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विराट-रोहित से मैरी-निकहत तक: 2019 में खेलों में हावी रहे ये विवाद

हर साल की तरह 2019 में भी विवादों ने खेल और खिलाड़ियों का पीछा नहीं छोड़ा

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खेल की दुनिया में भारत के लिए 2019 मिला-जुला साल रहा. क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीत सबसे अहम रही, तो वर्ल्ड कप सेमीफाइनल की हार ने निराश किया. वहीं बॉक्सिंग और कुश्ती की वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन सुधरा.

सबसे शानदार रहा निशानेबाजों का प्रदर्शन, जिन्होंने वर्ल्ड कप समेत हर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में तिरंगा लहराया.

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हालांकि हर साल की तरह 2019 में भी विवादों ने खेल और खिलाड़ियों का पीछा नहीं छोड़ा. ऐसे ही कुछ बड़े विवादों पर नजर, जो भारतीय खेलों में छाए रहे-

राहुल-हार्दिक को भारी पड़ी कॉफी

ये इस साल भारतीय क्रिकेट का सबसे पहला विवाद था. फिल्ममेकर करण जॉहर के चैट शो ‘कॉफी विद करण’ के एक एपिसोड में टीम इंडिया के सदस्य केएल राहुल और हार्दिक पांड्या शामिल हुए. उस एपिसोड में दोनों ने कुछ ऐसी बातें कहीं, जो दर्शकों के गले नहीं उतरी.

हर साल की तरह 2019 में भी विवादों ने खेल और खिलाड़ियों का पीछा नहीं छोड़ा
हार्दिक पांड्या और केएल राहुल
(फोटो: फेसबुक/KL Rahul)

खासतौर पर हार्दिक पांड्या और महिलाओं को लेकर उनके बयानों ने बहुत से लोगों को नाराज किया.

हार्दिक पांड्या ने शो के दौरान महिलाओं को लेकर विवादित टिप्पणी की थी और यह भी बताया कि वह इस बारे में अपनी फैमिली के साथ भी खुलकर बात करते हैं. हालांकि राहुल ने अपने संबंधों के बारे में सीमित होकर जवाब दिया. कप्तान विराट कोहली ने भी दोनों की इस हरकत को गलत बताया था.

विवाद सामने आने के बाद दोनों ही खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापस बुला लिया गया था. प्रशासकों की समिति (CoA) के प्रमुख विनोद राय ने जांच पूरी होने तक दोनों को निलंबित करने का आदेश दिया था.

हालांकि दोनों का मामला बीसीसीआई के लोकपाल के पास भेजे जाने के बाद दोनों का निलंबन खत्म कर दिया गया था. इसके बाद वर्ल्ड कप से एक महीने पहले ही लोकपाल ने दोनों पर 20-20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

इस पूरे विवाद के दौरान और टीम से बाहर किए जाने के बाद हार्दिक और राहुल ने अपनी गलती मानते हुए भावुक संदेश जारी किए थे और माफी मांगी थी.

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वर्ल्ड कप और अंबाती रायडू

ये इस साल भारतीय क्रिकेट टीम से जुड़ा बड़ा विवाद था. वर्ल्ड कप से ठीक पहले 15 अप्रैल को इस विवाद का जन्म हुआ. इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप के लिए इसी दिन भारतीय टीम का चयन हुआ और जैसे ही टीम से अंबाती रायडू का नाम नदारद दिखा, तो विवाद शुरू हो गया.

करीब साल भर से टीम इंडिया में नंबर 4 की जिम्मेदारी निभा रहे रायडू की जगह पक्की मानी जा रही थी, लेकिन वर्ल्ड कप से ठीक पहले कुछ मैचों में रन बना पाने में नाकाम होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. विवाद का कारण रहा चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद का बयान और उस पर रायडू की प्रतिक्रिया.

प्रसाद ने रायडू की जगह विजय शंकर के चयन पर बोलते हुए कहा कि वो ‘थ्री डी’ प्लेयर हैं. इसके जवाब में रायडू ने अगले दिन ट्वीट किया कि वो वर्ल्ड कप देखने के लिए थ्री डी चश्मे खरीदने जा रहे हैं.

