डेटा चोरी को लेकर सावधानी बरतने के लिए जितनी कोशिशें की जा रही हैं, उससे ज्यादा तेजी से डेटा चोरी के तरीके बढ़ रहे हैं. हाल ही में यूजर्स की जानकारी शेयर करने को लेकर फेसबुक को कई सवालों का जवाब देना पड़ा. अगर आपके फोन में डाउनलोड कुछ ऐप की प्राइवेसी पर नजर डालें, तो वहां भी कई खतरे हैं.
ऐसे ही एक खतरा अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, आपके स्मार्ट फोन में डाउनलोड कुछ ऐप आपकी जानकारी के बिना भी स्क्रीनशॉट ले सकता है और उसे थर्ड पार्टी को भेज सकता है.
ये बड़ा खतरा इसलिए है, क्योंकि आपके फोन में स्क्रीन पर दिख रही कोई भी चीज, जैसे फोटो, वीडियो, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी निजी जानकारी आपकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड की जा सकती है.
ये जानकारी सामने आई है अमेरिका के नॉर्थ-ईस्टर्न यूनिवर्सिटी की रिसर्च में. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड शॉफ्नेस का कहना है कि ऐसे कई हजार ऐप हैं, जिन्हें लोग अपने फोन में डाउनलोड करते हैं, वो बिना बताए स्क्रीनशॉट लेने की क्षमता रखते हैं. इनमें यूजरनेम और पासवर्ड जैसी चीजें भी शामिल हैं, क्योंकि आपके पासवर्ड में टाइप किए जा रहे अक्षर भी शुरुआत के कुछ सेकेंड में छिपे हुए नहीं होते.
ये रिसर्च फोन में सेव होने वाले डेटा और उसके इस्तेमाल पर की जा रही थी. इसका मकसद ये जानना था कि क्या फोन बिना इजाजत कोई जानकारी जमा कर सकते हैं और क्या वो टार्गेटेड एडवर्टाइजिंग के लिए कंपनियों को बेची जा सकती हैं.
हालांकि इस रिसर्च में लोगों की बातचीत रिकॉर्ड होने का कोई प्रमाण नहीं मिला, लेकिन जो सामने निकलकर आया, वो उससे भी ज्यादा चौंकाने वाला है.
रिसर्च की शुरुआत में हम एक कमी ढूंढ रहे थे, लेकिन जो हमें मिला, वो एक बड़ी खराबी है.डेविड शॉफ्नेस, प्रोफेसर, नॉर्थ-ईस्टर्न यूनिवर्सिटी
कई ऐप दूसरी कंपनियों को भेज रहे हैं जानकारी
रिसर्च में जो सामने आया, उसके मुताबिक कुछ कंपनियां इन स्क्रीनशॉट और वीडियो को थर्ड पार्टियों को बेचते आ रहे हैं. हालांकि ये फिलहाल ये बहुत छोटे पैमाने पर हो रहा है, लेकिन ये जिस खतरे की तरफ इशारा कर रहे हैं, वो बड़ा है.
कुछ कंपनियां अपने फायदे के लिए लोगों की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ कर रही हैं.
नॉर्थ-ईस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिस्टो विल्सन का कहना है कि ये एक गलत सिलसिले की शुरुआत है. आगे जाकर इसे गलत कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे जानकारी इकट्ठा करना बेहद आसान है. ज्यादा चिंता की बात ये है कि इसके लिए यूजर से न इजाजत मांगी जाती है, न ही नोट्रिफिकेशन आती है.
‘’हमने जो जानकारी शेयर होते हुए पकड़ी, वो ऐरिया कोड थे. लेकिन इसी तकनीक से क्रेडिट कार्ड जैसी जानकारी भी भेजी जा सकती है.’’
- प्रोफेसर क्रिस्टो विल्सन
सिर्फ एंड्रॉयड ही नहीं, दूसरे फोन से भी है खतरा
रिसर्च करने वाली टीम ने 17 हजार से ज्यादा पॉपुलर फोन ऐप की स्टडी की. हालांकि ये रिसर्च सिर्फ एंड्रॉयड फोन पर की गई, पर जिस तकनीक से एंड्रॉयड फोन पर डेटा चुराया जा सकता है, वही तकनीक दूसरे फोन पर भी इस्तेमाल हो सकती है.
इन 17 हजार ऐप में से 9 हजार बिना इजाजत स्क्रीनशॉट ले सकते थे. एक ऐप ने वीडियो भी बनाकर थर्ड पार्टी से शेयर किया.
वीडियो बनाने वाले गो-पफ नाम का फूड डिलिवरी ऐप था, जिसने बिना किसी नोटिफिकेशन के एक डेटा एनलिसिस फर्म को स्क्रीनशॉट भेजा.
हालांकि रिसर्च करने वाली टीम का ये भी कहना है कि किसी भी कंपनी ने खुद डेटा के गलत इस्तेमाल की कोशिश नहीं की. कंपनियां इस तरह का अपडेट कई बार डिबगिंग के लिए करती हैं, लेकिन इस तकनीक का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है.
यह तकनीक कैमरा से फोटो लेने और माइक्रोफोन से बातें रिकॉर्ड होने से ज्यादा खतरनाक है,, क्योंकि इसे बंद करने का कोई तरीका नहीं.डेविड शॉफ्नेस, प्रोफेसर, नॉर्थ-ईस्टर्न यूनिवर्सिटी
(इनपुट: PTI)
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