जब ऑनलाइन (online) खाना मंगाते हैं या कोई सामान खरीदते हैं और वो आपको पसंद नहीं आता है, खराब क्वालिटी का रहता है तो आप कई बार रिव्यू लिखते हैं, रेटिंग देते हैं. खराब सामान के बारे में दूसरे लोगों को भी सचेत करते हैं. लेकिन क्या आपके निगेटिव रिव्यू को छिपा दिया जाता है? क्या आपको भी लगता है कि ई-कॉमर्स कंपनी आपके रिव्यू को दूसरे लोगों तक पहुंचने से रोकती हैं?
दरअसल, एक सर्वे सामने आया है जिसमें पाया गया है कि 58% यूजर्स का मानना है कि ई-कॉमर्स वेबसाइटें अपनी निगेटिव रेटिंग और रिव्यू पब्लिश नहीं करती हैं.
बता दें कि इसी साल मई के महीने में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र सरकार ई-कॉमर्स पोर्टल और वेबसाइट पर फर्जी रिव्यू पर रोक लगाने के लिए फ्रेमवर्क बनाएगी. साथ ही फर्जी रिव्यू लिखने वालों को खोजने का मैकेनिज्म बनाया जाएगा.
लोकलसर्किल के एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया है कि 64 फीसदी लोग ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर रेटिंग और रिव्यू चेक करते हैं. लगभग 65 प्रतिशत लोग प्रोडक्ट रेटिंग को पॉजिटिव रूप से पक्षपाती मानते हैं, जो यह दर्शाता है कि विक्रेता अपने प्रोडक्ट के लिए ओपिनियन और राय को प्रभावित कर रहे हैं. सिर्फ 18 प्रतिशत ने रेटिंग को सटीक पाया.
2019 में इसी तरह के एक सर्वे में ये भी इसी तरह की बात सामने आई थी, तब करीब 62 फीसदी यूजर्स ने पाया था कि ज्यादातर प्रोडक्ट की रेटिंग सकारात्मक थी. 12 फीसदी ने कहा था कि यह सही था. कुल मिलाकर, ई-कॉमर्स साइटों पर खरीदारी करने वाले 80 प्रतिशत यूजर्स के पास पिछले 12 महीनों में एक या उससे ज्यादा उदाहरण हैं जहां एक हाई रेटेड प्रोडक्ट उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं करता है.
लोकलसर्किल ने कहा कि सर्वेक्षण को 284 भारतीय जिलों में 38,000 से ज्यादा यूनिक कंज्यूमर से 69,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं.
यह पूछे जाने पर कि ई-कॉमर्स साइटों/ऐप्स पर किसी प्रोडक्ट की कम रेटिंग या नकारात्मक रिव्यू पोस्ट करने पर उनका क्या अनुभव रहा है, सिर्फ 23 प्रतिशत ने कहा कि उनकी राय "ठीक उसी तरह पब्लिश की गई है जैसी उन्होंने लिखी थी."
कई यूजर्स जिन्हें अगर गैर-वापसी (non-returnable) प्रोडक्ट या नकली प्रोडक्ट या पूरी तरह से अलग प्रोडक्ट भेजा जाता है, तो उनके पास अपनी नाराजगी या असंतोष व्यक्त करने के लिए सिर्फ रेटिंग और रिव्यू का ही ऑपशन बचता है. ऐसे में ज्यादातर यूजर्स का कहना है कि यूजर्स के रिव्यू को छिपाकर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अनुचित व्यापार प्रथाओं (unfair trade practices) में शामिल हो रहे हैं.
जिन यूजर्स की नकारात्मक समीक्षा या रेटिंग ई-कॉमर्स साइटों द्वारा रोकी गई थी, उनका संख्या 2019 में 47 प्रतिशत थी जो 2022 में बढ़कर 58 फीसदी हो गई है.
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