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IPL 2018: क्यों चैंपियन की तरह लगती हैं चेन्नई और पंजाब की टीम?

चेन्नई सुपरकिंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब की टीमें इस सीजन में अभी टॉप पर चल रही हैं

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चेन्नई सुपरकिंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब की टीमें इस सीजन में अभी टॉप पर चल रही हैं. दोनों टीमों ने अब तक 5 में से 4 मैच जीते हैं. सोमवार को पंजाब का एक मैच दिल्ली डेयरडेविल्स से भी है. जिसके बाद वो प्वाइंट टेबल में और मजबूत हो सकती है. चेन्नई की टीम तो इस टूर्नामेंट में शुरू से ही मजबूत रही है लेकिन किंग्स इलेवन पंजाब ने इस बार पहले के तमाम सीजन के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है.

चेन्नई सुपरकिंग्स ने 2 बार आईपीएल का खिताब जीता है. इसके अलावा 4 बार वो रनर्स अप रही है. किंग्स इलेवन पंजाब ने अभी तक खिताब तो नहीं जीता लेकिन 2014 में वो रनर अप थी. इसके अलावा आईपीएल के पहले सीजन में पंजाब की टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया है. इस लिहाज से देखा जाए तो किंग्स इलेवन पंजाब ने इस सीजन में बहुत कमाल की शुरूआत की है. ये समझने वाली बात है कि आखिर इन दोनों टीमों के प्रदर्शन में ऐसा क्या खास है जो इन्हें बाकी टीमों के मुकाबले मजबूत साबित करता है. इस बात को समझने के लिए अब तक हुए मैचों के कुछ उदाहरण समझने होंगे जिससे ये तस्वीर साफ हो जाएगी.

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जीत का मंत्र- सब में है हीरो

किसी भी टीम की जीत या हार का फर्क उसके खिलाड़ी ही होते हैं. हर टीम एक ‘प्रॉसेस’ के तहत मैदान में उतरती है. सचिन तेंदुलकर इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर किया करते थे. प्रॉसेस का मतलब वो बताया करते थे- प्रॉसेस दरअसल यही है कि मैच से पहले टीम मीटिंग में जिस खिलाड़ी को जो रोल दिया जाए वो मैदान में जाने के बाद अपने उस रोल को निभाए. जीत में निरंतरता बनाए रखने के लिए इसी प्रॉसेस को लागू करना बहुत जरूरी है.

चेन्नई सुपरकिंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब की टीमें इस सीजन में अभी टॉप पर चल रही हैं
चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम
(फोटो: IPL)
ये बात उन्होंने मेरे एक इंटरव्यू में भी कही थी. चेन्नई और पंजाब की टीमें इस सीजन में इसी प्रॉसेस के तहत मैदान में उतरी हैं इसलिए हर मैच में कोई नया खिलाड़ी हीरो बनकर उबरता है. किसी एक खिलाड़ी पर जरूरत से ज्यादा उम्मीदों का बोछ डाल देने की बजाए सभी खिलाड़ियों ने बोझ को बांट लिया है. जिस भी खिलाड़ी के हाथ में गेंद या बल्ला आता है वो दूसरे पर कोई जिम्मेदारी डालने की बजाए खुद ही जिम्मेदारी को उठाने की कोशिश करता है. यानी नामी गिरामी सितारों को ही हीरो बनाने या मानने की बजाए पूरी टीम मानती है- हम में है हीरो.

बल्ला भांजने से पहले समझो मैच के हालात

इस सीजन का पहला मैच याद कीजिए, ड्वेन ब्रावो ने 30 गेंद पर 68 रन बनाकर टीम को जीत की दहलीज पर पहुंचाया लेकिन हीरो केदार जाधव भी थे जो चोट के बाद भी मैदान में उतरे और छक्का लगाया. दूसरे मैच में यही काम सैम बिलिंग्स और रवींद्र जडेजा ने मिलकर किया. राजस्थान के खिलाफ मैच में शेन वॉट्सन ने शतक जड़ा, सुरेश रैना ने भी अपना रोल सही तरीके से निभाया.

सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ अंबाती रायडू ने 37 गेंद पर 79 रन बना दिए. धोनी ने 12 गेंद पर 25 रन बनाए, जो टीम की जीत में काम आए. इन पारियों को याद करने पर एक बात साफ समझ आती है, वो ये कि जो भी जब क्रीज पर आया उसने मैच की स्थितियों के आंकलन के बाद उसी हिसाब से बल्लेबाजी की.

चेन्नई के 3 गेंदबाज, दीपक चाहर, शेन वॉट्सन और शार्दुल ठाकुर सीजन में अब तक 6-6 विकेट ले चुके हैं. चाहर, जडेजा और वॉट्सन के तौर पर टीम के तीन गेंदबाज ऐसे हैं जिन्होंने अब तक 8 से भी कम से इकॉनमी रेट से गेंदबाजी की है. इसके अलावा चेन्नई की टीम में 5 बल्लेबाज ऐसे हैं जो 35 से ज्यादा की औसत से रन बना रहे हैं.
चेन्नई सुपरकिंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब की टीमें इस सीजन में अभी टॉप पर चल रही हैं

ऐसी ही रणनीति किंग्स इलेवन पंजाब की भी है. टीम के लिए क्रिस गेल धुआंधार पारियां खेल रहे हैं लेकिन टीम सिर्फ उन्हीं के भरोसे नहीं है. केएल राहुल, करुण नायर जैसे भारतीय खिलाड़ियों ने भी अपनी छाप छोड़ी है. पंजाब के पहले मैच में गेल टीम में नहीं थे तो उनकी कमी को लोकेश राहुल ने पूरा किया. 16 गेंद पर 51 रन बनाकर उन्होंने दिखाया कि उन्हें भी अपने रोल को निभाना आता है.

चेन्नई के खिलाफ मैच में गेल की पारी भारी पड़ी. सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ तो क्रिस गेल ने शतक ही ठोक दिया. पंजाब की तरफ से तीन बल्लेबाज हैं जो लगातार 35 के करीब या उससे ज्यादा की औसत से रन जोड़ रहे हैं.

चेन्नई सुपरकिंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब की टीमें इस सीजन में अभी टॉप पर चल रही हैं

पंजाब के दो गेंदबाजों ने सात के करीब की इकॉनमी से गेंदबाजी की है. तीन गेंदबाज ऐसे हैं जिन्होंने 8 से थोड़ा ज्यादा की इकॉनमी से गेंदबाजी की है. कुल मिलाकर 11 के 11 खिलाड़ी अपना-अपना रोल पूरा कर रहे हैं, नतीजा सभी के सामने है.

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