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सावधान! कोरोना की आड़ में हमला कर रहे हैकर,जरूरी हैं ये सावधानियां

घर से काम करने के दौरान आपको ठीक वैसी ही साइबर सिक्योरिटी नहीं मिल पाती, जैसा कि ऑफिस में मिलती है.

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जहां पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जंग लड़ रही है, रोज हजारों की तादाद में लोगों की मौत हो रही है. इसी बीच एक और संकट बहुत तेजी से पूरी दुनिया में अपने पैर पसार रहा है. वो संकट हैं कंप्यूटर और मोबाइल पर होने वाले साइबर हमले. खतरा कितना भयावह है, कोविड-19 से इसका क्या कनेक्शन है, लॉकडाउन के बीच भारत में घर से काम करने वाले लोगों के लिए साइबर अटैक कितना बड़ा संकट बनकर आया है और इससे बचने के क्या उपाय हैं, ये सब आपके लिए जानना बेहद जरूरी है.

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साइबर आतंकियों के निशाने पर कोरोना से डरे लोग

चीन से निकलकर कोरोना वायरस जैसे दुनिया के दूसरे देशों में पहुंचा, पूरे विश्व में साइबर अटैक के मामले बेतहाशा बढ़ने लगे. जनवरी महीने से रफ्तार और तेज हो गई. साइबर हमलावरों के निशाने पर थे कोरोना वायरस से भयभीत लोग. रोज-रोज कोरोना से संबंधित सैकड़ों वेबसाइट बनने लगीं. लोगों को कोरोना से संबंधित ईमेल और मैसेज मिलने लगे. इन ईमेल और मैसेज में ट्रोजन जैसे वायरस, रैनसमवेयर जैसे मैलवेयर और तरह-तरह के फिशिंग स्कैम भेजे जाने लागे.

चेकप्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नॉलोजी, जो कि एक मल्टीनेशनल IT सिक्योरिटी कंपनी है, के मुताबिक शुरुआत में औसतन रोज 2,600 कोरोना वायरस संबंधी साइबर हमले हो रहे थे. 28 मार्च तक इनकी तादाद बढ़कर 5000 हो गई.

आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च के आखिरी 15 दिनों में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से जुड़े 30,103 नई वेबसाइट रजिस्टर्ड हुई. इनमें से 130 वेबसाइट बेहद खतरनाक पाए गए जबकि 2,777 बेवसाइट की गतिविधि संदेहास्पद पाई गई. कोविड-19 के हमले के बाद अब तक पूरी दुनिया में 51,000 से ज्यादा कोरोना वायरस से संबंधित वेबसाइट रजिस्टर हुई हैं.

कोरोना काल में हैकिंग का ज्यादा खतरा क्यों?

घर से काम करने के दौरान आपको ठीक वैसी ही साइबर सिक्योरिटी नहीं मिल पाती, जैसा कि ऑफिस में मिलती है. मुंबई की साइबर सिक्योरिटी कंपनी सिक्योरिटी ब्रिगेड के फाउंडर यश कड़ाकिया ने द क्विंट को बताया,

‘ऑफिस में काम करने के दौरान आपको कॉरपोरेट फायरवॉल की सुरक्षा मिली होती है, जो कि आपको किसी भी तरह के साइबर हमले से बचाता है. घर पर आपके पास फायरवॉल या एंड-प्वाइंट सुरक्षा नहीं मिलती, ना ही ऑफिस सेट-अप में होने वाली किसी तरह की निगरानी का आपको फायदा मिलता है.’

घर पर काम करने वाले सिंगल यूजर्स साइबर हमलावरों के सॉफ्ट टारगेट माने जाते हैं. ‘लॉकडाउन की वजह से दिन के वक्त भी घरों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद में जबरदस्त बढ़ोतरी आई है. इससे साइबर आतंकियों के लिए व्यापक तौर पर हमलों को अंजाम देने के मौके बढ़ गए हैं,’ इंस्टीट्यूट ऑफ रिस्क मैनेजमेंट के इंडिया सीईओ हर्ष शाह ने द क्विंट को बताया.

‘सबसे डराने वाली बात ये है कि इतनी बड़ी संख्या में होने वाले साइबर हमलों या खतरों का भांपने, उसकी जांच करने और उसका जवाब देने की क्षमता हमारे पास नहीं है,’ शाह ने आगे बताया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में भारत की 76% कंपनियां साइबर अटैक का शिकार हुईं थीं, जबकि दुनिया की बात करें तो सिर्फ 68% कंपनियां इसकी चपेट में आई. भारत में लॉकडाउन के बीच साइबर अटैक की तादाद और बढ़ गई है.

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ऐसे कर सकते हैं साइबर हमलों को नाकाम

सबसे पहले तो एक जैसे दिखने वाले बेवसाइट और डोमेन से दूर रहें. सावधानी के तौर पर उनके ईमेल या वेबसाइट के नाम की स्पेलिंग पर गौर करें और किसी तरह की गड़बड़ी दिखने पर उससे दूरी बनाए रखें.

अनजान ईमेल या मैसेज को लेकर बेहद सावधान रहें. ऐसे ईमेल में मौजूद फाइल पर नजर रखें, अगर मेल में फाइल को खोलने या ऐसी कोई सलाह दी गई हो तो इसे नजरअंदाज करें.

