) और देवेंद्र (असम) के क्रमशः महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में चुने जाने से प्रदर्शनकारी पहलवानों को कुछ राहत मिली है.

हालांकि, WFI की संरचना को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि इन दोनों का महासंघ के फैसलों पर ज्यादा असर होगा.

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"सरकार ने हमें निराश किया"

चुनाव के नतीजों के बाद ओलंपिक कांस्य विजेता साक्षी मलिक के कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया. इसी के साथ कुश्ती की दुनिया में बृजभूषण के वर्चस्व का जवाब भी दे दिया.

WFI परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भावुक साक्षी ने यह ऐलान किया:

“हम लगभग 40 दिनों तक बिना सोए विरोध में बैठे रहे. मैं अपने सभी देशवासियों के समर्थन की सराहना करती हूं. लेकिन अगर बृजभूषण के बिजनेस पार्टनर को कुश्ती के मामलों की बागडोर मिल रही है, तो मैं तुरंत संन्यास ले लेती हूं.'' साक्षी ने भावुक होते हुए कहा, ''आप मुझे कभी भी एक्शन में नहीं देख पाएंगे."

साक्षी देश की प्रमुख पहलवानों में से एक हैं. उनके पास राष्ट्रमंडल खेलों में तीन पदक हैं, जिनमें से एक स्वर्ण पदक है. जिसे उन्होंने पिछले साल बर्मिंघम में जीता था. इसके अलावा चार एशियाई चैंपियनशिप पोडियम फिनिश भी उनके नाम हैं.

उन्होंने मीडिया से कहा कि WFI, जिसे मुख्य रूप से एक ही व्यक्ति, बृजभूषण चलाता है, ने यौन उत्पीड़न के मामले से निपटने के लिए एक भी महिला उम्मीदवार को नहीं चुना. प्रदर्शनकारी पहलवान इस मामले से निपटने के लिए एक महिला अध्यक्ष चाहते थे.

प्रदर्शनकारियों में से एक विनेश फोगाट ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से इस सिलसिले में मुलाकात की थी. गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने पर हमने विरोध प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार किया. बजरंग और मैंने गृह मंत्री को बताया कि WFI के अंदर कैसे गलत काम हो रहे हैं?
विनेश फोगाट
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शाह ने इस पूरे मामले को दुरुस्त करने के लिए 30 से 40 दिन का समय मांगा था. विनेश ने कहा, "लेकिन जब तीन से चार महीनों तक कुछ नहीं हुआ तो हमें जंतर-मंतर पर धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा."

पूर्व विश्व नंबर 1 और एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश ने कहा, “नया WFI अध्यक्ष बृजभूषण का दाहिना हाथ है. वह उसे अपने बेटे से भी ज्यादा प्यार करता है. भारत में महिला पहलवानों के लिए कोई उम्मीद नहीं बची है. संजय सिंह का इस पद पर पहुंचना इसी बात का संकेत है कि बंद दरवाजों के पीछे अब भी उसी तरह का यौन उत्पीड़न होगा, जैसा पहले होता था. चूंकि WFI में किसी महिला को नहीं चुना गया है, इसलिए हमें कोई उम्मीद नहीं बची है."

एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और अंतरराष्ट्रीय पहलवान बजरंग पूनिया भी इन नतीजों से हताश दिखे.

हम सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे थे. हम अपनी महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे. इस समय हमारा कोई भविष्य नहीं है. सरकार ने हमें निराश किया. अब हमें अपनी कानून व्यवस्था पर भरोसा है. हमें वहीं इंसाफ मिलेगा.
बजरंग पुनिया

संवाददाता सम्मेलन में बजरंग ने भी अपने रिटायरमेंट की तरफ इशारा किया: "मुझे नहीं लगता है कि मैं अब कुश्ती जारी रख पाऊंगा क्योंकि वही जमघट बृजभूषण के प्रॉक्सी के रूप में काम करता रहेगा."

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