बात तब और बिगड़ी जब स्टैंड बाई पर रखे गए रायडू को वर्ल्ड कप के दौरान पहले शिखर धवन और फिर शंकर के चोट के कारण बाहर होने के बाद भी टीम में शामिल नहीं किया गया. धवन की जगह ऋषभ पंत को टीम में शामिल किया गया.

जब शंकर की जगह मयंक अग्रवाल को बुलाया गया, तो निराश रायडू ने क्रिकेट से पूरी तरह संन्यास का ऐलान किया. वहीं पूरे वर्ल्ड कप के दौरान टॉप 3 के अलावा किसी और खिलाड़ी के सफल न होने और सेमीफाइनल में टीम के लड़खड़ाने के बाद रायडू को शामिल न किए जाने की और भी ज्यादा आलोचना हुई.

हालांकि इसके बाद रायडू ने कुछ ही हफ्तों में अपना संन्यास वापस लिया और हैदराबाद की टीम में वापसी की.

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मैरी कॉम vs निकहत जरीन

2019 का अंत इस विवाद के खात्मे के साथ हुआ. भारत की सबसे महान एथलीट्स में से एक और भारतीय बॉक्सिंग का सबसे बड़ा नाम एमसी मैरी कॉम ने इस साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपना रिकॉर्ड 8वां मेडल जीता.

लेकिन मैरी की इस उपलब्धि पर विवाद का बड़ा साया रहा और इसकी अगुवा रहीं 23 साल की बॉक्सर निकहत जरीन. अक्टूबर में रूस के उलान उदे में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए अगस्त में बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (BFI) ने ट्रायल्स आयोजित किए थे. तब 51 किलो वर्ग में मैरी कॉम और निकहत के बीच टक्कर होनी थी.

लेकिन ठीक बाउट के दिन फेडरेशन के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के इसे रद्द कर दिया और बताया गया कि मैरी को वर्ल्ड चैंपियनशिप में भेजा जाएगा. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई.

यहीं से विवाद की शुरुआत हुई. निकहत लगातार भेदभावपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाती रही और मैरी के खिलाफ ट्रायल की मांग करती रही.

अक्टूबर में जब मैरी वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतकर आईं, तो BFI के अध्यक्ष अजय सिंह ने नियम को बदलते हुए ऐलान किया कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वालों को ओलंपिक क्वालीफायर के लिए ट्रायल्स नहीं देने पड़ेंगे.

ये इस विवाद का दूसरा चैप्टर रहा. निकहत इस फैसले से आहत थीं और उन्होंने खेल मंत्री किरेण रिजीजू से दखल की मांग की. विवाद बढ़ता देख फेडरेशन को फैसला बदलना पड़ा और ट्रायल्स आयोजित करने पड़े.

28 दिसंबर को हुए ट्रायल्स के फाइनल में मैरी कॉम ने निकहत को 9-1 से हराकर क्वालीफायर जगह बनाई. अब निकहत की मांग के हिसाब से तो ट्रायल के साथ ही विवाद खत्म हो गया, लेकिन दोनों की बाउट के बाद निकहत ने मैरी पर बुरे शब्द बोलने का आरोप लगाया. वहीं मैरी ने निकहत को फटकारा कि इज्जत पाने के लिए इज्जत करनी पड़ती है.

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रोहित vs विराट

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और उप-कप्तान- विराट कोहली और रोहित शर्मा के लिए एक और साल निजी तौर पर शानदार रहा. कई नए रिकॉर्ड्स बनाए और टीम को कई बार जीत दिलाई. हालांकि वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में दोनों फेल रहे और साथ में फेल हो गई टीम इंडिया.

हार से सभी निराश थे, लेकिन इसके बाद जिस तरह की खबरें आईं, उसने सबको चौंका दिया.

