ADVERTISEMENTREMOVE AD

फटाफट डिजिटल लोन की चकाचौंध के पीछे की काली दुनिया को समझिए और बचिए

डिजिटल लेंडिंग ऐप्स से संबंधित शिकायतों की बढ़ती संख्या को दूर करने के लिए, RBI ने एक पोर्टल- सचेत बनाया है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

'बस दो मिनट में लोन लें', 'नौकरी नहीं है तो टेंशन नॉट, एप डाउनलोड करें और लोन पाएं.' मोबाइल या सोशल मीडिया पर अक्सर इस तरह के मैसेज फ्लैश होते हैं, लेकिन ऐसे अनरेगुलेटेड डिजिटल लोन एप्लिकेशन (Digital loan App) अब माफियाओं की तरह काम करने लगे हैं और कई बार लोगों की जिंदगी पर बन आती है.

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब बहुत से लोगों की नौकरी गई थी तब भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें मोबाइल एप के जरिए कर्ज दिया जाता था और कर्ज देकर लोगों से ऊंची दरों पर ब्याज वसूला जाता था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
इन एप्लिकेशन के जरिए कई अवैध कंपनियां कर्जदारों की वित्तीय साक्षरता की कमी का फायदा उठाती हैं और सालाना 500% के ब्याज दर तक से पैसे वसूलते हैं. यहां तक की कई मामलों में डिजिटल लेंडिंग प्‍लेटफॉर्म (Loan App) ज्यादा ब्याज वसूलने और पेमेंट में देरी पर वसूली के कठोर तरीकों को अपनाते हैं.

ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है कि क्या इस तरह के डिजिटल लोन एप्लिकेशन लीगल हैं? क्या ये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियम को मानते हैं? क्या सरकार इनपर निगरानी रखती है? भारत में इस तरह के एप्लिकेशन को लेकर क्या नियम हैं?

भारत में 600 अवैध लोन देने वाले ऐप

अभी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कम से कम 1,100 डिजिटल लोन प्रोवाइडर हैं जिसमें से करीब 600 अवैध लोन देने वाले ऐप चल रहे हैं. डिजिटल लेंडिंग पर आरबीआई वर्किंग ग्रुप (डब्ल्यूजी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये ऐप एंड्रॉइड यूजर्स के लिए कई ऐप स्टोर पर उपलब्ध हैं, ताकि यूजर्स को ठगा जा सके.

ऐसे अवैध एप्लिकेशन के खिलाफ सरकार द्वारा की गई सुधारात्मक कार्रवाई पर, MoS Finance ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, MeitY (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) ने 27 गैरकानूनी लोन देने वाले ऐप्स को ब्लॉक कर दिया था.

0

अवैध डिजिटल लोन एप्लिकेशन के लिए कहां करें शिकायत?

डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (डीएलए) से संबंधित शिकायतों की बढ़ती संख्या को दूर करने के लिए, आरबीआई ने एक अलग पोर्टल - सचेत (Sachet) की स्थापना की है. पोर्टल को बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं. जनवरी 2020 से मार्च 2021 तक लगभग 2562 शिकायतें दर्ज की गई हैं.

हालांकि भारत में दिवालियापन कानूनों और आबादी को देखते हुए लेनदारों की रक्षा करना विशेष रूप से मुश्किल है. जबकि डिजिटल लोन देने वालों द्वारा उत्पीड़न की शिकायतें बहुत तेजी से फैली रही हैं. वहीं लाखों भारतीय ऐसे ऐप्स पर भरोसा करते हैं, लेकिन अक्सर लोन देने वालों के नियम कानूनी रूप से समझने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं होता है, जिसकी वजह से वो बहुत ऊंचे दर पर ब्याज के जाल में फंस जाते हैं.

ब्लूमबर्ग से बात करते हुए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के निदेशक और पार्टनर यशराज एरांडे के मुताबिक बैंकिंग सिस्टम में गैप को नजरअंदाज करना कठिन होता जा रहा है. भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक बाजारों में से एक है, जिसमें 2023 तक डिजिटल लोन 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इस बढ़ोतरी का अधिकांश हिस्सा शॉर्ट टर्म, असुरक्षित लोन से आएगा.

गूगल प्ले स्टोर पर नजर

भारतीय अधिकारियों द्वारा शिकायत के बाद गूगल ने Play Store पर मौजूद सैकड़ों ऐप्स की समीक्षा की है. प्लेटफार्मों को अब यह साबित करना होगा कि उनके पास उपयुक्त लेंडिंग (उधार) लाइसेंस हैं और उन्हें 60 दिनों से कम समय में पहले पुनर्भुगतान की आवश्यकता नहीं हो सकती है.

लेकिन कड़े नियमों को लागू करना अजीबोगरीब खेल बन गया है. ब्लूमबर्ग से साइबर सुरक्षा फर्म CloudSEK चलाने वाले और भारतीय रिजर्व बैंक को सिफारिशें करने वाले विशेषज्ञों में से एक राहुल ससी कहते हैं कि डिजिटल उधार एक विशाल, कठिन बाजार है.

उन्होंने कहा,

बैन किए हुए ऐप्स थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म जैसे कि Aptoide पर चले जाते हैं, या टेक्स्ट मैसेज के जरिए से विज्ञापन देते हैं. साथ ही कर्ज लेने वाले भी कभी-कभी उन्हें वापस भुगतान करने के इरादे से लोन नहीं लेते हैं. ऐप्स, बदले में, माफिया जैसी वसूली का रास्ता अपनाते हैं. कुल मिलाकर अपराध किसी न किसी रूप में होता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब माना जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस साल की शुरुआत में डिजिटल लोन नियमों को सख्त कर सकता है. विचाराधीन दिशानिर्देशों में गैर-अनुपालन वाले ऐप्स पर गंभीर दंड शामिल हैं, जिसमें अनियमित लोन देने वालों को बाहर निकालने पर खास ध्यान दिया गया है.

अवैध कंपनियों से कैसे बचें?

वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि अगर कोई भी डिजिटल लोन ऐप के जरिए लोन ले रहा है तो वो लोन देने वाली कंपनी के बारे में बता चलाएं कि वो RBI से रजिस्टर्ड हैं या नहीं. या फिर RBI से रजिस्टर्ड किसी बैंक या NBFC के साथ काम कर रहा है. लोन देने वाली सभी कंपनियों को अपनी कंपनी पहचान संख्या (CIN) और सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन (CoR) को साफ तौर पर दिखाना होगा.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि किसी भी ऐसे ऐप या अनाधिकृत व्यक्ति को अपनी केवाईसी के दस्तावेज न दें. डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्मों को उस बैंक या एनबीएफसी के बारे में ग्राहकों को बताना होगा, जिनके माध्यम से वे लोन देने का वादे करते हैं.

बता दें कि आरबीआई की वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लोन से जुड़ी गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए अलग से एक कानून बनाने का भी सुझाव दिया है. इसके अलावा कमेटी ने कुछ तकनीक से जुड़े मानक और दूसरे नियम भी तय करने का सुझाव दिया है, जिसका पालन डिजिटल लोन सेगमेंट में आने वाली हर कंपनी को करना होगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×