न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 अक्टूबर 2020 को मुंबई में जो ब्लैक आउट हुआ था यानी बत्ती गुल हुई थी उसके पीछे चीनी सरकार समर्थित हैकर हो सकते हैं. हाल ही में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि चीनी हैकर ग्रुप APT10 ने भारत में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक पर साइबर हमला किया था. इन खबरों के बाद फिर से भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. सवाल उठता है कि हम साइबर अटैक से बचने के लिए हमने क्या तैयारी कर रखी है?
यहां कौन सी एजेंसियां जो साइबर अटैक का पहले से पता लगा लेती हैं, उसे रोकती हैं या फिर अटैक होने जाने पर हमें बचाती हैं.
भारत ने साइबर सुरक्षा के लिए एक पूरा इकोसिस्टम बना रखा है. कुछ एजेंसियां प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और कुछ विभिन्न मंत्रालयो के अधीन काम करती हैं. इन्हें दो तरह से देखा जा सकता है सिविल साइबर सुरक्षा और मिलिट्री साइबर सुरक्षा.
1) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC)
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) का गठन 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. एनएससी साइबर सुरक्षा औऱ इंटरनेट गवर्नेंस के लिए समन्वयक निकाय के रूप में काम करता है. अखबार द हिंदू में प्रणेश प्रकाश और अरीनद्रजीत बासू लिखते हैं कि एनएससी के प्रमुख ज्यादातर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) होते हैं. एनएसए भारत की साइबर नीति को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एनएसए राष्ट्रीय सूचना बोर्ड के भी मुख्य होते हैं. यह बोर्ड साइबर सुरक्षा के लिए बनने वाले नीति निमार्ण में विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय कराता है.
2) नेशनल क्रिटिकल इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC)
NCIIPC का गठन 2014 में किया गया था. यह संस्था राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है जो कि देश के क्रिटिकल इनफॉर्मेशन (संवेदनशील सूचना) इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा करता है. नेशनल क्रिटिकल इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर पीएमओ कार्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन काम करने वाले राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) का एक यूनिट है.
3) नेशलल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर
नेशलल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर (NCSC) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) सचिवालय के अधीन काम करता है. एनएससी साइबर सुरक्षा के मुद्दों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय करता है. यह भारत सरकार का एक प्रोजक्ट है जो कि साइबर सुरक्षा और ई-निगरानी की एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है. नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर साइबर सुरक्षा इंटेलिजेंस और ऑनलाइन खतरों को कम करने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा का कार्य भी संभालता है.
4) CERT-In: कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम इंडिया
कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम इंडिया (सर्ट-इन) के मुख्य काम कंप्यूटर की सुरक्षा करना, देश भर में आई.टी सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करना और तकनीकी सहायता देना है. इसके अलावा सर्ट-इन के चार्टर के मुताबिक उसके काम साइबर सुरक्षा के खतरों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना, विश्लेषण करना और साइबर खतरे का अनुमान लगाना और लोगों को सतर्क भी करना है. CERT-in इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिन काम करता है.
5) डिफेंस साइबर एजेंसी
डिफेंस साइबर एजेंसी (डीसीए) का गठन 2019 में किया गया था जो कि राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा सलाहकार के साथ मिलकर काम करता है. डीसीए सैन्य से जुड़े साइबर मुद्दो को देखता है न कि नागरिकों से जुड़े हुए. डीसीए ट्राई सर्विस एजेंसी है. यानी कि यह सेना के तीन अंगों वायुसेना, नौसेना और थलसेना के जवानों को शामिल करके बनाया गया है. डीसीए के पहले प्रमुख के रूप में एडमिरल मोहित गुप्ता को नियुक्त किया गया है. ये एजेंसी रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है.
6) साइबर और इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी डिवीजन
यह डिवी़जन केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है. इसका मुख्य काम साइबर अपराध को रोकने का काम करना है. यह राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा नीति की गाइडलाइन का क्रियान्वयन भी करता है. डिविजन में साइबर बिंग, साइबर सुरक्षा विंग इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी बिंग और मनोटिरंग (निगरानी) यूनिट भी शामिल हैं.
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