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PUBG खेलने की वजह से हो सकती है जेल, कई शहरों ने गेम को किया बैन 

राजकोट के बाद अब कई अन्य शहरों ने भी PUBG पर बैन लगाया है.

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आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था. जाने-माने ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम पबजी की ओर से अपने पहले सालगिरह के ऐलान के कुछ दिनों बाद ही यह गेम भारतीय कानून के लपेटे में आ गया है. सबसे पहले इसे राजकोट पुलिस ने बैन किया और अब कई अन्य शहरों ने भी ऐसा ही किया है.

राजकोट पुलिस कमिशनर मनोज अग्रवाल द्वारा जारी किये गए एक बयान के मुताबिक 9 मार्च को लागू किया गया यह बैन 30 मार्च 2019 तक जारी रहेगा.

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इसकी देखा-देखी कई अन्य भारतीय जिलों, जैसे भावनगर और गिर सोमनाथ के कुछ हिस्सों ने भी इस गेम पर बैन लगाया और इसे “लती” और बच्चों के लिए नुकसानदेह होने का हवाला दिया. इन दोनों जगहों के जिलाधिकारियों ने पबजी को बैन करते हुए बयान जारी किया.

बैन के दौरान, कोई भी व्यक्ति पबजी खेल रहे किसी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है और दोषी पाए जाने पर अपराधियों / गेमर्स के खिलाफ IPC की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि इसकी कुछ शर्तें भी हैं.

IPC की धारा 188 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति एक विधिसम्मत प्राधिकरण की ओर से जारी किए गए किसी आदेश के खिलाफ जाता है साथ ही :

“...अगर ऐसा करना कानूनी रूप से किसी व्यक्ति के लिए व्यवधान, परेशानी या चोट, या व्यवधान के खतरे, परेशानी या चोट का कारण बनता है या बन सकता है, तो उस व्यक्ति को एक महीने तक की जेल की सजा या दो सौ रुपये तक का जुर्माना या दोनों के साथ सजा दी जा सकती है...”

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नतीजतन, केवल गेम खेलने की वजह से आपराधिक कार्यवाही नहीं होनी चाहिए और यह तभी लागू होता है, जब गेम खेलने वाला व्यक्ति किसी तरह के व्यवधान, परेशानी या चोट का कारण बन रहा हो. हालांकि ये ऐसे नियम हैं, जो विवेचना के लिए खुले हैं. इस धारा की व्याख्या यह कहती है कि इसके तहत होने वाले अपराध में नुकसान या नुकसान का खतरा होना चाहिए.

‘मोमो चैलेंज’ पर भी कुछ ऐसा ही बैन लगाया गया है, जो लोगों को चुनौतियों की सीरीज को पूरा करने के लिए मजबूर करता है.

हालांकि पुलिस को इस बैन से छूट हासिल है, क्योंकि उन्हें छानबीन के लिए गेम खेलने/इस्तेमाल करने की जरूरत होती है. इसके साथ ही शैक्षिक और शोध संस्थानों को भी इस बैन से छूट मिली है.

जारी किए गए बयान में कहा गया है कि इस गेम को खेलने वालों में हिंसक बर्ताव में बढ़ोतरी होती है. इनमें से कई स्कूल जाने वाले बच्चे भी हैं. यह भी कहा गया है कि यह गेम शैक्षणिक प्रक्रिया में भी बाधा डालता है. हालांकि यह विचार पूरी तरह सही नहीं लगता है, क्योंकि इस तर्क का कोई सबूत नहीं है और कई अन्य ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम हैं, जो पबजी की तुलना में बहुत ज्यादा हिंसक हैं.

सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि इस गेम को खेलने वाले “खिलाडियों का बर्ताव समय के साथ बदल जाता है.”

पबजी प्लेयर्स और मल्टीप्लेयर गेमिंग कम्युनिटी के फैन्स ने ट्विटर पर अपनी निराशा जताई है.

पबजी ने इस मुद्दे पर कोई बयान जारी नहीं किया है. हालांकि इसने विभिन्न स्रोतों से प्रतिक्रिया ली है और उम्मीद है कि इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाएगा.

(PTI इनपुट्स के साथ)

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