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कैशलेस ट्रांजेक्‍शन कर रहे हैं, तो ये चार्जेज जरूर जान लें

हम यहां अलग-अलग पेमेंट के तरीकों और उनके चार्ज के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

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नोटबंदी के बाद सरकार डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने में जुटी है. वह ट्रांजेक्शन कॉस्ट कम करने की भी कोशिश कर रही है. ऐसे में आपके लिए इस सिस्टम के बारे में जानना बेहद जरूरी है.

हम यहां पेमेंट के अलग-अलग तरीकों और उनके चार्ज के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

डेबिट और क्रेडिट कार्ड

डेबिट और क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर बैंक कमीशन लेते हैं. वे कई ऑफर के जरिये कस्टमर को इसका एक हिस्सा वापस कर देते हैं.

चार्ज: कार्ड से पेमेंट करने पर आमतौर पर 1-2 पर्सेंट एक्स्ट्रा देना पड़ता है.

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई)

यूपीआई में एक बैंक खाते से दूसरे बैंक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल होता है.

  • यूपीआई को यूज करने के लिए पहले आपको किसी बैंक से यह ऐप डाउनलोड करना होगा.
  • उसके बाद एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस बनाना होगा, जो ईमेल आईडी की तरह होता है.
  • फिर आपको मोबाइल मनी आइडेंटिफायर यानी एमएमआईडी जेनरेट करनी होगी. यह सात अंकों का नंबर होता है, जो रजिस्ट्रेशन के बाद बैंक से मिलता है.

यूपीआई से मनी ट्रांसफर कुछ सेकेंडों में किया जा सकता है.

चार्ज: प्रति ट्रांजेक्शन 50 पैसे

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अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंटरी सर्विस डेटा (यूएसएसडी)

इस प्लेटफॉर्म की खूबी यह है कि इसमें पैसे ट्रांसफर करने के लिए फोन में इंटरनेट कनेक्शन होना जरूरी नहीं है. इसकी मदद से आप बैंक अकाउंट बैलेंस चेक कर सकते हैं और छोटी रकम ट्रांसफर कर सकते हैं. यूएसएसडी टेलीकॉम कंपनियों के वॉयस नेटवर्क पर काम करता है. यह सर्विस तभी काम करती है, जब मोबाइल नंबर एक या उससे अधिक बैंक खातों के लिए रजिस्टर्ड हो.

  • इस सर्विस के लिए आपको फोन से *99# डायल करना होता है.
  • इसके बाद फोन एक यूएसएसडी मैसेज भेजता है, जिसमें बैंक के नाम के पहले तीन अक्षर या आईएफएससी कोड के पहले चार लेटर भरने को कहा जाता है.
  • उसके बाद फोन में अकाउंट बैलेंस चेक करने या पैसे ट्रांसफर करने का ऑप्शन दिखता है. इसमें भी पैसे ट्रांसफर करने के लिए एमएमआईडी की जरूरत पड़ती है.

चार्ज: प्रति ट्रांजैक्शन 50 पैसे

आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एईपीएस)

देश में 36 करोड़ आधार कार्ड होल्डर्स ने अपनी यूनीक आईडी को बैंक अकाउंट से लिंक किया है. ये लोग इस पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं. आगे चलकर आधार कार्ड यूजर्स के लिए डेबिट कार्ड में बदल सकता है. इस पेमेंट सिस्टम में फिंगर प्रिंट रीडर का इस्तेमाल होता है, जिसकी कीमत 2,000-4,000 रुपये के बीच है.

इसमें एक सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है, जिसका इस्तेमाल मर्चेंट्स पेमेंट लेने के लिए कर सकते हैं. आधार एक कॉमन प्लेटफॉर्म पर भी काम कर रहा है, जिस पर एक बैंक से दूसरे बैंक के बीच ट्रांजेक्शन हो सकेगा.

इस पेमेंट सिस्टम के लिए दुकानदार के पास स्मार्टफोन होना चाहिए, जबकि कस्टमर आधार कार्ड नंबर और बायोमीट्रिक पहचान (फिंगर प्रिंट या आइरिश स्कैन) से भुगतान कर सकेंगे.

इस मोबाइल एप्लीकेशन में हैंडसेट का इस्तेमाल कस्टमर की बायोमीट्रिक पहचान की पुष्टि के लिए होगा. बैंक अकाउंट से आधार को लिंक करने के बाद एईपीएस से फंड ट्रांसफर, बैलेंस इंक्वायरी, कैश डिपॉजिट या कैश निकालने जैसे काम भी हो सकते हैं.



हम यहां अलग-अलग पेमेंट के तरीकों और उनके चार्ज के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
(फोटो: द क्विंट)

प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन

शहरों में छोटी दुकानों से लेकर हाइपर मार्केट चेन में ये मशीनें लगी होती हैं, जहां आप डेबिट और क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर सकते हैं. दुकानदार पीओएस मशीन किसी बैंक से लेता है. इसके लिए उसका संबंधित बैंक में अकाउंट होना चाहिए. बैंक दुकानदार को पीओएस मशीन मुफ्त में देते हैं, लेकिन वे इससे होने वाले हर ट्रांजेक्शन पर दुकानदार से कमीशन लेते हैं, जिसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) कहते हैं.

चार्ज: 2,000 रुपये से कम के ट्रांजेक्शन के लिए 0.75 पर्सेंट और इससे ज्यादा रकम के लिए ट्रांजेक्शन वैल्यू का 1 पर्सेंट.

हालांकि अगर किसी दुकानदार के पीओएस टर्मिनल से ज्यादा ट्रांजेक्शन होते हैं, तो बैंक उनसे कम एमडीआर चार्ज करते हैं. नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए 30 दिसंबर तक बैंकों ने एमडीआर चार्ज खत्म कर दिया है.

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ई-वॉलेट

यह इलेक्ट्रॉनिक पर्स की तरह होता है, जिसमें आप अपने नेट बैंकिंग के जरिये बैंक अकाउंट, डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पैसे डालते हैं और उसके बाद इनसे कई सर्विसेज के लिए भुगतान करते हैं. पेटीएम, मोबिक्विक, फ्रीचार्ज और ऑक्सीजन ई-वॉलेट हैं.

रिजर्व बैंक के हालिया निर्देश के मुताबिक, आप हर महीने ई-वॉलेट में 20,000 रुपये तक डाल सकते है. ‘नो योर कस्टमर’ डिटेल देने के बाद इसमें हर महीने 1 लाख रुपये तक डाले जा सकते हैं.

इनके अलावा एसबीआई, आईसीआईसीआई जैसे बैंकों ने भी अपने वॉलेट लॉन्च किए हैं. ई-वॉलेट का इस्तेमाल आप तभी कर सकते हैं, जब आपके पास इंटरनेट कनेक्शन वाला स्मार्टफोन हो. वॉलेट ओपन करने के लिए आपको मोबाइल फोन नंबर और ईमेल एड्रेस जैसी कुछ इंफॉर्मेशन देनी पड़ती है. अगर आप किसी बैंक का वॉलेट यूज कर रहे हैं और वह आपके बैंक खाते से जुड़ा है, तो नेट बैंकिंग से इसमें पैसे डाले जा सकते हैं.

चार्ज: ई-वॉलेट का चार्ज 1-5 पर्सेंट तक हो सकता है. वॉलेट से आप बैंक अकाउंट में पैसे डाल सकते हैं, जिस पर 1 पर्सेंट का चार्ज लगता है.

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