चैंपियंस ट्रॉफी 2017 की शुरुआत 1 जून से इंग्लैंड में शुरू हो जाएगी. वहां की प्लेइंग कंडीशन्स की बात करें तो एक ही बात जहन में आती है और वो है स्विंग बॉलिंग. इंग्लैंड की धरती तेज गेंदबाजों को खूब रास आती है. टूर्नामेंट से पहले हुए प्रेक्टिस मैचों में भी हमने देखा कि तेज गेंदबाज काफी हावी दिखाई पड़े.
ऐसे में भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने स्विंग गेंदों से पार पाने के लिए एक नया तरीका निकाला है.
क्या है विराट की प्रेक्टिस का नया तरीका?
स्विंग गेंदों से पार पाना के लिए विराट ने एक अनोखा तरीका खोजा है. विराट टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली लाल गेंद से प्रेक्टिस कर रहे हैं. लेकिन इस में नई बात ये है कि गेंद को ज्यादा स्विंग कराने के लिए विराट ने गेंद की एक तरफ टेप लपेटा है.
ऐसा करने से गेंद को ज्यादा स्विंग मिलती है और इस प्रेक्टिस से मैच के दौरान भारत की इस रन मशीन को बल्लेबाजी करने में आसानी होगी. दरअसल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान विराट कोहली को कई बार तेजी से स्विंग करती हुई गेंदों से परेशानी हुई थी.
विराट कोहली ने इंग्लैंड में खेले 14 मैचों में 38.54 के औसत से 424 रन बनाए हैं जिसमें सिर्फ एक शतक शामिल है.
कोहली की 38.54 की औसत किसी भी और बल्लेबाज के लिए अच्छी औसत कही जाएगी लेकिन वनडे में 53.11 का औसत रखने वाले कोहली के लिए ये आंकड़ा खराब ही कहा जाएगा.
सिर्फ लाल गेंद ही क्यों ?
क्रिकेट में टेस्ट और वनडे फॉर्मेट में अलग-अलग रंग की गेंद इस्तेमाल होती हैं. टेस्ट क्रिकेट लाल रंग की गेंद से खेला जाता है तो वहीं वन-डे क्रिकेट सफेद रंग की गेंद से खेला जाता है. लेकिन सफेद गेंद के मुकाबले लाल गेंद ज्यादा स्विंग होती है और ज्यादा समय तक स्विंग होती है.
साथ ही लाल गेंद पुरानी होने पर खिलाड़ी रिवर्स स्विंग भी कराते है. ऐसे में विराट कोहली हर तरीके से अपनी तैयारी को पुख्ता करना चाहते हैं ताकि जब मोहम्मद आमिर, मॉर्ने मॉर्कल और कगिसो रबादा जैसे गेंदबाज उनके सामने आएं तो कोहली को कोई परेशानी न हो.
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