साल 2021 की शुरुआत है लेकिन तकनीक की दुनिया के लिए 12 जनवरी को एक युग का अंत हो रहा है. एडोबी 12 जनवरी से फ्लैश प्लेयर में चलने वाले कंटेंट को ब्लॉक करने जा रहा है. इसका मतलब है कि वेब की दुनिया में इंटरैक्टिव कंटेंट को मुमकिन बनाने वाला फ्लैश अब काम करना बंद कर देगा.
एडोबी फ्लैश प्लेयर 1990 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में क्रांतिकारी सॉफ्टवेयर हुआ करता था. इसने एनीमेशन को एक अलग ही स्तर पर पहुंचा दिया था. पर्सनल कंप्यूटर में फ्लैश प्लेयर प्लग-इन होना जरूरी हुआ करता था. इसका इस्तेमाल इंटरनेट पर मल्टीमीडिया कंटेंट रन करने में हुआ करता था.
एडोबी क्या करने जा रहा है?
एडोबी ने दिसंबर 2020 में फ्लैश प्लेयर का आखिरी अपडेट जारी किया था. इस दौरान कंपनी ने ऐलान किया था कि वो '31 दिसंबर 2020 के बाद फ्लैश प्लेयर को सपोर्ट नहीं करेगी.'
कंपनी ने आखिरी रिलीज में लिखा, "एडोबी 12 जनवरी 2021 से फ्लैश प्लेयर में चलने वाले फ्लैश कंटेंट को ब्लॉक करेगा. एडोबी सभी यूजर से अपील करता है कि फ्लैश प्लेयर तुरंत अनइंस्टॉल कर दें, जिससे उनका सिस्टम सुरक्षित रहे."
कंटेंट ब्लॉक करने से एडोबी यूजर को उनके वेब ब्राउजर पर किसी भी फ्लैश कंटेंट को एक्सेस करने से रोकेगा.
फ्लैश प्लेयर बंद करने से लाखों वेबसाइट बुरी तरह प्रभावित होंगी. वेब टेक्नोलॉजी सर्वे साइट के मुताबिक, फ्लैश अभी भी 2.3 फीसदी वेबसाइट पर पाया जाता है.
क्या एडोबी ने एकदम से लिया फैसला?
एडोबी ने फ्लैश प्लेयर को रिटायर करने का पहला ऐलान जुलाई 2017 में किया था. कंपनी ने फैसला एपल, गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और मोजिला के साथ मिलकर लिया था. एडोबी ने डेवलपर्स से मॉडर्न प्रोग्रामिंग स्टैंडर्ड इस्तेमाल करने को भी कहा था.
जनवरी 1996 में लॉन्च किए गए फ्लैश प्लेयर ने वेब की दुनिया को एक अलग ही मुकाम दिया था. इसी प्लेयर की वजह से इंटरनेट पर लोग आज से 15-20 साल पहले गेम खेल पाते थे और वेब ब्राउजर पर एनीमेशन चल पाती थी.
लेकिन ऐसा माना जाता है कि फ्लैश मोबाइल टेक्नोलॉजी से हार गया था. इसी वजह से उसे डेस्कटॉप ब्राउजर से भी हटाया जाने लगा. एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स ने फ्लैश की आलोचना करते हुए 2010 में एक खुला खत लिखा था. आईफोन और आईपैड ने फ्लैश को कभी सपोर्ट नहीं किया था. एपल सफारी भी फ्लैश इस्तेमाल नहीं करने वाला पहला वेब ब्राउजर बना था.
क्यों रिटायर हुआ फ्लैश प्लेयर?
शुरुआत में वेब डेवलपर्स से लेकर ऐप डेवलपर्स और मोबाइल के लिए ऐप्स बनाने वालों तक ने फ्लैश प्लेयर का इस्तेमाल किया था. एडोबी ने बताया था कि फेसबुक के टॉप 25 में से 24 ऐप्स में फ्लैश टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ था.
लेकिन धीरे-धीरे फ्लैश प्लेयर ने अपनी अपील खो दी. इसकी वजह नए स्टैंडर्ड्स का आ जाना और सुरक्षा मुद्दों का उभर आना रहा. कंपनी ने मोबाइल के अनुभव के हिसाब से कुछ अपडेट किए लेकिन वो रेस में पीछे रह गया.
एडोबी ने बताया था, "HTML5, WebGL और WebAssembly जैसे ओपन स्टैंडर्ड्स सालों तक समय के मुताबिक बदलते रहे और फ्लैश कंटेंट का विकल्प बने. इसके साथ ही कई बड़े ब्राउजर इन ओपन स्टैंडर्ड्स को अपने ब्राउजर में इंटीग्रेट कर रहे हैं."
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