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पश्चिमी दिल्ली के 5 धुरंधर: कोहली, धवन, ईशांत, नेहरा और सहवाग

वेस्ट दिल्ली की गलियों से निकले इन पांचों खिलाड़ियों के खेल में एक जैसी समानता

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वीरेंद्र सहवाग, आशीष नेहरा, विराट कोहली, शिखर धवन और ईशांत शर्मा. टीम इंडिया के इन पांचों महारथियों में एक समानता है. ये सभी पश्चिमी दिल्ली से हैं. क्रिकेट में ये पांचों भले ही अलग- अलग विधा में माहिर हों, लेकिन पश्चिमी दिल्ली की आबो हवा ने इन्हें शायद एक ही ताकत दी है.

महानगर में पश्चिमी दिल्ली को जानने वाले वहां के सड़क-मकान से लेकर पहचान और रोजमर्रा की कश्मकश से वाकिफ हैं और शायद पहचान के लिए इसी कश्मकश ने इन पांचों क्रिकेटरों को जीवट बना दिया. भारत और इंग्लेंड के बीच नागपुर मे खेले गये दूसरे टी-20 मैच में मैदान के अंदर और बाहर ये साफ तौर पर दिखा.

क्रिकेट मे मौजूदा दौर में भले ही स्टेडियम का जो आकार हो और विकेट का जैसा मिजाज हो, लेकिन टी-20 मैच में 144 का स्कोर कोई मायने नहीं रखता,और अगर विरोधी टीम में ताबड़तोड़ बल्लेबाजों की फौज हो तो फिर तो जीत अधिकतर लोगों को नामुमकिन सी दिखती है. लेकिन, सहवाग-नेहरा-कोहली जैसे खिलाड़ी इस मामले मे पूरी तरह से अलग हैं. ये हर हाल मे जीत की संभावना तलाशते हैं.

आशीष नेहरा ओपनिंग स्पेल में लगातार दो गेंद पर दो विकेट लेते हैं और कमेंट्री बॉक्स मे बैठे सहवाग कहते हैं-’ अगर नेहरा जी फॉर्म मे आ गये तो वो टीम को जिताकर ही मानेंगे ‘
वेस्ट दिल्ली की गलियों से निकले  इन पांचों खिलाड़ियों के खेल में एक जैसी समानता
नागपुर टी-20 में नेहरा ने 4 ओवर में28 रन देकर 3 अहम विकेट झटके ( फोटो: BCCI )

बाद में नेहरा का बयान आता है कि ‘टीम में भले ही जितने भी गेंदबाज हों, लेकिन मुझे अंदाजा था कि अगर मैच जीतना है तो विरोधी खेमे को शुरुआती झटके मुझे ही देने होंगे’

दरअसल, नेहरा-सहवाग की यारी बहुत पुरानी है.

पश्चिमी दिल्ली से आए दो नौजवान सहवाग-नेहरा प्रैक्टिस करने रोज साथ जाते थे. सहवाग अपने घर से चलते और नेहरा के घर पर समय से पहले पहुंच जाते. वो नेहरा को नींद से जगाते और जब तक आशीष नेहरा तैयार होते, उनके हिस्से का पराठा और दूध पी जाते.

वेस्ट दिल्ली की गलियों से निकले  इन पांचों खिलाड़ियों के खेल में एक जैसी समानता
आशीष नेहरा और वीरेंद्र सहवाग ( फोटो: Twitter )

फिर, दोनों में एक शर्त थी. स्टेडियम जाते समय स्कूटर सहवाग चलाएंगे ताकि नेहरा रास्ते में किटबैग पर सिर टिकाकर सो सकें. लौटते वक्त, चाहे दोनों जितना भी थके हों, स्कूटर चलाने की बारी नेहरा की होती. यहां से शुरु हुआ सफर, दोनों को साथ-साथ टीम इंडिया तक ले गया. क्रिकेट के कॉपीबुक मास्टर की मानें तो सहवाग की तकनीक अलग थी. नेहरा की समस्या ये थी कि वो बार-बार चोट के शिकार हो जाते लेकिन, दोनों को अपने खेल पर पूरा भरोसा था. सहवाग मानते थे कि अगर उनका दिन हुआ तो वो किसी भी विरोधी टीम को अपनी बल्लेबाजी से तबाह कर सकते हैं और नेहरा को खुद पर ये भरोसा था कि अगर उन्होंने चोट से वापसी की तो उन्हें दोबारा लय में आने में सिर्फ कुछ ओवर चाहिए. नागपुर में दूसरे टी-20 मैच में ये एक बार फिर दिखा.

टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान विराट कोहली जब स्कूल क्रिकेट में पहचान बना रहे थे, तभी नेहरा ने बतौर चीफ गेस्ट उन्हें पुरस्कार दिया था. आशीष नेहरा तब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बना चुके थे. आज नेहरा, विराट कोहली की कप्तानी में खेल रहे हैं, लेकिन कोहली में भी पश्चिमी दिल्ली से जुड़ी जीवट नजरिए की झलक साफ दिखती है. नागपुर टी-20 मैच में भी ये साफ तौर पर दिखा.
वेस्ट दिल्ली की गलियों से निकले  इन पांचों खिलाड़ियों के खेल में एक जैसी समानता
बचपन के विराट कोहली को पुरस्कार देते आशीष नेहरा ( फोटो: BCCI )

मैच नाजुक मोड़ पर था और पूरा दारोमदार आशीष नेहरा- जसप्रीत बुमराह की जोड़ी पर था. ऐसे में कई रण से गुजर चुके नेहरा को अंदाजा था कि उन्हें किस गेंद पर क्या करना है. दूसरी ओर प्रतिभा के धनी बुमराह को दिशा की तलाश थी. वो हर गेंद के बाद कोहली से सलाह ले रहे थे लेकिन, निर्णायक मोड़ पर कप्तान कोहली ने वो सलाह दी, जो पश्चिमी दिल्ली से आए क्रिकेटरों की पहचान रही है.

वेस्ट दिल्ली की गलियों से निकले  इन पांचों खिलाड़ियों के खेल में एक जैसी समानता
नागपुर टी-20 के दौरान जसप्रीत बुमराह को विराट कोहली की सलाह

आखिरी गेंद फेंकने से ठीक पहले नेहरा ने जसप्रीत बुमराह से कहा...

यॉर्कर तुम्हारी ताकत है और अपनी ताकत पर भरोसा रखो.अगर बाहर की ओर फुल टॉस भी पड़ा, तो 6 रन नहीं बन सकेंगे

जसप्रीत बुमराह ने अपनी ताकत पर भरोसा रखा और नतीजा हर किसी के सामने है.

आने वाला कल, जसप्रीत बुमराह का है. बीते कल के थपेड़ों ने नेहरा को परिपक्व बनाया है. दरअसल जसप्रीत बुमराह लीग से हटकर गेंदबाज हैं. पड़ोसी देश श्रीलंका में मुथैया मुरलीधरन, अजंता मेंडिस से लेकर मलिंगा तक,बोलिंग स्टाइल में लीग से हटकर गेंदबाजों की लंबी फेहरिस्त रही है लेकिन भारत में जसप्रीत बुमराह इस कड़ी के पहले गेंदबाज हैं.

वेस्ट दिल्ली की गलियों से निकले  इन पांचों खिलाड़ियों के खेल में एक जैसी समानता

अपने लंबे करियर में बुमराह को कई तंज सहने होंगे, कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना होगा. शायद अस्वाभाविक एक्शन की वजह से चोटिल होकर बाहर भी होना पड़ेगा लेकिन इसके बावजूद अगर उन्हे लंबी रेस का घोड़ा बनना है, तो सहवाग-नेहरा-कोहली के जीवट नज़रिए को अपनाना होगा. सहवाग की बल्लेबाजी कॉपीबुक स्टाइल की नहीं थी, लेकिन उन्हें अपने ऊपर जबरदस्त भरोसा था. नेहरा को लोग चोट के बाद बार-बार संन्यास लेने को कहते लेकिन उन्हें भी अपने ऊपर भरोसा था.

कोहली को कोई भी सचिन दौर के बाद अगला सितारा मानने को तैयार नहीं होता लेकिन विराट की नज़र हमेशा शीर्ष पर थी. जसप्रीत बुमराह प्रतिभाशाली हैं और भाग्यशाली भी कि उनके करियर को दिशा देने के लिए दो जीवट जाबाज उनके साथ ड्रेसिंग रूम में हैं.

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