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दूरदराज में सस्ता इंटरनेट तकनीक लाने वाले स्टार्टअप को 703 Cr. फंड

करीब 130 करोड़ की आबादी वाले अपने देश में 56 करोड़ इंटरनेट यूजर है

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करीब 130 करोड़ की आबादी वाले अपने देश में 56 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं. यानी कि अब भी गांव, छोटे कस्बों और दूर-दराज के इलाकों में एक बड़ी आबादी है जिन तक इंटरनेट नहीं पहुंच सका है. ऐसे में टेक्नोलॉजी के जरिए इंटरनेट की पहुंच को आसान बनाने में दुनियाभर की कंपनियां जुटी हुई हैं.

पिछले कई सालों से कंपनियां ऐसे ग्लोबल वायरलेस नेटवर्क बनाने की कोशिश में जुटी हैं जिससे कोई भी चीज आसानी से कनेक्ट हो जाए. सेल टॉवर और फाइबर ऑप्टिक्स जैसे तामझाम और इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक्कतों से बचा जा सके. अब कुछ ऐसी ही टेक्नोलॉजी लेकर आई है सिलिकन वैली स्टार्टअप कंपनी Skylo Technologies Inc.

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कंपनी की टेक्नोलॉजी क्या है?

साल 2017 में बनी इस कंपनी ने 21 जनवरी को अपना 'पावरफुल' पोर्टेबल एंटीना पेश किया. ये एंटीना सेटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विसेज से कनेक्ट किया जाता है और इसके बाद ये सैकड़ों दूसरे डिवाइसेज में इंटरनेट कनेक्टिविटी दे सकता है, यूजर ब्लूटूथ या वाईफाई के जरिए नेटवर्क से कनेक्ट हो सकते हैं.

कंपनी की टेक्नोलॉजी से कई दिग्गज इंवेस्टर आकर्षित दिख रहे हैं. हाल ही में सॉफ्टबैंक ग्रुप ने कंपनी में करीब 733 करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट किया है. कंपनी के तीन ऑफिस सैन मेटियो, बेंगलुरु और तेल अवीव में हैं. इससे पहले दिसंबर 2017 में कंपनी को करीब 93 करोड़ रुपये का इवेस्टमेंट हासिल हुआ था.

अब आपको लग रहा होगा कि ऐसी कुछ और टेक्नोलॉजी भी मार्केट में मौजूद हैं तो इसमें नया और खास क्या है? कंपनी के CEO पार्थसारथी त्रिवेदी इसकी दो सबसे बड़ी खासियतें बताते हैं- एक तो इंटरनेट सर्विस की कीमत और दूसरा इसका डिजाइन.

“अगर ऐसा कनेक्शन हर महीने कुछ डॉलर में मिल जाता तो जो लोग अभी तक कनेक्ट नहीं हो पाए हैं, उनके लिए नया मार्केट बन सकता था.”
पार्थसारथी त्रिवेदी, CEO, Skylo Technologies Inc.

कीमत और पोर्टेबल होना कैसे है फायदेमंद

आपको पता होगा कि पिछले काफी अरसे से पहाड़ी इलाकों में, आइलैंड पर और जो लोग क्रूज या शिप पर होते हैं वोसैटेलाइस सर्विस के जरिए इंटरनेट इस्तेमाल करते आए हैं. लेकिन आमतौर पर, ऐसी स्थिति में इंटरनेट डिवाइसेज की कीमत बहुत ज्यादा होती है. साथ ही बड़े-बड़े एंटीना का भी इस्तेमाल करना पड़ता है और एंटीना को भी मैनुअली एक खास एंगल पर एडजस्ट करना होता है.

वहीं, Skylo एंटीना की खासियत ये है कि एक प्लेट के साइज का है, जिसे एक सॉफ्टवेयर के जरिए सैटेलाइट से कनेक्ट कर दिया जाता है और फिर वाई-फाई या ब्लूटूथ के जरिए आसपास के डिवाइसेज में डेटा ट्रांसमिशन आसानी से हो जाता है.