‘स्पेशल ऑफर’ वाले ईमेल या मैसेज को ना खोलें. कोरोना का शर्तिया इलाज की गारंटी लेने वाले ईमेल पूरी तरह फर्जी होते हैं. क्योंकि आप भी जानते हैं कि मौजूदा समय में कोरोना का कोई इलाज नहीं है.

सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधि को लेकर बिलकुल सावधान रहने की जरूरत है. सोशल मीडिया पर थर्ड-पार्टी ऐप की भरमार होती है. किसी भी ऐप को अपने फोन या लैपटॉप पर डाउनलोड करने से पहले दो बार सोचें. लॉकडाउन के बीच घर पर बोरियत खत्म करने के लिए गेम्स से जुड़े ऐप्स की संख्या भी काफी बढ़ गई है. किसी भी गेमिंग ऐप का इस्तेमाल करने से पहले उसकी विश्वसनीयता की जांच जरूर कर लें.

ग्लोबल साइबर अटैक से निपटने की तैयारी पूरी

कोविड-19 संबंधी ग्लोबल साइबर खतरे से निपटने के लिए दुनिया के अलग-अलग देशों से करीब 2600 साइबर सिक्योरिटी पेशेवरों ने हाथ मिलाया है. जिसमें भारत के कम-से-कम प्रोफेशनल भी शामिल हैं. इस नेटवर्क का नाम है ‘कोविड-19 साइबर थ्रेट कोएलिशन’. 19 मार्च के आसपास बने इस संगठन में किसी सरकार की कोई दखल नहीं है, और इसकी अगुवाई कर रहे हैं ब्रिटिश IT सिक्योरिटी कंपनी सोफोस के चीफ साइंटिस्ट जोशुआ सैक्स.

‘कोविड-19 साइबर थ्रेट कोएलिशन’ के चीफ जोशुआ सैक्स ने द क्विंट को बताया कि ‘जैसे-जैसे ग्लोबल मंदी के हालात बनते जा रहे हैं, संभावना है कि फर्जी फाइनेंशियल रिलीफ एजेंसियों के फिशिंग स्कैम आने वाले दिनों में और बढ़ेंगे, लोगों के बैंक संबंधी जानकारी को चुराने की कोशिशें और तेज होने वाली है.’
घर से काम करने के दौरान आपको ठीक वैसी ही साइबर सिक्योरिटी नहीं मिल पाती, जैसा कि ऑफिस में मिलती है.

इस नेटवर्क का सबसे बड़ा मिशन है ज्यादा से ज्यादा लोगों को इन साइबर खतरों के बारे में आगाह करना, वायरस, मैलवेयर और फिशिंग को रोकने के लिए एक ढांचा तैयार कर कंपनियों को मुहैया करना ताकि वो खुद को इन हमलों से बचा सकें और ऐसे खतरनाक बेवसाइट्स की पहचान कर इसे तुरंत निष्क्रिय किया जा सके.

घर से काम करने के दौरान आपको ठीक वैसी ही साइबर सिक्योरिटी नहीं मिल पाती, जैसा कि ऑफिस में मिलती है.

मुंबई की सिक्योरिटी ब्रिगेड के फाउंडर यश कड़ाकिया ग्लोबल साइबर खतरे से निपटने के लिए बने नेटवर्क में सबसे पहले शामिल होने वाले लोगों में से एक हैं. द क्विंट से बातचीत में उन्होंने आगाह किया कि ‘बहुत संभावना है कि अगले कुछ महीनों में डाटा लीक होने की घटनाओं में भयंकर इजाफा हो सकता है. साइबर खतरे से निपटने के लिए नेटवर्क ने छोटे-छोटे ग्रुप तैयार किए हैं जो कि दुनिया भर से सामने आ रही हैकिंग की शिकायतों पर अलग-अलग काम कर रहे हैं.’

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स्टॉक मार्केट, ट्रेडिंग से जुड़े साइबर हमलों में उछाल

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के लिए सबसे बड़ी चुनौती है स्टॉक मार्केट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट से संबंधी साइबर हमलों की पहचान कर उन्हें रोकना. भारत के साथ-साथ दूसरे देशों में भी ज्यादातर ऐसे हमले फर्जी ईमेल के जरिए होते हैं जो कि देखने में किसी ट्रेडिंग या ब्रोकिंग कंपनी की तरफ से भेजे गए लगते हैं. ज्यादातर फिशिंग और रैनसमवेयर अटैक इन्हीं ईमेल से किए जाते हैं.

यही वजह है कि ट्रेडिंग करने वाली कंपनियां अपने ग्राहकों को आगाह कर रही है कि वो किसी अनजाने मैसेज या ईमेल को खोलने की कोशिश ना करें. यश कड़ाकिया ने बताया कि ‘स्टॉक मार्केट में काम करने वाले उनके ग्राहकों ने शिकायत की कि मार्च में ऐसे साइबर हमलों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ. कोविड-19 के साथ स्टॉक मार्केट में आई गिरावट से ऐसी घटनाओं में और तेजी आ सकती है.’

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