ADVERTISEMENT

Meta के शेयरों में हाहाकार, कंपनी ने TikTok और भारत को ठहराया जिम्मेदार

भारत में डेटा पैक की कीमतों में वृद्धि से Facebook को हुआ नुकसान?

Published
Meta के शेयरों में हाहाकार, कंपनी ने TikTok और भारत को ठहराया जिम्मेदार
i

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी Facebook की पेरेंट कंपनी Meta को शेयरों में बड़ा घाटा हुआ है. 3 फरवरी को कंपनी के स्टॉक्स में 26% की गिरावट हुई, और इसकी मार्केट वैल्यू में 230 बिलियन डॉलर की गिरावट देखी गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के शेयर की कीमत में गिरावट से मार्क जकरबर्ग की कुल संपत्ति में 31 बिलियन डॉलर की गिरावट आ गई. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, जकरबर्ग की निजी संपत्ति में गिरावट एस्टोनिया की वार्षिक जीडीपी के बराबर थी.

ADVERTISEMENT
वहीं, फेसबुक के डेली एक्टिव यूजर्स (DAU) की संख्या में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जो 18 साल के इतिहास में पहली बार हुआ है. मेटा का कहना है कि दिसंबर के अंत तक, तीन महीनों में DAU घटकर 1.929 बिलियन हो गया, जबकि पिछली तिमाही में ये 1.930 बिलियन था. हालांकि, मेटा की ओवरऑल ग्रोथ पॉजिटिव रही.

फेसबुक की पेरेंट कंपनी में इतनी बड़ी गिरावट की क्या है वजह?

कंपनी के फाउंडर और CEO मार्क जकरबर्ग ने मेटा के शेयरों में गिरावट की वजह कॉम्पटिशन को बताया है. फोटो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम को खरीदने के बाद से मेटा उसपर रील्स और वीडियो को तरजीह दे रहा है, लेकिन यहां उसे चीनी वीडियो ऐप टिकटॉक से कड़ी टक्कर मिल रही है.

अपने लंबे-चौड़े पोस्ट में बिजनेस पर प्रभावी कारणों को बताते हुए जकरबर्ग ने कहा कि पहला कारण कॉम्पटिशन है. उन्होंने कहा, "लोगों के पास बहुत सारे विकल्प हैं कि वो अपना समय कैसे बिताना चाहते हैं और टिकटॉक जैसे ऐप बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. और यही कारण है कि लंबे वीडियो की बजाय, हमारा फोकस रील्स पर क्यों है."

ADVERTISEMENT

भारत में डेटा कीमतों में वृद्धि से फेसबुक को नुकसान?

मेटा के CFO डेविड वेहनेर ने कहा कि कंपनी की तिमाही अर्निग कॉल में कहा कि चौथी तिमाही में फेसबुक उपयोगकर्ता की वृद्धि कुछ हेडविंड से प्रभावित हुई थी. उन्होंने भारत में बढ़ी डेटा पैकेज की कीमतों को भी यूजर ग्रोथ के पीछे एक बड़ी कमी बताया.

"इन कारणों के अलावा, हम मानते हैं कि कॉम्पटिटिव सेवाएं विकास को नेगेटिव रूप से प्रभावित कर रही हैं, खासकर युवा ऑडियंस के साथ."
डेविड वेहनेर, CFO, मेटा

वेहनर ने कहा कि ये भारत जैसे क्षेत्रों में तिमाही में थोड़ा अनूठा था.

भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो टेलीकॉम कंपनियों ने दिसंबर तिमाही में अपनी डेटा दरों में 18 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. एयरटेल ने घोषणा की कि 26 नवंबर से प्रीपेड टैरिफ दरों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की जाएगी, वोडाफोन आइडिया ने भी 25 नवंबर से प्रभावी दरों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की है.

स्टेटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले भारत में 35 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स हैं, जो इसे फेसबुक ऑडियंस के आकार के मामले में अहम मार्केट बनाते हैं. वहीं, मेटा के इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप, WhatsApp के भारत में 400 मिलियन यूजर्स हैं.
ADVERTISEMENT

मेटा की लोकप्रियता घटाने के पीछे एपल भी एक कारण?

NYT की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टेक कंपनी एपल ने 'ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी' अपडेट रिलीज किया था, जो आईफोन यूजर्स को ये ऑप्शन देता है कि वो फेसबुक जैसे ऐप्स को अपनी ऑनलाइन एक्टिविटी की निगरानी करने देंगे. अब जब फेसबुक और दूसरे ऐप्स को लोगों से उनकी एक्टिविटी को ट्रैक करने की अनुमति मांगनी पड़ रही है, तो कई यूजर्स ने अनुमति नहीं दे रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्राइवेसी सेटिंग्स से भी मेटा के बिजनेस को नुकसान पहुंचा है और ऐसा जारी रह सकता है.

ADVERTISEMENT

ऑनलाइन ऐड छीन गूगल भी दे रहा टक्कर

CFO डेविड वेहनेर ने कहा कि एपल के बदलाव ने एडवर्टिजर्स को यूजर्स बिहेवियर में कम विजिबिलिटी दी है, और कई लोगों ने अपने ऐड बजट को दूसरे प्लेटफॉर्म पर ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है. इससे उनका इशारा गूगल की तरफ था.

रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा से उलट, गूगल यूजर्स डेटा के लिए एपल पर ज्यादा निर्भर नहीं है. वेहनर ने कहा कि ये संभावना है कि मेटा के ऐड प्लेटफॉर्म की तुलना में गूगल के पास "मापने और ऑप्टिमाइजेशन के लिए कहीं अधिक थर्ड पार्टी डेटा" था.

वेहनर ने एपल के सफारी ब्राउजर के लिए गूगल को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाए जाने की डील की ओर भी इशारा किया. इसका मतलब है कि गूगल के सर्च ऐड ज्यादा स्थानों पर दिखाई देंगे, और ज्यादा डेटा लेंगे, जो एडवर्टाइजर्स के लिए उपयोगी हो सकता है. लंबी अवधि में मेटा के लिए ये एक बड़ी समस्या है, खासकर अगर ज्यादा एडवर्टाइजर्स गूगल सर्च ऐड्स की तरफ जाते हैं तो.

अब देखना होगा कि टेक वर्ल्ड में मिल रही इस टक्कर से मार्क जकरबर्ग कैसे अपनी कंपनी को बाहर निकाल पाते हैं. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि कंपनी रील्स जैसे शॉर्ट वीडियो फॉर्मैट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मेटावर्स की ओर ध्यान देगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×