किसी भी यूजर को इसके लिए बड़े एंटीना या दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. Skylo एंटीने की कीमत 100 डॉलर यानी करीब 7 हजार के आसपास है और सर्विस के लिए करीब 70 रुपये देने पड़ते हैं. एंटीना कोई भी शख्स खुद से ही इंस्टॉल कर सकता है, चाहे अपने घर की खिड़की, छत या आप दूर दराज में ट्रैवल करते हैं जहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं है तो वहां अपनी गाड़ी के ऊपर लगा सकते हैं.

'भारत जैसे देश के लिए बेहतर'

कंपनी का साफ-साफ कहना है कि अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहां अलग-अलग कंपनियों के नेटवर्क वायरलेस या वायर कनेक्शन इंटरनेट सुविधा है तो एंटीना आपके लिए नहीं है. ये एंटीना खासतौर से ग्रामीण इलाकों, दूरगामी क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है, जहां वायरलेस नेटवर्क है ही नहीं. दरअसल, आज के दौर में इंटरनेट मूलभूत सुविधाओं की तरह हो गया है, डिजिटल होते जा रहे इस जमाने में कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां वायरलेस कनेक्शन की पहुंच नहीं है, ये टेक्नोलॉजी ऐसे ही इलाकों के लिए डिजाइन की गई है.

कहां-कहां हो रही है टेस्टिंग?

कंपनी ने अपने हार्डवेयर और सर्विस का महीनों तक साउथ-ईस्ट एशिया और कई जगहों पर टेस्ट किया है. भारत में ट्रकिंग कंपनियां एंटीना को अपनी फ्लीट को ट्रैक करने और ज्यादा प्रभावशाली रूट चुनने में इस्तेमाल कर रही हैं. मछुआरे इसका इस्तेमाल मौसम का अपडेट लेने में कर रहे हैं. साउथ एशिया में Skylo के सेल्स VP महंतेश पाटिल का कहना है,

“300,000 मोटोराइज्ड फिशिंग बोट हैं और वो एक समय में कम से कम सात दिनों तक पानी में होती हैं. वो जानना चाहते हैं कि मार्केट में कौनसी मछली की डिमांड है और तूफान आने की स्थिति में कहां जाना है.”

बाकी कस्टमर में छोटे किसान शामिल हो सकते हैं जो जानवरों के वैक्सीन के लिए मौसम ट्रैक कर सकते हैं या व्यस्त कटाई के सीजन में ट्रैक्टर किराए पर दिए जाने का हिसाब रख सकते हैं.

भारतीय रेलवे बोर्ड के मेंबर राजेश अग्रवाल ने पैसेंजर्स कारों पर Skylo की टेस्टिंग का काम देख रहे हैं. वो कहते हैं कि फ्राइट (माल) कारों में जल्दी ही इसे इस्तेमाल किया जाएगा. अग्रवाल बताते हैं कि भारत जैसे बड़े देश में कई डेड जोन हैं, जहां एक-एक घंटे तक के लिए कनेक्शन खो सकते हैं. Skylo के जरिए ट्रैकिंग बेहतर हो सकती है.

हालांकि, Skylo को कॉम्पटिशन के बीच इन चुनौतियां का सामना करना होगा. कई कंपनियां कमोबेश ऐसी ही टेक्नोलॉजी के साथ मार्केट में आ रही हैं, लेकिन सीईओ त्रिवेदी का कहना है कि Skylo की कीमत कम रहेगी, क्योंकि ये इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की बजाय मौजूदा सैटेलाइट का इस्तेमाल करेगा. उन्होंने कहा कि दूसरी कंपनियां इसकी एंटीना टेक्नोलॉजी को मैच नहीं कर पाएंगी, और Skylo की कीमत दुनियाभर में कम और एक जैसी रहेगी. इसके साथ ही कंपनी के भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने की भी खबरें हैं.

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