दुनिया अब मोबाइल फोन में सिमट गई है. 10 साल के बच्चों के पास भी अपने स्मार्टफोन हैं. बच्चे फोन में क्या देखें, किस वेबसाइट को न देखें, किसी ऐप को कितना इस्तेमाल करें, पेरेंट्स के लिए जानना जरूरी है. अब ऐसे ऐप आ गए हैं, जिसके जरिए पेरेंट्स दूर होकर भी अपने बच्चों पर नजर रख सकते हैं. हालांकि, बच्चे ऑनलाइन क्या बातचीत करते हैं, इसे मॉनिटर करना मुश्किल है.
दिल्ली के टॉप स्कूलों में पढ़ने वाले लड़कों की इंस्टाग्राम चैट ग्रुप "Bois Locker Room" पर लड़कियों के बारे में की गई बातें सामने आने के बाद पैरेंटल कंट्रोल की जरूरत सामने आई है.
पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स
iOS और एंड्रॉइड के लिए कई सारे पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स मौजूद हैं. Google's Family Link ऐप दो पार्ट्स में आता है- एक पेरेंट्स और दूसरा बच्चों के लिए. इसी तरह से Net Nanny, Nischint और eKavach जैसे ऐप्स आते हैं. ये सभी गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर पर मौजूद हैं.
ये ऐप एक दायरा बनाने में मदद करते हैं. अगर बच्चे उस दायरे से बाहर जाते हैं तो ये आपको अलर्ट कर देते हैं. ये ऐप स्क्रीन टाइम और ऐप इस्तेमाल करने का समय मॉनिटर कर सकते हैं और डेली रिपोर्ट्स भेज सकते हैं. इनके जरिए आप ऐप्स और वेबसाइट को बच्चो के फोन पर प्रतिबंधित कर सकते हैं और वो भी रिमोटली.
इन ऐप्स का मकसद बच्चों के लिए एक रूटीन बनाना है. कुछ ऐप्स SMS टेक्स्ट भी पढ़ सकते हैं, लेकिन WhatsApp, ट्विटर के डायरेक्ट मैसेज, इंस्टाग्राम चैट और स्नैपचैट नहीं पढ़ सकते.
हाल ही का "Bois Locker Room" मामला इंस्टाग्राम चैट ग्रुप से जुड़ा है.
स्पाइवेयर का इस्तेमाल
अगर पेरेंट्स वो मैसेज पढ़ना चाहते हैं, जो बच्चे चैटरूम में भेजते हैं, तो ये स्पाइवेयर के इस्तेमाल से ही मुमकिन है. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है.
ध्यान रखिए, स्पाइवेयर इंस्टॉल करना गैरकानूनी हो सकता है क्योंकि इससे निजता छिन जाती है. ऐसे सॉफ्टवेयर सिर्फ सहमति से इंस्टॉल किए जाते हैं, लेकिन ऐसा कम ही होगा कि बच्चे पेरेंट्स को उनकी चैट पढ़ने देना चाहें.
Teen Spy और mSpy जैसे ऐप्स एंड्रॉइड स्टोर या एपल स्टोर पर नहीं मिलेंगे क्योंकि ये गूगल और एपल की प्राइवेसी गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आते. ऐसे ऐप्स थर्ड पार्टी सोर्सेज से इंस्टॉल करने पड़ते हैं. इसके लिए मोबाइल का एंटी-वायरस और एंटी-स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर बंद करना होगा.
बाकी पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स की तरह ही ये ऐप्स भी वही सब फीचर देते हैं. लेकिन इसके अलावा Teen Spy और mSpy एक कस्टम कीबोर्ड भी फोन पर इंस्टॉल कर देते हैं. ये कीबोर्ड बच्चों के फोन में होने वाले हर मैसेज को कीबोर्ड पर होने वाली टाइपिंग के आधार पर रिकॉर्ड कर लेते हैं.
ये ऐप्स WhatsApp और स्नैपचैट के मैसेज भी ट्रैक कर सकते हैं. इसके लिए ये नोटिफिकेशन का स्क्रीनशॉट लेते हैं और अगर बच्चे उस नोटिफिकेशन पर तुरंत रिप्लाई देते हैं, तो वो भी रिकॉर्ड किया जाता है. हालांकि ये ऐप्स भी एक ही तरफ की बातचीत देख सकते हैं. WhatsApp, इंस्टाग्राम चैट और स्नैपचैट के सभी मैसेज पढ़ पाना मुमकिन नहीं है.
सबसे अच्छा तरीका
एक शब्द में: विश्वास.
अगर आपका बच्चा 13 साल से कम है, तो फिर आप उम्र संबंधी ऐप्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. जैसे फेसबुक में बच्चों के लिए मैसेंजर है. ये अकेला ऐप है जो पहले से अनुमति प्राप्त कॉन्टेक्ट्स के साथ ही सेफ मेसेजिंग और वीडियो चैट की इजाजत देता है.
टीनएजर्स के लिए टेक्नोलॉजी सबसे अच्छा तरीका नहीं है. ऐप्स सीमाएं लगा सकते हैं, लेकिन नियंत्रित नहीं कर सकते.
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