ADVERTISEMENTREMOVE AD

चंद्रयान-3, आदित्य L1 और गगनयान... 2023 में ISRO की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग

ISRO ने साल 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का लक्ष्य रखा है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए साल 2023 काफी अहम रहा. अंतरिक्ष में ISRO की ऊंची छलांग को देखकर दुनिया भी हैरान रह गई. इस लिस्ट में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग करके इतिहास रचने से लेकर आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग सहित गगनयान मिशन तक का ट्रायल शामिल है. चलिए आपको बतातें है कि इस साल ISRO ने क्या-क्या उपलब्धियां हासिल की.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

PSLV-C55 रॉकेट के जरिए सिंगापुर के उपग्रहों की लॉन्चिंग

ISRO ने 22 अप्रैल 2023 को सिंगापुर के उपग्रह को ले जाने वाले PSLV-C55 मिशन को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस स्टेशन से सफलतापूर्वक लांच कर इतिहास रच दिया. PSLV-C55 मिशन में सिंगापुर की दो सैटेलाइट Telos-2 और ल्यूमलाइट-4 शामिल थे:

  • Telos-2 एक प्रकार का अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (Earth Observation Satellite- EOS) है. TeLEOS-2 में एक सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) पेलोड है. SAR एक प्रकार की रडार इमेजिंग तकनीक है, जिसमें लक्ष्य क्षेत्र की हाई-रिजॉल्यूशन 3D फोटोज प्राप्त करने के लिये रडार एंटीना की गति का उपयोग किया जाता है.

  • ल्यूमलाइट-4 का उद्देश्य सिंगापुर की ई-नेविगेशन समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और वैश्विक शिपिंग समुदाय को लाभ पहुंचाना है. यह TeLEOS-2 के साथ भेजा जा रहा सह-यात्री उपग्रह था. ल्यूमलाइट-4 को अंतरिक्ष-जनित VHF डेटा एक्सचेंज सिस्टम (VDES) के तकनीकी प्रदर्शन के लिये विकसित किया गया है.

चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग

23 अगस्त, 2023 को ISRO के चंद्रयान-3 मिशन ने तहत चांद के दक्षिण ध्रुव पर विक्रम लैंडर ने सफलतापूर्वक लैंडिंग की. इस कामयाबी के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया. ISRO ने चंद्रमा की सतह की जांच के लिए प्रज्ञान रोवर भी भेजा था. जिसका जीवनकाल 14 दिन का था.

ISRO ने साल 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का लक्ष्य रखा है.

इसरो के चंद्रयान-3 मिशन के 23 अगस्त, 2023 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड करते ही भारत संपूर्ण विश्व का दक्षिणी ध्रुव पर उतरनें वाला पहला देश बन गया.

(फाइल फोटो: क्विंट हिंदी) 

बता दें कि चांद की स्टडी के लिए विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स- रंभा, चास्टे, इल्सा और एरे लगे थे, जिनके जरिए अहम जानकारियां जुटाई गई हैं.

वहीं प्रज्ञान रोवर के जरिए चांद की सतह पर केमिकल्स, उनकी मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी की गई. प्रज्ञान ने चांद पर सल्फर और कई अन्य तत्वों की खोज की है. रोवर ने एल्युमिनियम, आयरन, कैल्शियम, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, ऑक्सीजन और सिलीकन भी खोजा था.

चंद्रयान-3 मिशन की ऐतिहासिक कामयाबी के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य रखा है. ISRO अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' को 2035 तक स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है.

आदित्य एल-1 मिशन

चंद्रमा पर सफलता के तुरंत बाद, 2 सितंबर को ISRO ने भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सोलर ऑब्जर्वेट्री, आदित्य-एल1 (Aditya L1) लॉन्च की. आदित्य-L1 को श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से भारतीय रॉकेट- PSLV-XL द्वारा लॉन्च किया गया. इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है, जिससे हमारी सूर्य के बारे में समझ को और गहराई मिलेगी.

ISRO ने साल 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का लक्ष्य रखा है.

आदित्य एल1 मिशन.

(फाइल फोटो: क्विंट हिंदी) 

लॉन्च के लगभग 127 दिन बाद यानी 7 जनवरी 2024 को इसके L1 बिंदु पर अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंचने का अनुमान है. यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी की दूरी पर पृथ्वी और सूर्य के बीच लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में परिक्रमा करेगा, जहां यह सौर वातावरण, सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के आसपास के पर्यावरण पर उनके प्रभाव की स्टडी करेगा.

गगनयान मिशन का सफल परीक्षण

ISRO अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट को भेजने की भी योजना पर काम कर रहा है. इस मिशन का नाम गगनयान रखा गया है. गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है.

21 अक्टूबर को ISRO ने गगनयान के क्रू मॉड्यूल का सफल परीक्षण किया. इसके तहत टेस्ट व्हीकल एस्ट्रोनॉट के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को अपने साथ करीब 17 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में ले गया. इसके बाद क्रू मॉड्यूल अलग हो गया और बंगाल की खाड़ी में पैराशूट की मदद से उतरा.

GSLV-F12 रॉकेट की मदद से NVS-01 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च

ISRO ने सात साल पुराने नाविक सैटेलाइट को छोड़कर 29 मई 2023 को NVS-01 सैटेलाइट को GSLV-F12 रॉकेट से लॉन्च किया था. 2232 किलो वजनी NVS-01 सैटेलाइट में दो सोलर पैनल लगे हुए हैं. इन पैनलों की मदद से सैटेलाइट को 2.4 KW ऊर्जा मिलेगी. NVS-01 सैटेलाइट लॉन्च के बाद से लेकर अगले 12 साल तक काम करती रहेगी.

NVS-01 सैटेलाइट सैटेलाइट के मुख्य कार्य जमीनी, हवाई और समुद्री नेविगेशन, कृषि संबंधी जानकारी, जियोडेटिक सर्वे, इमरजेंसी सर्विसेस, फ्लीट मैनेजमेंट, मोबाइल में लोकेशन बेस्ड सर्विसेस, सैटेलाइट्स के लिए ऑर्बिट पता करना, मरीन फिशरीज, वाणिज्यिक संस्थानों, पावर ग्रिड्स और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए टाइमिंग सर्विस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, स्ट्रैटेजिक एप्लीकेशन आदि हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×