(Croatia In FIFA Semifinal): क्रोएशिया ने शुक्रवार को वह कर दिखाया, जिसकी बहुत कम लोगों को उम्मीद थी. दुनिया की बारहवें नंबर की टीम क्रोएशिया ने, नंबर एक टीम और खिताब की प्रबल दावेदार ब्राजील को वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया.
अनुभवी खिलाड़ी लूका मोड्रिच की अगुवाई में क्रोएशिया की टीम ने ब्राजील को पूरे मैच में कड़ी टक्कर दी और खेल एकस्ट्रा टाइम के बाद भी 1-1 से बराबर छूटा था. मैच का फैसला पेनल्टी शूटआउट से हुआ, जहां क्रोएशिया ने मैच 4-2 से अपने पाले में किया.
लेकिन यह पहली बार ही नहीं है, जब सेमीफाइलन में पहुंची क्रोएशिया ने सबको चौंका दिया है, दरअसल पिछले वर्ल्डकप मतलब 2018 में भी लूका मोड्रिच की अगुवाई में क्रोएशिया अप्रत्याशित ढंग से फाइलन में पहुंची थी और फ्रांस से हारकर रनर अप रही थी.
लूका मोड्रिच 37 साल के हैं, मौजूदा दौर में रोनाल्डो और मेसी के अलावा उन्होंने ही 5 वर्ल्डकप में शिरकत की है. वे 2006 से क्रोएशिया के वर्ल्डकप स्कवॉड का हिस्सा हैं. उम्र के इस पड़ाव पर भी बेहद चुस्त नजर आने वाले मोड्रिच का यह आखिरी वर्ल्ड कप हो सकता है.
मोड्रिच- औसत टीम का सुपरस्टार कैप्टन
क्रोएशिया की टीम में कोई भी सुपरस्टार जैसी चीज नहीं है, सिवाए लूका मोड्रिच के. मोड्रिच को मौजूदा दौर का सबसे महान मि़डफील्डर माना जाता है. रियल मैड्रिड के 21वीं सदी के ड्रीम रन में मोड्रिच अहम हिस्सा थे.
क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने 2010 के बाद जो चार बैलन डीओर जीते, जिनकी बदौलत वे सार्वकालिक महानतम खिलाड़ियों में शामिल रहे, उसमें मिडफील्ड में मोड्रिच के गेम बिल्डअप की खासी अहमियत रहती थी. मोड्रिच और उनके साथी मिडफील्डर ही गेम को बनाकर मशहूर बीबीसी (बेंजेमा, गैरेथ बेल और क्रिस्टियानो रोनाल्डो) को एक लीथल ऑफेंसिव जोड़ी बनाते थे.
जागरेब से मैड्रिड तक मोड्रिच
9 सितंबर 1985 को जन्में लूका मोड्रिच का बचपन आसान नहीं रहा. उस दौरान क्रोएशिया में आजादी की लड़ाई चल रही थी. इस दौरान उनके परिवार को भी विस्थापित होना पड़ा. 2001 में उन्होंने क्रोएशिया की अंडर-15 टीम के लिए जगह बनाई और 2002 में उन्हें डिनामो जागरेब क्लब ने साइन कर लिया. यह उनके होम टॉउन की टीम थी.
2006 में मोड्रिच ने क्रोएशिया नेशनल टीम में जगह बनाई. वे मिडफील्डर की पोजिशन में खेलते हैं और अटैकिंग मिडफील्डर या डिफेंसिव मिडफील्डर किसी भी रोल में ढल सकते हैं. इसी साल उन्होंने फीफा वर्ल्डकप भी पहली बार खेला.
मोड्रिच की जिंदगी में 2008 एक अहम साल था. उस साल उन्हें प्रीमियर लीग के क्लब टोटेनहम हॉटस्पर ने साइन किया. मोड्रिच की अगुवाई में ही क्लब 50 साल में पहली बार यूईएफए चैंपियन्स लीग में शिरकत करने में कामयाब रहा.
