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ब्रह्मांड के रहस्यों को बेपर्दा करने वाले हॉकिंग की 10 बड़ी बातें

गैलिलियो, आइंस्टीन से कनेक्शन से लेकर स्टीफन हॉकिंग के योगदान के बारे में अहम जानकारियां

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21 साल की उम्र में एक बीमारी के बाद मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने शरीर ने काम करना बंद कर दिया था. लेकिन फिर भी दिमाग के भरोसे दुनियाभर को पूरे ब्रह्ममांड की जानकारी देते रहे. 8 जनवरी 1942 को जन्मे हॉकिंग अपनी जिंदगी के 55 साल तक मोटर न्यूरॉन बीमारी से लड़ते रहे. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

ऐसे में हॉकिंग के बारे में वो 10 बातें जो जानना जरूरी है-

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  1. महान खगोल वैज्ञानिक (Astronomer) गैलिलियो की मौत के 300 साल बाद उसी दिन 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड में स्टीफेन हॉकिंग का जन्म हुआ था. स्कूल के दिनों में उन्होंने 'आइंस्टीन' कहा जाता था. हालांकि, उनके ग्रेड्स कम आते थे पर हर चीज को जानने का जबरदस्त उत्साह उनके अंदर था.
  2. हॉकिंग की रूचि मैथमेटिक्स की पढ़ाई करने में थी लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वो मेडिकल का कोर्स करें. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में उस वक्त मैथमेटिक्स नहीं होने की वजह से उन्होंने फिजिक्स की पढ़ाई शुरू की. 3 साल के भीतर उन्होंने ऑनर्स के साथ नेचुरल साइंस की डिग्री हासिल कर ली. इसी के बाद से शुरू हुई हॉकिंग की 'दूसरी दुनिया' का सफर.
  3. महज 21 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन डिजिज से पीड़ित हो गए, डॉक्टर ने कहा कि वो दो साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकते. इस बीमारी से हॉकिंग का नर्वस सिस्टम बिगड़ता जा रहा था, उनके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया, बोलने और लिखने की क्षमता कम हो गई. पूरे शरीर में सिर्फ दिमाग ही था जो काम कर रहा था. इसी दिमाग को हॉकिंग ने अपना हथियार बनाया. उन्होंने एक ऐसा सिस्टम डेवेलप किया जिसमें विजुअल की मदद से अपनी बात को एक्सप्रेस किया जा सकता है.
  4. शारीरिक अक्षमता को मात देते हुए वो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की तरफ बढ़े और वहां के बेहतरीन रिसर्चर और फेलो के तौर पर सम्मान हासिल किया. साल 1979 से 2009 तक हॉकिंग कैंब्रिज में बतौर प्रोफेसर (Lucasian Professor) काम करते रहे, बता दें ये वही पोस्ट है जिसे साल 1663 में आइजैक न्यूटन संभाला करते थे. अभी भी वो यूनिवर्सिटी को अपना योगदान देते रहते हैं.
  5. स्टीफन हॉकिंग ने 1966 में एक थिसिस सब्मिट की थी- प्रॉपर्टी ऑफ एक्सपेंडिंग यूनिवर्स, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे ब्रह्मांड फैल रहा है या उसका विस्तार हो रहा है. ये इतना पॉपुलर थिसिस हुआ कि जब इसे इंटरनेट पर सार्वजनिक तौर पर डाला गया तो पढ़ने वालों के कारण कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट ही क्रैश हो गई.
  6. ब्रह्मांड को समझने और धरती के विनाश के कारणों पर हॉकिंग ने कई रिसर्च और खुलासे किए हैं. जो दुनिया को एक नया रास्ता दिखाते हैं.
  7. क्या हम यूनिवर्स में अकेले हैं? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए साल 2015 में हॉकिंग ने कुछ एस्ट्रोनॉमर और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर 'लिसन प्रोजेक्ट' पर काम शुरू किया है. करीब 100 मिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट में लाखों तारों से आने वाले सिग्नल को ढूंढा जाएगा. इस प्रोजेक्ट के 10 साल तक चलने की बात कही जा रही है.
  8. हाल ही में स्टीफन हॉकिंग ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया था कि आने वाली पीढ़ियों को ग्लोबल वॉर्मिंग का खामियाजा भुगतना होगा. उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने के ट्रंप के फैसले पर कहा था कि ट्रंप की कार्रवाई धरती को उस कगार तक धकेल सकती है, जहां धरती 250 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ शुक्र ग्रह की तरह हो जाएगी, और एसिड की बारिश भी संभव है.
  9. साल 2014 में स्टीफन हॉकिंग की असाधारण जिंदगी पर एक फिल्म बनी थी.The Theory of Everything नाम की इस फिल्म सुपरहिट साबित हुई.
  10. फिल्म को 5 ऑस्कर नॉमिनेशन और बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड, 4 गोल्डन ग्लोब और 10 BAFTA नॉमिनेशन हासिल हुआ था.
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स्टीफन हॉकिंग की कुछ तस्वीरें

गैलिलियो, आइंस्टीन से कनेक्शन से लेकर स्टीफन हॉकिंग के योगदान के बारे में अहम जानकारियां
21 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन डिजिज से पीड़ित हो गए, डॉक्टर ने कहा कि वो दो साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकते.
(फोटो: हॉकिंग ऑर्गेनाइजेशन)
गैलिलियो, आइंस्टीन से कनेक्शन से लेकर स्टीफन हॉकिंग के योगदान के बारे में अहम जानकारियां
हॉकिंग साल 1979 से 2009 तक हॉकिंग कैंब्रिज में बतौर प्रोफेसर (Lucasian Professor) काम करते रहे.
(फोटो: हॉकिंग ऑर्गेनाइजेशन)
गैलिलियो, आइंस्टीन से कनेक्शन से लेकर स्टीफन हॉकिंग के योगदान के बारे में अहम जानकारियां
प्रॉपर्टी ऑफ एक्सपेंडिंग यूनिवर्स की थिसिस पर हॉकिंग के हस्ताक्षर
(फोटो: हॉकिंग ऑर्गेनाइजेशन)
गैलिलियो, आइंस्टीन से कनेक्शन से लेकर स्टीफन हॉकिंग के योगदान के बारे में अहम जानकारियां
हॉकिंग ने कुछ एस्ट्रोनॉमर और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ‘लिसन प्रोजेक्ट’ पर काम शुरू किया है.
(फोटो: हॉकिंग ऑर्गेनाइजेशन)

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