अब तक हवाई यात्रा के दौरान आपको कुछ घंटों के लिए अपना फोन स्विच ऑफ करना पड़ता था, लेकिन अब आप इस जगह भी फोन का इस्तेमाल कर सकेंगे.
भारत में अब जल्द ही फ्लाइट से सफर के दौरान यात्रियों को वाई-फाई की सुविधा मिलेगी. देश की सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले को लेकर हरी झंडी दिखा दी है.
द क्विंट ने 25,000 फीट की ऊंचाई पर जाकर फेसबुक लाइव किया. देखिए वीडियो:
हमने फ्लाइट के अंदर लाइव ब्रॉडकास्ट के दौरान हनीवेल एयरोस्पेस इंडिया के अध्यक्ष नीलू खत्री और कस्टमर बिजनेस लीडर ससी कांचारला से बात की.
फ्लाइट के अंदर इंटरनेट कनेक्शन किस तरह काम करता है?
ये कुछ चीजें हैं जिस वजह से फ्लाइट के अंदर वाई-फाई और इंटरनेट कनेक्शन ठीक से काम करता है.
हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन
यात्रियों के लिए सबसे बड़ा फायदा ये है कि वो हवा में भी इंटरनेट से जुड़े रह सकते हैं. हनीवेल से ससी कांचारला ने बताया कि हर विमान केबिन में इंटरनेट के लिए 50 एमबीपीएस बैंडविड्थ की स्पीड उपलब्ध है.
विमान में रख-रखाव आसान
किसी भी समय सैटेलाइट एंटीना विमान में 50 एमबीपीएस की स्पीड मैनेज कर सकता है. विमान का सेंसर कई सिस्टमों से डेटा प्राप्त करता है और नीचे मौजूद मेंटेनेंस इंजीनियर को भेजता है. वह विमान के लिए एडवांस में सर्विस तैयार करता है, न कि पायलट का नीचे आने के लिए इंतजार करता है. इस तरह एयरलाइंस का समय बचता है.
मौसम की चेतावनी
हाई स्पीड इंटरनेट की सहायता से पायलट को मौसम के स्थिति की जानकारी पहले से ही मिल जाती है. इससे पायलट नया रास्ता अपनाने की योजना बनाने में मदद मिल जाती है. इस तरह यात्रियों के लिए सुरक्षित उड़ानें तय होती हैं.
बेहतर ईंधन क्षमता
इंटरनेट की कनेक्टिविटी होने की वजह से विमान में खर्च होने वाले ईंधन का हिसाब पहले से ही लगाया जा सकता है. इससे पायलट को अपना रूट बनाने और लंबे समय के लिए एयरलाइंन को ईंधन की लागत कम करने में मदद मिलती है.
हालांकि फ्लाइट के अंदर इंटरनेट कनेक्शन की बात कोई नई नहीं है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय भारत में फ्लाइट के अंदर इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुरक्षा के मुद्दों को देख रहा है.
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