फेसबुक में एक बार फिर हैकर्स से सेंध लगा दी है. यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है. पिछली बार कैंब्रिज एनालिटिका के जरिए फेसबुक डेटा ब्रीच हुआ था. तब मार्क जुकरबर्ग को अमेरिका की संसदीय जांच समिति के सामने पेश होना पड़ा था.
लेकिन इस बार मामला डेटा बेचने या लीक होने तक सीमित नहीं है. इस बार मामला हैकिंग से जु़ड़ा है. यहां जानिए कुछ अहम सवालों के जवाब.
डेटा ब्रीच या डेटा हैकिंग में हुआ क्या है?
कुछ हैकर्स ने मिलकर कुछ सॉफ्टवेयर बग्स का इस्तेमाल कर करीब 5 करोड़ अकाउंट का एक्सेस पा लिया. इस एक्सेस के जरिए हैकर्स असली यूजर्स की तरह प्रोफाइल का इस्तेमाल करने में कामयाब हो गए. फेसबुक की मदद से वे दूसरी एप और वेबसाइट अकाउंट में लॉगइन में भी कामयाब रहे.
क्या खतरा अभी भी बना हुआ है? और हैकर्स ने अकाउंट एक्सेस का किस तरह इस्तेमाल किया?
फेसबुक ने प्रॉब्लम को फिलहाल सॉल्व कर खतरे को टाल दिया है. लेकिन अभी तक ये समझ नहीं आया है कि हैकर्स ने एक्सेस लेकर प्रोफाइल पर क्या किया है. क्या वो मैसेज या दूसरी प्राइवेट जानकारी पाना चाहते थे? या वे असली प्रोफाइल यूजर के नाम का इस्तेमाल कर कुछ गलत जानकारी फैलाना चाहते थे? या फिर ये ब्रीच रूस और ईरान की तरह एक और चुनावी योजना के तहत इंटरफ्रेंस था? अभी तक ये बात समझ नहीं आई है कि हैकर्स के निशाने पर कौन था.
यह सब कब शुरू हुआ?
फेसबुक डेटा ब्रीच का खुलासा शुक्रवार को हुआ. लेकिन फेसबुक को इसकी भनक 16 सितंबर को ही लग गई थी और कंपनी ने इसके समाधान की कोशिश शुरू कर दी थी.
यह कैंब्रिज एनालिटिका वाले डेटा ब्रीच से कैसे अलग है?
इस साल की शुरूआत में पर्सनालिटी क्विज एप्स ने यूजर्स की फेसबुक प्रोफाइल जानकारी एक थर्ड पार्टी कैंब्रिज एनालिटिका को बेच दिया था. इन पर्सनालिटी क्विज एप्स में फेसबुक के जरिए लॉगइन किया जाता था. एप्स यूजर्स से फेसबुक प्रोफाइल की कुछ बेसिक इंफार्मेशन मांगते थे. इसी इंफार्मेशन को उन्होंने इकट्ठा कर बेच दिया था. मामले का खुलासा होने पर फेसबुक ने इन्हें अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया था. कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक से कहा था कि उसने डेटा को डिलीट कर दिया था, जबकि ऐसा हुआ नहीं था. इस बार जबकि हैकर्स ने सीधे यूजर्स की प्रोफाइल हैक की है.
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