हार के 2 दिन बाद ही एक अखबार ने टीम के ही एक खिलाड़ी के हवाले से बताया कि टीम इंडिया का ड्रेसिंग रूम दो धड़ों में बंटा था- एक कप्तान कोहली का धड़ा और दूसरा उप-कप्तान रोहित का.

इस दौरान ये भी कहा गया कि टीम के कई खिलाड़ी कप्तान और कोच रवि शास्त्री के सभी फैसलों से खुश नहीं थे. ऐसे दावे किए गए कि टीम में सिर्फ कोहली और शास्त्री की पसंद के खिलाड़ियों को ही जगह मिलती रही, फिर चाहे उनका प्रदर्शन कैसा भी हो.

इन दावों के बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि यही गुटबंदी टीम की वर्ल्ड कप में हार का कारण बनीं. हालांकि काफी वक्त तक किसी ने इस पर कुछ नहीं कहा और कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स ने भी इसको खारिज किया.

आखिर जुलाई के अंत में वेस्टइंडीज दौरे से पहले हुई टीम इंडिया की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर सवालों का सामना किया और इन आरोपों और दावों को बेबुनियाद और अपमानजनक बताया. कोहली ने कहा कि अगर ऐसा होता तो भारतीय टीम पिछले 2-3 सालों में इतना बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाती.

कोहली ने रोहित शर्मा के साथ विवाद पर भी साफ किया कि दोनों के बीच किसी तरह के मतभेद नहीं हैं. वहीं कोच रवि शास्त्री ने भी इन सब बातों को बकवास करार दिया. हालांकि रोहित शर्मा ने कभी भी इन दावों को न तो नकारा और न ही इस पर कोई प्रतिक्रिया दी, लेकिन लगातार टीम इंडिया के बेहतर प्रदर्शन के कारण आखिर ये मुद्दा थम गया.

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जसपाल राणाः द्रोणाचार्य अवॉर्ड

लंबे समय तक भारतीय निशानेबाजी के पोस्टर ब्वॉय रहे जसपाल राणा काफी वक्त से भारतीय निशानेबाजों को कोचिंग दे रहे हैं. कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट पिस्टल शूटर जसपाल राणा भारतीय के जूनियर निशानेबाजों के कोच रहे.

ओलंपिक से लेकर एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स तक, शूटिंग से भारत को हमेशा से सबसे ज्यादा उम्मीदें रही हैं और भारतीय निशानेबाजों ने अपने प्रदर्शन से खुद को साबित किया भी. लेकिन रियो ओलंपिक 2016 में भारतीय शूटर्स पूरी तरह नाकाम रहे और खाली हाथ लौटे.

इसके बाद बड़े बदलाव हुए और ढांचे को बदला गया. नतीजा बीते 2 सालों में अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भारतीय शूटरों का जलवा रहा. इसके पीछे बड़ा हाथ जसपाल राणा की कोचिंग का भी रहा और यही कारण है कि शूटिंग में भारत की सफलता में सबसे ज्यादा योगदान युवा शूटर्स का रहा.

लेकिन जब अगस्त में राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का ऐलान हुआ और राणा को द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए अनदेखा किया गया, तो उनका गुस्सा फूट पड़ा. राणा को अभिनव बिंद्रा समेत कई निशानेबाजों का साथ मिला.

विवाद की मुख्य वजह तब बनी, जब सेलेक्शन कमेटी के सदस्यों और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक अनाम सदस्य ने जसपाल राणा को प्रतिष्ठित पुरस्कार नहीं देने के अपने फैसले पर सफाई दी. खास बात ये थी कि जिन सदस्यों ने सफाई पेश की वो इस बात पर भी सहमत नहीं हैं कि इस अवॉर्ड के लिए भेजे गए तीनों नामों पर फैसला एकमत से लिया गया या उनपर वोटिंग हुई.

राणा ने फैसले पर भड़कते हुए कहा भी कि अगर वो अवॉर्ड नहीं देना चाहते थे तो न दें लेकिन उनको लेकर गलत जानकारी न दी जाए, जिसके आधार पर सेलेक्शन कमेटी ने फैसला लिया.

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