अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड (Ford) भारत में अब अपने कार नहीं बनाएगी. फोर्ड ने भारत में अपने व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रीज को बंद करने का फैसला लिया है. कंपनी ने इसके पीछे लगातार हो रहे घाटे को जिम्मेदार बताया है.
चार हजार लोगों पर बेरोजगारी का खतरा
कंपनी के मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रीज बंद करने के फैसले से चेन्नई से 35 किलोमीटर दूर मराईमलाईनगर और गुजरात के साणंद में फोर्ड के कारखानों में काम करने वाले फोर्ड के लगभग 4,000 कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.
कंपनी के मुताबिक, फोर्ड ने अपने कर्मचारियों को गुरुवार दोपहर इस फैसले के बारे में आधिकारिक जानकारी दी है. और कंपनी के अधिकारी चेन्नई और साणंद में कर्मचारियों, यूनियनों, आपूर्तिकर्ताओं, डीलरों, सरकार और अन्य हितधारकों के साथ "निकटता से काम" कर रहे हैं ताकि "प्रभाव को कम करने के लिए निष्पक्ष और संतुलित योजना विकसित की जा सके."
फोर्ड इंडिया के प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर, अनुराग मेहरोत्रा ने कहा,
"फोर्ड भारत में ग्राहकों को सर्विस और वारंटी सपोर्ट को जारी रखेगी. फिगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल, इकोस्पोर्ट और एंडेवर जैसे मौजूदा प्रोडक्ट की बिक्री मौजूदा डीलर इन्वेंट्री के बेचे जाने के बाद बंद हो जाएगी. फोर्ड का भारत में एक लंबा और गौरवपूर्ण इतिहास है. हम अपने ग्राहकों और रीस्ट्रक्चरिंग से प्रभावित लोगों के लिए कर्मचारियों, यूनियनों, डीलरों और सप्लायर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं."
10 सालों में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का घाटा
बता दें कि फोर्ड पिछले लंबे समय से भारत में संघर्ष कर रही थी, कोरोना महामारी के बाद हालात और खराब हो गए. कंपनी की गाड़ियों की बिक्री में भी लगातार गिरावट आई है. कंपनी ने पिछले 10 सालों में $2 बिलियन से अधिक के घाटे को बंद के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
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