नेहरा के लिए युवराज ने लिखा लेटर
आशीष नेहरा- अपने दोस्त के बारे में जो पहली चीज मैं कहना चाहता हूं वो है उनकी ईमानदारी. वो दिल का बहुत साफ है. शायद कोई धार्मिक किताब ही उनसे ज्यादा ईमानदार होगी. मैं जानता हूं कि कई लोग ये पढ़कर हैरान हो जाएंगे. कई बार ऐसा होता है कि हम किसी इंसान और उनकी जिंदगी को लेकर आलोचनात्मक हो जाते हैं और ऐसा अकसर मशहूर हस्तियों के साथ होता है. इसलिए आशू कई लोगों के साथ बहुत ईमानदार थे और उन्हें इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा. लेकिन मेरे लिए वो हमेशा से आशू या नेहरा जी रहे, वो साफ दिल का इंसान, जो खूब मजेदार है और जो हमेशा अपनी टीम की उम्मीदों पर खरा उतरा.
मैं पहली बार नेहरा से तब मिला, जब हम अंडर-19 के लिए खेला करते थे और उनका सैलेक्शन टीम इंडिया के लिए हो गया था. वो हरभजन सिंह के साथ अपना रूम शेयर कर रहे थे. मैं भज्जी से मिलने उनके कमरे में गया और एक लंबे, पतले लड़के को देखा, जो बिना हिलेडुले खड़ा नहीं रह सकता था. वो एक ऐसी बिल्ली की तरह थे जिसे बेहद गर्म छत के ऊपर छोड़ दिया हो. वो थोड़ी देर चुपचाप बैठेगा लेकिन दूसरे ही पल स्ट्रेचिंग या फिर अपना मुंह मरोड़ने लगेगा या आंखे घुमाने लगेगा. मुझे नेहरा को पहली बार देखकर बहुत हंसी आई और लगा जैसे किसी ने उनकी पैन्ट में चीटियां छोड़ दी हैं. बाद में जब हमने भारत के लिए खेला तब मैंने जाना की आशू ऐसे ही हैं. जहां तक चीटियों की बात है, वो उनकी कड़ी मेहनत का हिस्सा हैं जिसके बारे में मैं बाद में बताउंगा.
सौरव गांगुली, आशू को प्यार से 'पोपट' बुलाते थे क्योंकि वो बहुत बोलता था. इतना की आशू पानी के अंदर भी बातें कर सकता है और वो बहुत मजाकिया भी हैं. मेरे सामने तो उन्हें कुछ बोलने की भी जरूरत नहीं, उनकी बॉडी लैंग्वेज ही इतनी फनी है. अगर आप आशीष नेहरा के साथ हो तो आपका दिन खराब नहीं जा सकता. वो बंदा आपको हंसा-हंसाकर गिरा देगा. मैंने ये बात आशू से कभी नहीं कही कि मुझे उनसे ही प्रेरणा मिली. मैंने देखा कि अगर आशू 38 की उम्र में कई इंजरी और सर्जरी के बाद भी बॉलिंग कर सकता है तो मैं भी 36 की उम्र में बल्लेबाजी कर सकता हूं. सच्चाई यही है कि ये बात मुझे आज भी कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है.
आशू की 11 सर्जरी हुईं- कोहनी, कूल्हे, एड़ी, उंगली, दोनों घुटनों की सर्जरी हो चुकी है. लेकिन इन सबके बावजूद उनकी कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने की चाह ने उन्हें खेल में बनाए रखा. मुझे याद है 2003 वर्ल्ड कप के दौरान उनकी एड़ी बुरी तरह चोटिल हो गई थी. उनके लिए इंग्लैंड के खिलाफ अगला मैच खेलना नामुमकिन था. लेकिन नेहरा जी की जिद थी कि अगला मैच वो खेलेंगे. अंत में डर्बन के होटल स्टाफ को भी पता चल गया था कि आशू खेलने कि लिए कितना उत्सुक है. अगले 72 घंटे उसने अपनी एड़ी में 30-40 बार बर्फ लगाई, टेपिंग की, पेन किलर्स खाईं और अगले दिन किसी जादू की तरह खेलने को तैयार थे. लोगों को लगा आशू को कोई चिंता नहीं लेकिन सिर्फ हम जानते थे कि उसे कितनी फिक्र थी. आशू ने 23 रन देकर 6 विकेट चटकाए और भारत ने इंग्लैंड को 82 रन से हराया. आशू पूरी तरह से टीममैन हैं. 2011 वर्ल्ड कप के दौरान सेमीफाइनल में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ शानदार स्पेल डाला लेकिन दुर्भाग्य से चोटिल हो गए और फाइनल में नहीं खेल पाए. इसके बावजूद वो हंसता रहता था और सब की मदद के लिए तैयार रहता था.
नेहरा के पास अच्छा परिवार है. उनके दो बच्चे हैं. बेटा आरुष और बेटी अराएना. आरुष भी बॉलिंग करता है लेकिन उसका एक्शन अपने पिता से बेहतर है (भगवान का शुक्र है). आशू अपनी बैटिंग के बारे में कभी सीरीयस नहीं था. मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाता जब वो बेशर्मी से अपनी बैटिंग को लेजेंड्री कहता है. सिर्फ यही नहीं वो ये भी कहता है कि अगर वो एक बल्लेबाज होता तो 45 की उम्र तक खेलता. ये उसका आखिरी मैच है, उसके होमग्राउंड पर, सारी दुनिया देख रही है, क्या पता वो मैच जिताऊ पारी खेले. मुझे इस बात का यकीन है कि मैं अकेला नहीं हूं जो आशू के करियर की पर्फेक्ट एंडिंग चाहता है.
ये वक्त मेरे लिए बेहद भावुक है और मुझे यकीन है कि आशू और उसके परिवार के लिए भी उतना ही भावुक है. मैं क्रिकेट का आभारी हूं जिसने मुझे एक सच्चे दोस्त दिया, जिसे मैं हमेशा प्यार करूंगा.
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