न्यूलैंड्स में सैंडपेपर मामले में ऑस्ट्रेलियाई टीम और उसके लीडरशिप ग्रुप के दोषी पाए जाने के बाद जाने-माने एक्सपर्ट और क्विंट के कॉलमनिस्ट हेमंत बुच ने ट्वीट किया, “बॉल टैंपरिंग यानी गेंद से छेड़छाड़ का पहला रूल यह है कि इसे अपने देश में करना चाहिए, जब आपके पास ब्रॉडकास्टर यानी मैच का प्रसारण करने वाली कंपनी का सपोर्ट होता है.”
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उनके कहने का मतलब यह था कि अगर कैमरे पर गेंद से छेड़छाड़ करते हुए आप दिखते भी हैं तो ब्रॉडकास्टर उसे लीक नहीं करेगा इसलिए न्यूलैंड्स में ऑस्ट्रेलियाई टीम का ऐसा करना हैरान करता है. लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के कैप्टन स्टीव स्मिथ की अक्ल पर पत्थर पड़े हुए थे. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस सीरीज में मैदान और उससे बाहर दोनों टीम के बीच जोरदार मुकाबला चल रहा था. इसलिए ऑस्ट्रेलियाई टीम की मूर्खतापूर्ण हरकत हैरान करती है.
कोई रास्ता नहीं बचा था...
केपटाउन टेस्ट के तीसरे दिन का घटनाक्रम कुछ ऐसा था कि स्मिथ और युवा ओपनर कैमरन बैंक्रॉफ्ट के पास गेंद से छेड़छाड़ की गलती मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. वैसे ऑस्ट्रेलियाई टीम से इतनी जल्दी गलती मानने की उम्मीद नहीं थी. स्मिथ ने कहा कि सीरीज में वापसी करने की बेचैनी की वजह से उनकी टीम ने गेंद से छेड़छाड़ की. बैंक्रॉफ्ट के बॉल टैंपरिंग की जो इमेज टीवी कैमरे ने कैद की है, वह ‘भयावह’ है. उससे भी बुरी बात यह है कि स्मिथ ने माना कि गेंद से छेड़छाड़ टीम ने सोच-समझकर की थी. क्या ऑस्ट्रेलियाई टीम की मैच की रणनीति में बॉल टैंपरिंग भी शामिल है?
नैतिकता का प्रवचन देते थे स्मिथ
ऐसा करने वाली टीम और कैप्टन की इमेज कैसी बनेगी? खासतौर पर जब यह काम ऐसे शख्स ने किया हो, जो हाल तक दूसरों को खेल में नैतिकता पर प्रवचन देता आ रहा था. क्या कोई भी यह मानेगा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने यह गलती पहली बार की है? शायद पहली बार टीम रंगे हाथों ऐसा करते हुए पकड़ी गई है. इससे पहले बेंगलुरू में विराट कोहली ने स्मिथ को डीआरएस कॉल के लिए ड्रेसिंग रूम से संकेत मांगते हुए पकड़ा था. अब लगता है कि उस समय भारतीय टीम ने जो बात कही थी, वह ठीक थी. भारतीय टीम ने कहा था कि ऑस्ट्रेलियाई टीम डीआरएस के लिए कोच और सपोर्ट स्टाफ के संकेतों का इंतजार करती है.
‘मदर टेरेसा को भी नहीं बख्शते’
स्मिथ ने सैंडपेपर मामले में मैच जीतने की जिस बेचैनी का जिक्र किया है, उससे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का घटिया चेहरा सामने आया है. यहां मामला सिर्फ गेंद से छेड़छाड़ तक सीमित नहीं है, क्योंकि यह तो क्रिकेट में जाने कब से होता आ रहा है. सैंडपेपर मामले का क्रिकेट पर व्यापक असर होगा.
ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रति बहुत कम सहानुभूति है. सोशल मीडिया पर पूर्व क्रिकेटरों और एक्सपर्ट्स के कमेंट्स देखकर आपको इसका अंदाजा हो जाएगा. यह वही ऑस्ट्रेलियाई टीम है, जो विरोधियों को ‘मानसिक रूप से तोड़ने (स्लेजिंग को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर यही कहते हैं)’ पर गर्व करती आई है. हालांकि, जब दूसरी टीम स्लेजिंग में उन पर भारी पड़ती है तो वे उसे इस बारे में क्रिकेट के रूल्स बताने लगते हैं. क्या इससे गली-मोहल्ला क्रिकेट की याद नहीं आती, जिसमें जिस शख्स का बैट होता है, वह आउट होते ही खेल के बीच में बैट लेकर घर जाने लगता है?
शायद इसी वजह से जाने-माने क्रिकेट राइटर पीटर रोबक ने एक बार लिखा था, ‘अगर मदर टेरेसा भी पैड पहनकर मैदान पर उतरती हैं तो ऑस्ट्रेलियाई टीम उनके खिलाफ भी स्लेजिंग करेगी.’ मौजूदा सीरीज में ही ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच डेरेन लैमेन ने साउथ अफ्रीकी दर्शकों के बर्ताव की शिकायत की थी, जबकि पहले वो खुद ऑस्ट्रेलियाई फैन्स से विरोधी टीम के चुनिंदा खिलाड़ियों को निशाना बनाने को कह चुके हैं. 2013 एशेज सीरीज में इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड इसका शिकार हुए थे.
सवाल यह भी है कि क्रिकेट से जुड़े सारे बड़े विवादों से ऑस्ट्रेलिया का नाम क्यों जुड़ा हुआ है? ब्रेन फेड हो एंड्रयू सायमंड्स और हरभजन सिंह के बीच ‘मंकीगेट’ हो या न्यूजीलैंड के खिलाफ अंडरआर्म बॉलिंग या अब सैंडपेपरगेट.
“अंडरआर्म मोमेंट”
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास का यह सबसे बुरा दौर है. यह उतना ही बुरा है, जितना 1981 में ग्रेग चैपल का भाई ट्रेवर चैपल को आखिरी गेंद पर 6 रन बनाने से रोकने के लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ अंडरआर्म बॉलिंग करने के लिए कहना था. अगर रिची बेनो आज जिंदा होते और ऑस्ट्रेलिया-साउथ अफ्रीका सीरीज के लिए कमेंटरी कर रहे होते तो वे गेंद से छेड़छाड़ की इस घटना को ‘अंडरआर्म मोमेंट’ करार देते.
वे कहते कि यह शर्मनाक घटना है और ‘मैंने इससे बुरी घटना ग्राउंड पर नहीं देखी है.’ सैंडपेपर मामले के बाद स्मिथ का कैप्टन बने रहना मुश्किल लग रहा है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि उनके बाद इस पद के दावेदार डेविड वॉर्नर हैं, जिन्हें वर्ल्ड क्रिकेट का ‘बेस्ट स्लेजर’ का खिताब मिला हुआ है.
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