2012 में मोड्रिच को ला लीगा के मशहूर क्लब रियल मैड्रिड ने साइन कर लिया. 2013-14 के चैंपियन्स लीग स्कवॉड में भी मोड्रिच को चुना गया. फिर जिनेदिन जिदान के आने के बाद जब क्लब ने लगातार 2014 से 2017 के बीच तीन खिताब जीते, तो उसमें मोड्रिच एक अहम हिस्सा थे.
2018- मोड्रिच के करियर का सबसे ऊंचा दौर
2018 में ही वर्ल्डकप में मोड्रिच की अगुवाई में क्रोएशिया ने अभूतपूर्व सफलता पाई थी. क्वालिफाइंग राउंड से अपनी जगह बनाने वाली क्रोएशिया अपने ग्रुप स्टेज में टॉप पर रही थी और अर्जेंटीना जैसी मजबूत टीम को भी 3-0 से हराया था. इसमें मोड्रिच ने भी गोल किया था.
फिर राउंड ऑफ 16 में डेनमार्क को पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराया. क्वार्टर फाइनल में भी क्रोएशिया ने मेजबान रूस को पेनल्टी शूटआउट में ही हराया. आखिर में सेमीफाइनल में टीम इंग्लैंड को 2-1 से हराकर फाइनल में पहुंची थी. इस तरह यह मोड्रिच का सबसे सफल साल रहा.
फुटबॉल के इतिहास में कभी दो खिलाड़ियों के बीच इतनी लंबी प्रोफेशनल रिवलरी नहीं रही, जितनी लियोनेल मेसी और रोनाल्डो के बीच रही. दोनों के क्लब बार्सीलोना और रियल मैड्रिड के बीच प्रतिसपर्धा भी बेहद मशहूर है, जिसे अल-क्लासिको कहा जाता है.
फुटबॉल में सबसे प्रतिष्ठित सालाना अवार्ड होता है बैलेन डीओर. यह बेस्ट खिलाड़ी के लिए दिया जाता है. 2008 के बाद से इस अवार्ड को मेसी या रोनाल्डो ही जीतते आ रहे थे. मेसी ने तो 2009 के बाद लगातार चार सालों तक यह अवार्ड जीता. लेकिन इस क्रम को पहली बार 2018 में लूका मोड्रिच ने ही तोड़ा. उन्हें 2018 में यह अवार्ड दिया गया.
क्या मोड्रिच को नहीं मिला जरूरी श्रेय
कई प्रशंसकों का मानना है कि लूका मोड्रिच को उतना श्रेय नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था. दरअसल अक्सर फोकस फॉर्वर्ड खिलाड़ियों पर रहता है. शायद इसलिए ही इनिएस्टा और ज़ावी जैसे खिलाड़ियों पर मेसी और रोनाल्डो जैसे स्टार फॉरवर्ड की वजह से कम ध्यान गया और एक दशक तक किसी मिडफील्डर या डिफेंडर को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का अवार्ड नहीं दिया गया.
लूका जिस पोजिशन में खेलते हैं, वह गेम का टेम्पो बनाए रखने के लिए सबसे अहम पोजिशन होती है. अनुशासन, धैर्य की ज्यादा जरूरत होती है. भले ही मोड्रिच के पास मेसी जैसा गॉड गिवन टैलेंट ना हो, रोनाल्डो जैसे आंकड़े ना हों, लेकिन उनके पास मिडफील्डर के लिए जरूरी गुण पर्याप्त मात्रा में हैं.
तो इतना तो तय है कि क्रोएशिया इस बार बेहतर नतीजों के लिए खेल रही है, ताकि अपने समर्थकों के साथ-साथ अपने सबसे शानदार खिलाड़ी को भी बेहतरीन विदाई दे सके. बिल्कुल उसी तरह जैसी 2011 में क्रिकेट वर्ल्डकप में जीत के साथ भारत ने तेंदुलकर को उनके करियर का सबसे बेहतरीन तोहफा दिया था.
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