भुगतान सेवाओं की प्रमुख कंपनी मास्टरकार्ड एशिया/पैसिफिक प्राइवेट लिमिटेड (Mastercard) को बड़ा झटका देते हुए RBI ने 14 जुलाई को अपने कार्ड नेटवर्क पर देश में नए घरेलू ग्राहकों को जोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया.
RBI ने कहा कि प्रतिबंध इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि कुछ नियमों का उल्लंघन किया गया है. मास्टरकार्ड पर ये कार्रवाई क्यों हुई है, इसके कस्टमर के लिए क्या मायने हैं? ये सब यहां जानिए.
क्या हुआ है?
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 22 जुलाई, 2021 से अपने कार्ड नेटवर्क पर नए घरेलू ग्राहकों को ऑन-बोर्ड करने से मास्टरकार्ड एशिया/पैसिफिक पीटीई लिमिटेड (मास्टरकार्ड) पर प्रतिबंध लगा दिया है."
ये प्रतिबंध डेबिट, क्रेडिट या प्रीपेड कस्टमर पर लागू होंगे.
RBI ने ऐसा क्यों किया?
RBI का कहना है कि काफी समय बीत जाने और पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद मास्टरकार्ड ने पेमेंट सिस्टम डेटा (payment system data) स्टोरेज के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है.
6 अप्रैल, 2018 को पेमेंट सिस्टम डेटा के स्टोरेज पर आरबीआई के निर्देशों के अनुसार, सभी सिस्टम प्रदाताओं को ये सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया था कि छह महीने की अवधि के अंदर उनके द्वारा संचालित पेमेंट सिस्टम से संबंधित संपूर्ण डेटा केवल भारत में एक सिस्टम में संग्रहीत किया जाता है.
उन्हें RBI को अनुपालन की रिपोर्ट देने और उसमें बताई गई समय सीमा के भीतर CERT-IN पैनल में शामिल ऑडिटर द्वारा आयोजित बोर्ड-अनुमोदित सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की भी जरूरत थी.
इस कार्रवाई से मौजूदा कस्टमर पर क्या प्रभाव होगा?
RBI के आदेश का मास्टरकार्ड के मौजूदा ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
मास्टरकार्ड को सभी कार्ड जारी करने वाले बैंकों और गैर-बैंकों को इन निर्देशों का पालन करने की सलाह देनी होगी.
मास्टरकार्ड की क्या प्रतिक्रिया है?
कंपनी ने 15 जुलाई को अपने बयान में कहा कि वो RBI के कदम से निराश है. मास्टरकार्ड ने कहा, "हम उनकी चिंता दूर करने के लिए अतिरिक्त जानकारी मुहैया कराना जारी रखेंगे. भारत में लगातार निवेश को लेकर हम सरकार के डिजिटल इंडिया विजन पर अपने कस्टमर और पार्टनर्स के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं."
और किन विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंध लगे हैं?
इसी साल अप्रैल में RBI ने अमेरिकन एक्सप्रेस और डाइनर्स क्लब इंटरनेशनल को इसी तरह के उल्लंघन के तहत नए कार्ड जारी करने से रोका था.
मास्टरकार्ड लोकली डेटा स्टोर करने में क्यों हिचकिचा रहा है?
2018 के एक बयान में मास्टरकार्ड के सीईओ और अध्यक्ष अजयपाल सिंह बंगा ने कहा था कि डेटा लोकलाइजेशन भारतीय बैंकों और मर्चेंट्स को सुरक्षा देने में असफल हो सकता है.
वहीं, टेक एक्सपर्ट शरत चंद्रा ने क्विंट से कहा कि पेमेंट बिजनेस में अब बनाने लायक पैसा बचा नहीं है और मास्टरकार्ड जो पेमेंट डेटा इकट्ठा करता है उससे नए बिजनेस मॉडल और रेवेन्यू स्ट्रीम बन सकते हैं, लेकिन ये तभी मुमकिन है जब डेटा ग्लोबल सर्वर पर स्टोर हो.
द डायलॉग के फाउंडिंग डायरेक्टर काजिम रिजवी ने कहा कि लोकलाइजेशन के पीछे इरादा सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए डेटा तक पहुंच का है, जो पहले के समय में चुनौती था.
रिजवी ने कहा, "कंपनियों को नियम-कायदे मानने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन डेटा के फ्री फ्लो के साथ-साथ डेटा तक पहुंच देने के प्रभावी तरीके देखना भी जरूरी है. ऐसा एक मैकेनिज्म EU, US और UK के साथ डेटा ट्रांसफर पर द्विपक्षीय समझौते करना हो सकता है."
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