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पेट्रोल-डीजल की जगह क्लीन एनर्जी अपनाकर $12 ट्रिलियन बच सकते हैं- स्टडी

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में शोधकर्ताओं का दावा- क्लीन एनर्जी को अपनाना आर्थिक रूप से किफायती

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साइंस
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जीवाश्म ईंधन (Fossil fuels) की जगह नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के स्रोतों के इस्तेमाल से दुनिया साल 2050 तक लगभग 12 ट्रिलियन डॉलर की बचत कर सकती है. यह दावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में किया गया है. साथ ही इस स्टडी में कहा गया है कि यह दावा करना गलत और निराशावादी है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की ओर तेजी से बढ़ना आर्थिक रूप से महंगा होगा.

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कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौर में ऊर्जा की आपूर्ति को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण गैस की कीमतों में तेजी आई है. ऐसे में सामने आए इस स्टडी में शोधकर्ताओं का कहना है कि नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी तकनीकों की गिरती लागत के कारण अब क्लीन एनर्जी को अपनाना आर्थिक रूप से किफायती नजर आता है.

ऑक्सफोर्ड मार्टिन स्कूल में इंस्टीट्यूट फॉर न्यू इकोनॉमिक थिंकिंग के प्रोफेसर डॉयने फार्मर ने BBC न्यूज से बात करते हुए कहा कि

“हमारा केंद्रीय निष्कर्ष है कि हमें ग्रीन एनर्जी को अपनाने की ओर पूरी तेजी से आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि इससे हमारा पैसा बचेगा”

क्लीन एनर्जी में स्विच करना आर्थिक रूप से फायदेमंद- रिसर्चर इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे?

इस स्टडी के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन के लिए आज तक की कीमत के डेटा को देखा गया और फिर उसके आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि आगे भविष्य में उनकी कितनी बदलने की संभावना है

जहां तक पेट्रोल-डीजल-कोयला- गैस जैसे जीवाश्म ईंधन की बात है तो उससे जुड़ी कीमतों का डेटा रिसर्चर के पास पिछले 100 साल से अधिक पुराना था और उसके विश्लेषण से पता चला कि महंगाईऔर बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखने हुई कीमत में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.
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दूसरी तरफ नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी तकनीक को आए अभी बमुश्किल से केवल 10 साल हुआ है और यही कारण है कि उससे जुड़े आंकड़े सीमित हैं. लेकिन इस छोटी सी समयसीमा में भी ग्रीन टेक्नोलॉजी में निरंतर सुधार हुआ है और इसका मतलब है कि सौर और पवन ऊर्जा की लागत में तेजी से गिरावट आई है- स्टडी के मुताबिक सालाना 10% की दर से.

स्टडी में यह उम्मीद जताई गयी है कि नवीकरणीय ऊर्जा की कीमत में गिरावट जारी रहेगी. इसका आधार उस डेटा को भी बनाया गया है, जिसके अनुसार इसी तरह की अन्य तकनीकों पर बड़े पैमाने पर निवेश और रिसर्च ने उन्हें सस्ता बना दिया है.

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