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चांद की ओर चला चंद्रयान-2, जानिए क्या है आगे का अभियान

20 अगस्त तक चंद्रयान-2 के चांद के सबसे करीबी कक्षा में पहुंचने की उम्मीद की जा रही है

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इसरो ने बुधवार तड़के चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा से निकालकर चांद की ओर सफलतापूर्वक भेज दिया. इसरो ने बताया कि सब कुछ अपने तय समय के मुताबिक तड़के 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू किया गया.

स्पेस एजेंसी ने बताया कि 22 जुलाई को लॉन्च होने के बाद के बाद 6 अगस्त तक चंद्रयान-2 का ऑर्बिट पांच गुना बढ़ा था. साथ ही 20 अगस्त तक चंद्रयान-2 के चांद के सबसे करीबी कक्षा में पहुंचने की उम्मीद की जा रही है.

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‘‘2 बजकर 21 मिनट पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 का ऑर्बिट बढ़ा दिया गया. इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का फ्यूल 1203 सेकेेंड के लिए जला. इसके साथ ही वो पृथ्वी के कक्ष से निकलकर चांद की ओर बढ़ गया.’’
इसरो का बयान

चंद्रयान-2 को चांद के कक्ष में पहुंचाने के लिए स्पेसक्राफ्ट का लिक्विड इंजन एक बार फिर से फायर होगा. इसके बाद 4 और कक्षों में से चंद्रयान-2 गुजरेगा, जिसके बाद वो चांद के ध्रुव से करीब 100 किलोमीटर की दूरी वाले ऑर्बिट में प्रवेश करेगा.

7 सितंबर को स्पेसक्राफ्ट लैंडर विक्रम के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने की उम्मीद है, जिसके बाद वो चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर खोज शुरू करेगा.

इसरो के मुताबिक, इसरो की टेलीमेटरी से लगातार स्पेसक्राफ्ट की निगरानी की जा रही है. इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क के एंटेन्ना की मदद से स्पेसक्राफ्ट को ट्रैक और कमांड किया जा रहा है. लॉन्च के बाद से GSLV MkIII-M1, चंद्रयान-2 पर लगे सभी सिस्टम नॉर्मल परफॉर्म कर रहे हैं.

इस प्रक्रिया के बारे में के. सिवन ने बताया था

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष के. सिवन ने सोमवार को कहा, ‘‘14 अगस्त को तड़के लगभग साढ़े तीन बजे हम ‘ट्रांस लूनर इंजेक्शन’ नामक अभियान प्रक्रिया को अंजाम देने जा रहे हैं. इस अभियान चरण के बाद ‘चंद्रयान-2’ धरती की कक्षा को छोड़ देगा और चांद की तरफ बढ़ जाएगा. 20 अगस्त को हम चंद्र क्षेत्र में पहुंचेंगे.’’

चंद्रयान-1 की सफलता के 10 साल बाद दूसरा मिशन

दस साल में दूसरी बार भारत ने चांद पर मिशन भेजा है. इससे पहले चंद्रयान-1 साल 2008 में भेजा गया था. इसरो का यह अब तक का सबसे जटिल मिशन है. चंद्रयान- 2 के जरिए चंद्रमा की सतह, मिट्टी की जानकारी, पानी की मात्रा, अन्य खनिजों और पर्यावरण की स्थिति से संबंधित तथ्य पता लगाने की कोशिश की जाएगी.

इस पूरी परियोजना में 978 करोड़ का खर्च आया है. चंद्रयान 2 के लिए सेटेलाइट पर 603 करोड़ और GSLV MK III के लिए 375 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. चंद्रयान 2 पूरी तरह स्वदेशी अभियान है.

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